Datia News: ताला तो छोड़िए, घर में रखी रोटी नहीं ला पाए: दतिया में 7 मौतों के बाद 40 परिवार बेघर, बोले- आधी रात घर से निकाला, अब बंधक जैसी जिंदगी

Datia News | रात 10 बजे हमें घर से बाहर निकाल दिया गया और घरों में ताले (Locks) जड़ दिए गए। उन्होंने हमें इतना भी समय नहीं दिया कि खाने-पीने और ओढ़ने-बिछाने का सामान ले पाते। सुबह बच्चों को लेकर वापस घर गए, लेकिन थोड़ी देर बाद फिर से जाने को कहा गया। ताला लगाने की तो छोड़िए, घर में रखी दो रोटी भी नहीं ला सके। कपड़े न होने के कारण कई दिनों से नहाया तक नहीं है। ऐसा लग रहा है, जैसे बंधक (Hostage) बन गए हों।”

यह दर्द है सीमा वंशकार का। सीमा राजगढ़ पैलेस की सुरक्षा दीवार (Wall) के किनारे अपने परिवार के साथ रहती थीं। 12 सितंबर को रिकॉर्ड बारिश के बाद सुरक्षा दीवार का एक हिस्सा ढह गया था, जिसमें एक ही परिवार के पांच लोग समेत 7 की जान चली गई थी। जबकि पिता-पुत्र गंभीर रूप से घायल हुए थे। दीवार के मलबे में दो मकान भी ढेर हो गए थे। 16 और 17 सितंबर को तेज बारिश के बाद दीवार के कुछ हिस्से ढहने लगे थे। इसके बाद प्रशासन ने 17 सितंबर को देर रात दतिया पैलेस और राजगढ़ पैलेस के सुरक्षा किनारे बसे 40 से ज्यादा परिवारों को मैरिज गार्डन और धर्मशाला में शिफ्ट (Shift) कर दिया था। तब से ये परिवार यहीं रह रहे हैं। उनका आरोप है कि शिफ्टिंग के बाद से उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

शहरवासियों की सुरक्षा के लिए बनी दीवार अब खतरा

400 साल पहले शहरवासियों की सुरक्षा के लिए खड़ी की गई विशाल दीवार (Wall) आखिर कैसे इनके लिए खतरा बन गई। दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल की और उन परिवारों से भी बात की, जो अपना घर छोड़कर यहां-वहां जीवन गुजार रहे हैं।

परिवारों का दर्द

“शीला मोंगिया कहती हैं- इसी जगह हमारी तीन पीढ़ी गुजरी हैं। जब यहां कुछ नहीं था, तब से रह रही हूं। स्वामीजी महाराज ने हमारे सामने वन खंडेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण किया था। मैंने मंदिर निर्माण में काम किया। अब यहीं फूलों की टोकरी (Basket) लगाती हूं। प्रशासन ने हमारे घर में ताला डालकर हमें बेघर कर दिया है, अब कहां जाएं? खाने-पीने को भी कुछ नहीं मिल रहा है।”

“छोटे-छोटे बच्चों के साथ कहां जाऊं। कपड़े तक नहीं निकालने दिया। बिस्किट (Biscuit) खाकर दिन गुजार रहे हैं। कहते हैं- जब तक Season है, 15-20 दिन बाहर ही गुजारो। बीमार हैं, कैसे यहां गुजर-बसर करें।”

घर से सामान निकालने में कठिनाई

“गोविंद मोंगिया बताते हैं कि 17 सितंबर की रात घर पर थे। अचानक प्रशासनिक टीम आई और कहा- जल्दी बाहर निकलो। पलभर में घर से बेघर कर दिया, फिर कोई पूछने तक नहीं आया। ऐसा कहीं होता है क्या? रात में मकान खाली करवा लिया और अपने ताले (Locks) डाल दिए। हमें यहां वाटिका में लाकर छोड़ दिया। पहले दिन सुबह प्रशासन ने सुध ली, फिर कोई नहीं आया। खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं है।”

“छोटे बच्चे और माताएं-बहनें अपना घर छोड़कर यहां रहने को मजबूर हैं। बच्चों के खाने के लिए बाजार से खरीदकर कुछ ला रहे हैं, लेकिन अब तो पैसे भी खत्म हो गए हैं। न तो हमें हमारे घर में जाने दे रहे हैं, न ही हम काम पर जा पा रहे हैं। अगर घरों में चोरी (Theft) हो गई तो कौन जिम्मेदार होगा? जरूरी सामान तक नहीं निकालने दे रहे हैं।”

400 साल पहले की दीवार

दतिया शहर को 11 किलोमीटर लंबी और 400 साल पुरानी दीवार ने सुरक्षा प्रदान की। आज यह दीवार ही खतरा बन गई है।

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