9 साल पहले अनुपयोगी मशीनों का भुगतान: 4.32 करोड़ का आदेश

शिवपुरी News |9 साल पहले नगर पालिका द्वारा खरीदी गई 71.69 लाख रुपये कीमत की आठ मशीनों का 4.32 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है। यह आदेश एमएसएमई (Madhya Pradesh Micro, Small & Medium Enterprises) काउंसिल भोपाल द्वारा इंदौर की एजेंसी के दावे पर आधारित है। जब नगर पालिका ने जांच के लिए दल गठित किया, तो यह सामने आया कि जिन मशीनों को खरीदा गया था, वे अनुपयोगी थीं और तत्कालीन नपा पीआईसी ने एजेंसी को इन मशीनों को लौटाने का ठहराव प्रस्ताव पारित किया था। हालांकि, तत्कालीन सीएमओ ने आठों मशीनों की रिसीविंग लेकर उन्हें वापस नहीं किया और न ही ठेकेदार को बिल का भुगतान किया। इस सब के बावजूद, एजेंसी ने नगर पालिका को केवल चार मशीनें ही दी थीं, लेकिन सीएमओ की लापरवाही के कारण एमएसएमई काउंसिल ने सभी आठ मशीनों का भुगतान आदेश जारी किया।

मशीनों का आदेश और सीएमओ की लापरवाही

जानकारी के मुताबिक, नगर पालिका शिवपुरी के तत्कालीन सीएमओ कमलेश शर्मा ने 27 जून 2015 को सफाई व्यवस्था के लिए इंदौर की एजेंसी, “Aditi Sales and Horticulture” से आठ मशीनों का वर्क ऑर्डर जारी किया और उसी दिन मशीनों की रिसीविंग भी कर ली। लेकिन नगर पालिका में आठ में से केवल चार मशीनें ही उपलब्ध हुईं। यही नहीं, परिषद ने मशीनों की दर भी स्वीकृत नहीं की थी, फिर भी सीएमओ ने मशीनों को ले लिया।

दूसरे सीएमओ रणवीर कुमार के कार्यकाल में, 17 अगस्त 2016 को पीआईसी ने इन मशीनों को अनुपयोगी मानते हुए एजेंसी को इन्हें वापस करने का ठहराव पारित किया। इसके लिए नपा सीएमओ को अधिकृत किया गया। 6 मार्च 2018 को एजेंसी को सामग्री वापस करने के लिए पत्र लिखा गया, लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया और न ही मशीनों को वापस किया। इस दौरान पांच और सीएमओ बदले, लेकिन किसी ने भी मशीनों को लौटाने की कोशिश नहीं की। अंत में, एजेंसी ने एमएसएमई काउंसिल भोपाल में दावा पेश किया, जिस पर फोरम ने तीन गुना चक्रवर्ती ब्याज सहित आठों मशीनों के लिए 4.32 करोड़ रुपये का भुगतान आदेश जारी किया। यह राशि अब बढ़कर 6 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।

नहीं ली गई वित्तीय स्वीकृति, बिना प्रक्रिया के हुआ भुगतान

2023 में, सीएमओ केशव सिंह सगर के समय में एमएसएमई काउंसिल से नपा को भुगतान के आदेश हुए। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि 10 लाख रुपये से अधिक की सामग्री खरीदने के लिए पीआईसी से वित्तीय प्रशासकीय स्वीकृति लेना अनिवार्य था, जो तत्कालीन सीएमओ कमलेश शर्मा ने नहीं लिया था। बिना स्वीकृति के ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया जारी कर दी गई।

नगर पालिका द्वारा बिना प्रक्रिया के की गई खरीदारी

27 जून 2015 को वर्क ऑर्डर जारी किया गया और उसी दिन मशीनों को स्वीकार भी कर लिया गया, जबकि खरीदी प्रक्रिया का किसी तरह से पालन नहीं किया गया था। नगर पालिका इस खरीदारी को एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के रूप में देख रही है। एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि चार मशीनें जो आयीं, वे अब रख-रखाव के बिना पूरी तरह से कंडम हो चुकी हैं और बेकार हो चुकी हैं।

सीएमओ के बयान और भविष्य की कार्रवाई

“हमने जांच की और पाया कि टेंडर प्रक्रिया की शर्तों का पालन नहीं हुआ था। पीआईसी से दर स्वीकृति नहीं ली गई और नगर पालिका में केवल चार मशीनें ही उपलब्ध हुईं। इसके बावजूद, तत्कालीन सीएमओ ने वर्क ऑर्डर जारी करते हुए उसी दिन आठों मशीनों की रिसीविंग कर ली। अब एमएसएमई काउंसिल से 71.69 लाख रुपये की कीमत वाली मशीनों का 4.32 करोड़ रुपये का भुगतान आदेश जारी किया गया है, साथ ही कुर्की के आदेश भी दिए गए हैं। यह राशि बढ़कर 6 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। हालांकि, हम इस मामले को हाईकोर्ट में ले गए हैं और वहां से स्टे (रोक) मिला है।” – इशांक धाकड़, सीएमओ, नगर पालिका शिवपुरी

सीएमओ का कार्यकाल और मशीनों की वापसी

नगर पालिका में 2015 से लेकर 2022 तक कई सीएमओ पदस्थ रहे, जिनमें कमलेश शर्मा, रणवीर कुमार, जीपी भार्गव, सीपी राय, केके पटेरिया, जीपी भार्गव और शैलेश अवस्थी शामिल थे। इनमें से सिर्फ जीपी भार्गव ने ही सामग्री की वापसी के लिए पत्र लिखा था।

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