वकीलों ने खोला मोर्चा, पराली जलाने वाले किसानों की पैरवी नहीं करेंगे MP High Court बार एसोसिएशन


Jabalpur News | किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने पर सरकार और प्रशासन की सख्ती का असर स्पष्ट तौर पर देखा जा रहा है। देश के विभिन्न राज्यों से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, उनसे यह समझा जा सकता है कि यह समस्या कितनी गंभीर है। मध्य प्रदेश में भी प्रशासनिक कार्रवाई के बाद अब वकीलों ने इस मुद्दे पर कदम उठाया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (Madhya Pradesh High Court Bar Association) के वकीलों ने निर्णय लिया है कि पराली जलाने के आरोप में जिन किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा, उनके पक्ष में वे पैरवी नहीं करेंगे।

MP High Court Bar Association का बड़ा फैसला
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट डी. के. जैन ने इस बारे में जानकारी दी और बताया कि “एसोसिएशन की कार्यकारिणी बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि पराली जलाने के आरोप में पुलिस प्रकरण दर्ज होने पर ऐसे किसानों के लिए कोई वकील पैरवी नहीं करेगा। यदि मध्य प्रदेश में प्रतिबंध के बावजूद किसानों ने खेतों में पराली जलायी और उन पर मुकदमा दर्ज हुआ, तो संबंधित आरोपी किसानों के लिए पैरवी नहीं की जाएगी। यह कदम पर्यावरणीय प्रदूषण और इसके खतरों पर गंभीर विचार के बाद उठाया गया है।”

पराली जलाने से जनजीवन प्रभावित
MP High Court Bar Association के सीनियर एडवोकेट और पर्यावरणीय चिंतकों के अनुसार, मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं देशभर में सबसे अधिक हैं। इसके कारण हरियाणा, पंजाब, और दिल्ली जैसे राज्य में आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। यहां तक कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। पराली जलाने से खेतों के सूक्ष्म जीव-जंतुओं की मौत हो जाती है, जिससे जमीन की उर्वरक शक्ति खत्म हो जाती है।

स्वास्थ्य पर पड़ रहे घातक प्रभाव
किसान अब अधिक रासायनिक खाद (Stubble Burning in MP) का उपयोग करने लगे हैं क्योंकि खेतों की उर्वरता समाप्त हो चुकी है। इससे उपज में अत्यधिक रसायन आ जाता है, जो मानव स्वास्थ्य पर घातक असर डालता है। इस गंभीर समस्या को लेकर समय-समय पर सरकार और न्यायालय द्वारा कई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इस दिशा में वकीलों का यह कदम एक सामाजिक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो इस मुद्दे को गंभीरता से उठाता है।

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