Ujjain News: इस बार दीपोत्सव 6 दिन का, गोवर्धन पूजा 2 को भाई दूज 3 नवंबर को मनाएंगे आज एकादशी व्रत और गोवत्स द्वादशी पूजन

Ujjain News | इस बार दीपोत्सव 6 दिन का होगा, जबकि पहले यह 5 दिन का होता था। मध्यप्रदेश के ज्योतिषाचार्यों में इस पर सहमति नहीं बन पाई है कि दिवाली 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को मनाई जाए या नहीं, लेकिन गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को निश्चित रूप से होगी। भाई दूज भी 3 नवंबर को मनाया जाएगा।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने कहा, “कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को Rama एकादशी कहा जाता है। इस तिथि पर व्रत करने के साथ माता Lakshmi की विशेष साधना शुरू की जा सकती है। यह साधना निरंतर 5 दिन तक चलती है।”

कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी सोमवार 28 अक्टूबर को है। इस दिन मध्याह्न में द्वादशी तिथि भी रहेगी, जिसे Govats द्वादशी कहा जाता है। एकादशी का व्रत और गोवत्स का पूजन भी इसी दिन किया जाएगा।

तिथि के कारण परिवर्तन भी संभव

पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी से लेकर अमावस्या तिथि तक पांच पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें Rama एकादशी, गोवत्स द्वादशी, धनवंतरि जयंती (धनतेरस), रूप चौदस और दीपावली शामिल हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, तिथि में गड़बड़ी के कारण इनमें परिवर्तन की संभावना भी बनती है।

31 की सुबह रूप चौदस, शाम को दिवाली

पं. अमर डिब्बेवाला ने कहा कि 31 अक्टूबर की सुबह रूप चौदस होगा और शाम को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। कुछ पंचांगों में 1 नवंबर को दिवाली दिखाई गई है, जो स्थान और ज्योतिषीय गणना के अंतर के कारण है। शास्त्रीय अभिमत के अनुसार 31 अक्टूबर को दिवाली मनाना सही है।

उन्होंने बताया कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और राजस्थान के ज्योतिष विभाग के विशेषज्ञों का भी मत 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने का है।

धनतेरस पर भौम प्रदोष का संयोग

पं. डिब्बेवाला ने कहा कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष इस बार मंगलवार को है, जिसे भौम प्रदोष कहा जाता है। इसी दिन त्रयोदशी का भी प्रभाव रहेगा, जिससे धनवंतरि जयंती (धनतेरस) का पर्व भी मनाया जाएगा। मृत्यु के देवता यम को दीपदान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक करना होता है, लेकिन इसे एकादशी से अमावस्या तक भी किया जा सकता है।

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक हर शाम प्रदोष काल में छत पर दीपक जलाना चाहिए। यह अकाल मृत्यु को टालता है। आर्थिक प्रगति के लिए कुबेर और अष्टविध लक्ष्मी की पूजा की जाती है। छत पर अष्टदल बनाकर उसके बीच में तिल के तेल का दीपक लगाकर तीनों का पूजन करना चाहिए।

धनतेरस पर क्या और कब खरीदें

धनतेरस पर यह प्रश्न उठता है कि इस दिन क्या और कब खरीदना चाहिए। इसके लिए Muhurta, चौघड़िया और विशिष्ट योग का ध्यान रखना आवश्यक होता है। हालांकि, धनतेरस जैसे पर्व पर चौघड़िया देखने की आवश्यकता नहीं होती, फिर भी लोग शुभ लाभ, अमृत या चंचल की चौघड़ियों पर विशेष ध्यान देते हैं।

धनतेरस का पूरा दिन उत्तम माना जाता है। गणेशजी के सामने दीपक लगाकर नई वस्तु की खरीदारी के लिए बाहर निकल सकते हैं। भूमि, मकान, वाहन, कपड़े, बर्तन, देवी-देवताओं की चांदी, सोने या तांबे की मूर्ति, नवग्रह के रत्न और Insurance Policy की खरीदी की जा सकती है।

इसी दिन ग्रह गोचर में सूर्य और बुध का तुला राशि पर परिभ्रमण रहेगा। सूर्य और बुध का संयुक्त युति क्रम बुध आदित्य योग कहलाता है। इस योग में खरीदी और पूजन या नए काम की शुरुआत अच्छी मानी जाती है।

अब जानिए, दीपोत्सव के 5 दिन से जुड़ी खास बातें

इंदौर के सराफा, क्लॉथ मार्केट में 31 को दिवाली: मुहूर्त के सौदे 4 नवंबर को

इस साल दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाए या 1 नवंबर को, इस पर मध्यप्रदेश के ज्योतिषाचार्य और पंचागकर्ता एकमत नहीं हो पा रहे हैं। वहीं, प्रदेश के अधिकांश व्यापारी संगठन 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने की बात कह रहे हैं। 1 नवंबर को दीपोत्सव मनाने के पक्ष में कम ही कारोबारी हैं। हालांकि, बही खातों के पूजन का मुहूर्त दोनों दिन है। धनतेरस भी दो दिन मनाई जाएगी। पुष्य नक्षत्र के भी दो दिन मुहूर्त हैं।

भोपाल के ज्योतिषी बोले-31 को अमावस्या, इसी दिन मनाएं दिवाली

भोपाल के ज्योतिषियों का कहना है कि 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाई जा सकती है। इसके बाद अमावस्या खत्म होने के बाद इसे नहीं मनाना चाहिए। ज्योतिषियों ने इस भ्रम का जिम्मेदार सोशल मीडिया को ठहराया है। उनका कहना है कि वॉट्सऐप और यूट्यूब पर कुछ गलत जानकारियां दी जा रही हैं, जिससे यह स्थिति बनी है।

1 नवंबर को दिवाली मनाना सही: इंदौर में 150 से अधिक पंचांगकारों की सहमति

इस बार दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाए या फिर 1 नवंबर को… इसका जवाब ज्योतिष और विद्वत परिषद ने दे दिया है। इंदौर में हुई बैठक में इस बार दिवाली का पर्व 1 नवंबर को मनाना तय किया गया है। इसके लिए सोमवार दोपहर को इंदौर के संस्कृत महाविद्यालय में विद्वानों और आचार्य की बैठक हुई। इसमें यह फैसला लिया गया है।

Leave a Reply