Drone Business REFFTO Founder News l जब मैं 3-4 महीने का था, तब मेरे दादा उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में रहते थे और मेरे माता-पिता महाराष्ट्र के अमरावती में। एक दिन गांव से Letter आई कि दादा की तबीयत काफी खराब है।
हमारे पास अमरावती में एक Dairy बिजनेस था, जिसमें 50-60 गायें थीं। हमारा सब कुछ वहां था, यहां तक कि कुछ खेती की जमीन भी। सब कुछ बेचकर पापा को गांव वापस जाना पड़ा।
गांव पहुंचकर पापा ने दादा का Treatment करवाया, लेकिन कुछ साल बाद उनकी मृत्यु हो गई। मुझे तो उनका चेहरा भी याद नहीं है।
इसके बाद पापा शहर लौटे नहीं। उन्होंने गांव में कई बिजनेस किए, लेकिन हर बार असफल रहे। हमारा गांव Development में नहीं था, जहां मिट्टी के मकानों पर फूस का छप्पर था। वहां रहने और खाने-पीने की परेशानियां थीं।
अब सोचिए, जिस गांव में Road, बिजली और पानी की सुविधा नहीं है, वहां कोई Drone की बात कैसे कर सकता है।
आदित्य यादव की यात्रा
23 साल के आदित्य यादव, जो Drone के Components सेट कर रहे हैं, अपनी यात्रा साझा कर रहे हैं। वह ‘रेजेस इंडिया’ नामक ड्रोन Manufacturing कंपनी के Co-Founder हैं।
आदित्य ने भोपाल से Computer Science में B.Tech किया है। उनका 2018-22 सेशन था। आदित्य पिछले 6 साल से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रह रहे हैं। वह कहते हैं, जिस पिछड़े इलाके से मैं आता हूं, वहां इन सब चीजों के बारे में सोच पाना भी मुश्किल था।
मेरी पढ़ाई Government स्कूल में हुई है। पैदल स्कूल जाता था। पापा के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह किसी अच्छे स्कूल में पढ़ा सकें। अब अमरावती में हमारे पास कुछ था नहीं, प्रतापगढ़ पिछड़ा हुआ था, तो पापा ने कटनी शिफ्ट करने का फैसला किया।
कटनी आने के बाद उन्हें एक Factory में काम मिल गया। बाद में उन्होंने अचार और मुरब्बा बनाने वाली एक Company जॉइन कर ली। वह हमेशा कहते थे, “अमरावती में जो था, यदि वह आज भी रहता, तो हमें यह दिन नहीं देखने पड़ते।”
पापा की इच्छा थी कि मैं इंजीनियरिंग करके कोई भी Settled Job करूं। इस तरह की सोच यूपी-बिहार में हर मिडिल क्लास फैमिली की होती है। वह अक्सर मुझसे कहते थे कि मैंने अपनी लाइफ में जो स्ट्रगल देखे हैं, मैं नहीं चाहता कि तुम भी वह फेस करो। इसलिए बिजनेस की जगह नौकरी ढूंढो।
ड्रोन बिजनेस की शुरुआत
‘2018 की बात है। 12वीं के बाद इंजीनियरिंग के लिए मैं भोपाल आ गया। कॉलेज का पहला साल रहा होगा। सच कहूं, तो मैं पढ़ाई में बहुत तेज नहीं था। Average Student था।
क्लास में सबसे पीछे बैठता था। हालांकि सब्जेक्ट की थ्योरी से ज्यादा मेरा मन Practical में लगता था। मेरे एक सीनियर थे, जो किसी ड्रोन प्रोजेक्ट से रिलेटेड Competition पर काम कर रहे थे।
मेरा तो Computer Engineering था। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं ड्रोन Competition में पार्टिसिपेट करूंगा। यह पहली बार था, जब मैंने ड्रोन को छूकर देखा। इसके बारे में पढ़ा। मैंने हां कह दिया।
संयोग देखिए कि पहली बार पार्टिसिपेट किया और पहली बार में ही First आ गया। वहां से जो ड्रोन का सफर शुरू हुआ, वह चलता ही रहा।’
आदित्य की ड्रोन Competition में पार्टिसिपेट करने के दौरान की तस्वीर है। वे अब तक 60 से ज्यादा इवेंट में पार्टिसिपेट कर चुके हैं।
आदित्य कहते हैं, ‘एक ड्रोन Competition जीतने के बाद मैं लगातार अलग-अलग ड्रोन Competition में पार्टिसिपेट करने लगा और जीतने भी लगा।
