Gwalior News | ग्वालियर हाई कोर्ट में Shakkar Karakhana Kailaras के 56 Retired कर्मचारियों और उनके परिवारों को बकाया भुगतान का मुद्दा बढ़ता जा रहा है। मुरैना कलेक्टर अंकित अष्ठाना ने हाई कोर्ट में दो दिन पहले 90 दिन के भीतर कर्मचारियों को भुगतान की सहमति दी थी। लेकिन शुक्रवार को उनके वकील ने कोर्ट में एक Affidavit पेश किया।
Affidavit में लिखा गया कि यदि Liquidator 90 दिन में प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाता, तो कलेक्टर कार्यालय RRC Certificate का क्रियान्वयन विधि के अनुसार करेगा। इस पर जस्टिस विशाल मिश्रा ने नाराजगी जताते हुए कहा कि गुरुवार को कलेक्टर ने 90 दिन में प्रक्रिया पूरी करने और RRC के क्रियान्वयन की Undertaking दी थी। अब शपथ पत्र के माध्यम से सारी जिम्मेदारी Liquidator पर डाली जा रही है।
वीसी के माध्यम से जुड़े मुरैना कलेक्टर
सुनवाई के अंत में, VC के माध्यम से मुरैना कलेक्टर सुनवाई में शामिल हुए और कहा कि उनकी नीयत नेक है। यदि कोर्ट निर्देश देगी, तो वे सोमवार से RRC क्रियान्वयन की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। कोर्ट ने उनकी बात को खारिज करते हुए कहा कि Affidavit में उपयोग की गई भाषा से ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है। कोर्ट ने कलेक्टर को अब शनिवार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया है।
कलेक्टर से सवाल: जवाब पेश करने से पहले पढ़ते नहीं क्या?
सुनवाई के दौरान, जब हाई कोर्ट ने कलेक्टर के Affidavit पर नाराजगी जताई, तो अंकित अष्ठाना ने कहा, “क्या मैं आपको शपथ पत्र में लिखी गई भाषा की मंशा बता सकता हूं? शब्दों का चयन गलत हो सकता है।” इस पर कोर्ट ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “क्या आप जवाब पेश करने से पहले उसे पढ़ते नहीं हैं?”
मामला क्या है?
Gratuity के लिए पत्नी ने याचिका दायर की। लहोई बाई शाक्य के पति कारखाने से रिटायर कर्मचारी थे। 23 जून 2015 को उनकी मृत्यु हो गई। Gratuity भुगतान को लेकर पत्नी ने सहायक श्रमायुक्त के पास आवेदन दिया, जिस पर 1.50 लाख रुपए भुगतान का आदेश किया गया। भुगतान न होने पर RRC जारी की गई। हालांकि, तब भी भुगतान नहीं हुआ तो हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी। सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ कि भुगतान से जुड़े कुल 56 Cases हैं। जो काफी समय से लंबित हैं। कोर्ट को यह भी बताया गया कि भुगतान के लिए कारखाने की जमीन की नीलामी के लिए Liquidator की प्रक्रिया 2019 में शुरू की जा चुकी है। Liquidator की नियुक्ति के साथ ही जमीन की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन Tender किन्हीं कारणों से निरस्त हो गया। सुनवाई के दौरान कलेक्टर मुरैना ने कहा कि जब तक नीलामी नहीं हो जाती, बकाया राशि का भुगतान कैसे किया जा सकता है? इस पर कोर्ट ने कहा कि आप शासन से संपर्क करें। शासन के पास पर्याप्त पैसा है।
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