Indore News: इंदौर में प्रोफेसर का विवादित असाइनमेंट स्टूडेंट्स से लिखवाया अपनी ही मौत का शोक संदेश

Indore News | इंदौर के देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में एक असाइनमेंट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्रोफेसर डॉ. अतुल भरत ने अपने MBA के छात्रों से उनकी खुद की मौत पर शोक संदेश लिखवाने के लिए कहा। इस असाइनमेंट ने छात्रों और उनके अभिभावकों में चिंता और आक्रोश उत्पन्न कर दिया है। प्रोफेसर इसे Creative Thinking का हिस्सा मानते हैं, जबकि कई लोग इसे असंवेदनशील और विवादित मान रहे हैं।

शोक संदेश का उदाहरण

छात्रों को अपनी फोटो के साथ एक शोक संदेश लिखने के लिए कहा गया। एक छात्र ने अपने शोक संदेश में लिखा, “यह विश्वास करना कठिन है कि अब आप हमारे बीच नहीं हैं। वे एक सकारात्मक और समाज के लिए समर्पित व्यक्ति थे। एक सफल Businessman और अरबपति होने के साथ-साथ उन्होंने कई युवाओं को रोजगार प्रदान किया। उनके Business ने कई परिवारों को अच्छा जीवन जीने का अवसर दिया। उन्होंने गांवों में Education और चिकित्सा की मुफ्त सुविधाएं प्रदान की और कई Scholarships भी दीं। पूरे भारत को उन पर गर्व है।”

प्रोफेसर का स्पष्टीकरण

डॉ. अतुल भरत ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “करीब 110 छात्रों में से केवल एक छात्रा ने इस असाइनमेंट पर आपत्ति जताई थी। उसने कहा था कि उसकी Mom ने इसे लिखने के खिलाफ सलाह दी है। मैंने इस छात्रा को कोई दंड नहीं दिया और उसने Class भी अटेंड की। यह असाइनमेंट Creative Thinking का हिस्सा है और कई वर्षों से चल रहा है। मैंने HOD को जवाब दे दिया है।”

आलोचना और प्रतिक्रिया

पूर्व कार्य परिषद सदस्य आलोक डावर ने डॉ. भरत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह का असाइनमेंट छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और उनके परिवारों को भी परेशान कर सकता है। स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के HOD प्रो. कन्हैया आहूजा ने बताया कि वे प्रोफेसर से जवाब मांग चुके हैं और इसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

प्रोफेसर की अन्य भूमिकाएं

प्रोफेसर डॉ. भरत न केवल स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाते हैं, बल्कि IPS और एक्रोपोलिस कॉलेज में भी विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं।

यह विवाद शिक्षण विधियों और उनके मानसिक प्रभाव को लेकर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म देता है।

(नोट: यह ब्लॉग सिर्फ सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसका उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं है।)

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