Gwalior News: मांढरे वाली माता मंदिर सिंधिया घराने की कुलदेवी की अद्भुत प्रतिमा

Gwalior News | ग्वालियर में गुरुवार से Navratri उत्सव की धूमधाम शुरू हो गई है। श्रद्धालु सुबह से Navdurga के मंदिरों में देवियों के दर्शन करने के लिए उमड़ रहे हैं। जब ग्वालियर के बड़े और प्रसिद्ध मंदिरों का जिक्र होता है, तो कैंसर पहाड़िया पर स्थित 150 साल पुराना मांढरे वाली माता मंदिर चर्चा का एक प्रमुख विषय बन जाता है।

मंदिर की स्थापत्य कला और देवी की प्रतिमा

इस शहर में मांढरे वाली माता का मंदिर केवल पुराना ही नहीं है, बल्कि इसकी Architecture भी अद्वितीय है। यहां स्थित अष्टभुजा वाली मां काली की प्रतिमा सबसे दिव्य और अद्भुत मानी जाती है। कहा जाता है कि महिषासुर मर्दिनी माता महाकाली की कृपा से सिंधिया राजवंश का आज तक पतन नहीं हुआ है, जबकि भारत के कई Royal परिवार समाप्त हो चुके हैं।

रोचक कहानी और मंदिर की स्थापना

ग्वालियर के कैंसर पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर की स्थापना का एक दिलचस्प History है। सिंधिया रियासत के एक Colonel आनंद राव मांढरे को एक रात माता ने सपने में दर्शन दिए। इसके बाद, तत्कालीन Maharaja ने इस मंदिर का निर्माण कराया। सिंधिया महल में एक विशेष Window भी है, जहां से राजपरिवार के सदस्य सीधे मां के दर्शन कर सकते हैं। इस मंदिर में नौ दिन विशेष श्रृंगार का आयोजन किया जाता है, जो कि यहां की पूजा अर्चना का विशेष महत्व दर्शाता है।

आनंद राव मांढरे का योगदान

150 साल पहले, ग्वालियर के कैंसर पहाड़िया Road पर यह मंदिर आनंद राव मांढरे द्वारा स्थापित किया गया था। वह मांढरे वाली माता के महान भक्त थे। जब वह ग्वालियर में Officer बने, तो माता को अपने साथ यहां लाए। मांढरे वाली माता की मान्यता है कि आनंद राव को एक दिन माता ने सपने में दर्शन दिए और उनसे कहा कि किसी अच्छे स्थान पर Pran Pratishtha कराई जाए। इस पर उन्होंने तत्कालीन महाराजा को सपने में माता के आदेश की जानकारी दी। इसके फलस्वरूप, कैंसर पहाड़िया पर इस मंदिर का निर्माण हुआ।

शमी पूजन का महत्व

दशहरे पर इस मंदिर में Shami का पूजन भी होता है। मंदिर के व्यवस्थापक मांढरे परिवार के अनुसार, प्राचीन काल से सिंधिया राजवंश दशहरे के दिन शमी के वृक्ष का पूजन करता आ रहा है। वर्तमान में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बेटे और सरदारों के साथ पारंपरिक परिधान धारण कर यहां आकर मत्था टेकते हैं।

भक्तों की राय

मंदिर में दर्शन करने आई सोभा ने कहा, “मैं आज मांढरे की माता के मंदिर आई हूं। मांढरे की माता का नाम बहुत प्रसिद्ध है। यह हमारे मराठा समुदाय का मंदिर है, और यहां से जो भी मन्नत मांगता है, उसकी पूरी होती है।”

Leave a Reply