Delhi News | पिछले कुछ महीनों में मालदीव और भारत के बीच संबंधों में तनाव देखा गया है, विशेषकर लक्षद्वीप विवाद के बाद। तनाव को कम करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में मालदीव का दौरा किया। इस दौरे के दौरान भारत और मालदीव के बीच कई महत्वपूर्ण Agreements किए गए हैं।
मालदीव: चीन से दूर भारत के करीब?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तीन दिन के मालदीव दौरे के दौरान राष्ट्रपति मुइज्जू से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा मालदीव के Development के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने UPI Payment को भी हरी झंडी दिखाने का काम किया और आवश्यक Documents पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा कई अन्य Issues पर भी सहमति बनी है, जिसमें Culture से लेकर अन्य क्षेत्र शामिल हैं।
मालदीव ने भारत को दी धन्यवाद
इस मौके पर राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत सरकार और PM नरेंद्र मोदी का धन्यवाद अदा किया। उन्होंने कहा कि भारत की इस मदद से सुरक्षा, विकास और सांस्कृतिक संबंध और अधिक समृद्ध होंगे। मुइज्जू का यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अक्सर भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं और चीन के करीबी दोस्त के रूप में भी उनकी पहचान है।
मालदीव का बदलता रुख
मालदीव की आर्थिक स्थिति के खराब होने के कारण उसने भारत से मदद की उम्मीद जताई है, जिसने उसे भारत के सामने झुकने और मदद की गुहार लगाने पर मजबूर किया है। चीन ने इस मालदीव दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि चीन का मालदीव के साथ कोई विशेष संबंध नहीं है और भारत चीन के डर का उपयोग करके इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है।
मालदीव-लक्षद्वीप विवाद क्या है?
मालदीव-लक्षद्वीप विवाद तब शुरू हुआ जब PM मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया और मालदीव ने टिप्पणी की कि उनके देश के मुकाबले यहां कुछ भी नहीं है। इसके बाद दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया, जिसके कारण मालदीव को काफी नुकसान उठाना पड़ा और कई लोगों ने मालदीव के टिकट तक कैंसिल कर दिए।