Jammu Kashmir News | हरियाणा में बीजेपी ने लगातार तीसरी बार Power प्राप्त की है, और इस तरह वह ऐसा करने वाली इकलौती Party बन गई है। उसने 90 में से 48 Seats अपने नाम की हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस Government बनाने की दिशा में हैं, जबकि बीजेपी ने 29 Seats जीती हैं, जो उसके लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
Brand मोदी की वापसी
इन नतीजों का राष्ट्रीय स्तर पर क्या Impact होगा? क्या Brand मोदी एक बार फिर लौटेगा? आने वाले महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों में इसका क्या असर पड़ेगा? इस पर 7 अध्यायों में चर्चा करते हैं।
Rallies का प्रभाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कुल 7 Rallies कीं। इनमें से 4 हरियाणा में और 3 जम्मू-कश्मीर में हुईं। इन Rallies के जरिए पीएम ने दोनों राज्यों की 42 Seats को कवर किया, जिनमें से 22 Seats पर बीजेपी को जीत मिली है। इस तरह पीएम का स्ट्राइक रेट 52% रहा।
नई Seats
मोदी की Rallies के चलते बीजेपी ने 7 नई Seats जीती हैं—5 हरियाणा में और 2 जम्मू-कश्मीर में।
मोदी का रणनीतिक उपयोग
हरियाणा में बीजेपी ने ‘Brand मोदी’ का खुलकर उपयोग नहीं किया। 2019 में पीएम ने 6 Rallies की थीं, जबकि इस बार केवल 4 Rallies कीं। चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने ‘मोदी की गारंटी’ जैसे Slogan का बहुत कम उल्लेख किया।
सीनियर Journalist हर्षवर्धन त्रिपाठी के अनुसार, “इस जीत से यह स्पष्ट है कि ‘Brand मोदी’ अभी भी कायम है। महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी इस Brand का लाभ उठाएगी। बीजेपी ने समझ लिया है कि किसी चीज का ओवरलोड सही नहीं होता। इसलिए उसने हरियाणा में पीएम का उपयोग आवश्यकतानुसार किया और स्थानीय नेतृत्व को आगे बढ़ाया।”
रणनीति का दोहराव
बीजेपी इसी रणनीति को आगामी विधानसभा चुनावों में भी अपनाएगी। मोदी उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जहां बीजेपी को पुनर्विकास की आवश्यकता है, जबकि अन्य स्थानों पर स्थानीय नेतृत्व प्रदर्शन करेगा।
चुनावी नुकसान और वापसी
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 370 का नारा दिया था, लेकिन वह 240 Seats पर सीमित रह गई थी। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में उसे बड़ा नुकसान हुआ था। पांच महीने बाद, अब बीजेपी को एक बड़ी जीत मिली है। हरियाणा में किसी Party की यह लगातार तीसरी बार Government में वापसी है, और बीजेपी ने 2014 के प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया है।
जीत का महत्व
हर्षवर्धन त्रिपाठी ने बताया, “लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल कुछ कमजोर पड़ा था। लेकिन इस जीत के बाद, उनके लिए यह एक Tonik के रूप में कार्य करेगी। हरियाणा जैसे राज्य में जहां बीजेपी के खिलाफ एंटी-इनकम्बेंसी फैक्टर था, वहाँ जीत हासिल करना उनका आत्मविश्वास बढ़ाएगा।”
इंडिया ब्लॉक में खींचतान
हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद इंडिया ब्लॉक में खींचतान शुरू हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी में होने वाले उपचुनावों के लिए 6 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
उद्धव गुट के शिवसेना के मुखपत्र सामना में यह लिखा गया है कि “अति आत्मविश्वास और अहंकार के कारण हार हुई। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी यही हुआ।”
दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल ने भी बिना नाम लिए कांग्रेस पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि “चुनाव परिणामों का सबसे बड़ा सबक यह है कि चुनावों में कभी अधिक आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए।”
कांग्रेस पर दबाव
इंडिया ब्लॉक में शामिल TMC भी कांग्रेस को घेर रही है। TMC सांसद साकेत गोखले ने कहा कि “अहंकार और क्षेत्रीय दलों को नीची नजर से देखना विनाश का कारण बनता है।”
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “मैं याद दिलाना चाहता हूं कि लोकसभा में इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस पहले स्थान पर थी।”
सीट शेयरिंग में कंप्रोमाइज
एक्सपर्ट्स का मानना है कि महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों में सहयोगी पार्टियां उस पर दबाव बनाएंगी। Seat शेयरिंग में कांग्रेस को उनके साथ कंप्रोमाइज करना पड़ेगा।
टिकट बदलने की रणनीति
बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में 132 सांसदों के Ticket काट दिए थे, जिनमें से 95 सांसद जीत गए थे। यानी 71% Seats जीतने में बीजेपी सफल रही। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने एक तिहाई यानी 22 Seats पर उम्मीदवार बदल दिए थे, जिनमें से 12 Seats पर जीत मिली है। यानी करीब 55% Seats बीजेपी ने हासिल की हैं।
मौजूदा विधायकों का Ticket काटना
महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी उम्मीदवार बदलने की रणनीति दोहराएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि एंटी-इनकम्बेंसी फैक्टर को न्यूट्रलाइज करने के लिए बीजेपी ने यह रणनीति अपनाई, जो काफी सफल रही।
चुनाव से पहले CM बदलने की संभावना
बीजेपी ने हाल के वर्षों में कई राज्यों में चुनाव से पहले CM बदल दिए हैं। इनमें से कर्नाटक को छोड़कर बाकी तीन राज्यों में बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है। हरियाणा में भी बीजेपी ने 6 महीने पहले मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले चुनावों में भी बीजेपी ऐसा कर सकती है।
छोटे दलों की विफलता
हरियाणा विधानसभा चुनाव में चार प्रमुख छोटे दल मैदान में थे—आम आदमी पार्टी, जननायक जनता पार्टी (JJP), इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और बहुजन समाज पार्टी (BSP)। इनमें से तीन दलों का खाता नहीं खुला। इनेलो को केवल 2 Seats मिलीं। आम आदमी पार्टी ने 90 में से 88 Seats पर उम्मीदवार उतारे, जिनमें से उनकी जमानत जब्त हो गई।
बाइपोलर इलेक्शन की ओर बढ़ता देश
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 90 में से 67 Seats पर मुकाबला बाइपोलर रहा। यानी करीब 74% Seats पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला हुआ।
अंतिम स्थिति
अभी तक कांग्रेस तीन राज्यों में खुद के दम पर और एक राज्य में सहयोगियों के साथ Government में थी। अब कांग्रेस के खाते में जम्मू-कश्मीर जुड़ गया है। वह कुल पांच राज्यों में सरकार में शामिल हो गई है। हरियाणा में बीजेपी ने 48 Seats जीतकर तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।