अब तक 60 से ज्यादा ड्रोन Competition में पार्टिसिपेट कर चुका हूं। इससे मेरा Confidence भी बढ़ता गया।
चुनौतियाँ और सफलता
2020 के बाद की बात है। केंद्र सरकार ने ड्रोन के Commercial इस्तेमाल की अनुमति दे दी थी। मैं ड्रोन पर Research करता रहता था।
अब फीस भरने के जो पैसे आते थे, उसे मैं ड्रोन के Research में खर्च कर देता था। इसी तरह से मैंने एक Company के लिए ड्रोन बनाया। सोचा कि जब यह ड्रोन बिक जाएगा, तो उस पैसे से फीस भर दूंगा, लेकिन बाद में वह Company ड्रोन लेने से इनकार कर गई।
अब न ड्रोन बिका और न मेरी Semester फीस जमा हुई। आखिर में दोस्तों से उधार लेकर फीस भरनी पड़ी। ऐसा भी समय आया कि मैं Samosa खाकर दिनभर रह जाता था। पैसे ही नहीं होते कि कुछ और खाऊं।’
आदित्य की ड्रोन बनाने के दौरान की तस्वीर है। उन्होंने इसकी शुरुआत कॉलेज के सेकंड Semester से कर दी थी।
ड्रोन की मांग और कंपनी की सफलता
आदित्य कहते हैं, ‘कोरोना के बाद से Agriculture और Medical सेक्टर में ड्रोन की बहुत Demand है। मार्केट में कंपनियां अपने मुताबिक ड्रोन बनाकर बेचती हैं, लेकिन हम Customized ड्रोन बेचते हैं।
इनाम में जीते हुए पैसों से मैंने कंपनी शुरू की। करीब डेढ़ लाख रुपए मैंने अलग-अलग Competition में जीते थे। इन्हीं रुपयों से मैंने ड्रोन बनाना शुरू किया था।
जब मैं किसी Competition में जाता था, तो लोग मेरे पहनावे और बोलचाल को लेकर मजाक भी उड़ाते थे। पूछते थे कि कहां के रहने वाले हो। मैं अपने शहर का नाम बताता, तो चौंकते हुए कहते- यह कहां है। मैंने तो कभी नहीं सुना।’
आदित्य के साथ इस कंपनी के Co-Founders राहुल सेन और निखिल रायकवार हैं।
इस समय आदित्य के पास 100 से ज्यादा Clients हैं। वह मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में Agriculture Field में काम कर रहे हैं।
आदित्य कहते हैं, ‘2020 की ही बात है। एक Company ने मुझे Robot Design करने के लिए दिया। मैंने किया भी। अब उससे जो मुनाफा हुआ, वह उस Company को मिला। मैंने सोचा कि जब मैं किसी दूसरी Company के लिए काम कर सकता हूं, तो फिर खुद की कंपनी के लिए क्यों नहीं।
ड्रोन बनाने के बाद मैंने ड्रोन Industry में काम करने वाले कुछ लोगों से मिलना शुरू किया। मेरी उम्र देखकर उन्होंने मेरे काम पर शक किया। Deal Cancel कर दी। काफी मशक्कत के बाद पहला Government Project मिला।
अब धीरे-धीरे कंपनी को लेकर लोगों में विश्वास बन रहा है। हम Customized ड्रोन के अलावा Educational Institute को ड्रोन Lab भी Provide कराते हैं।’
आदित्य कहते हैं, ‘कंपनी बनाने के बाद कई बार मेरे साथ धोखा हो चुका है। मैं Team बनाकर काम करता, लेकिन बहुत दिनों तक वह Team नहीं टिकती। कुछ लोग काम छोड़कर अपना खुद का काम शुरू कर देते हैं।
एक बार मेरे एक Co-Founder ने भी धोखा दिया था। दरअसल, ड्रोन बनाने से कुछ साल पहले तक मैं T-Shirt भी बेचा करता था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी मार्केट Down हो गई। नुकसान होने लगा।
मैंने जब काम शुरू किया था, तो घरवालों को बताया भी नहीं था कि अपना बिजनेस कर रहा हूं। करीब 6 महीने बाद उन्हें पता चला। पापा बहुत गुस्सा हुए। उन्हें पता चल चुका था कि जो पैसे वह फीस के लिए भेजते थे, उसे मैं ड्रोन डेवलप करने में Invest कर देता था। हालांकि बाद में उन्हें लगा कि मैंने जो किया, अच्छा ही किया।
मैं कभी भी Job नहीं करना चाहता था। कभी Placement में भी नहीं बैठा। पिछले साल हमने करीब 60 लाख के ड्रोन बेचे थे। इस साल हम एक करोड़ का बिजनेस कर रहे हैं। जिस तरह से ड्रोन की मार्केट में Demand बढ़ रही है, जल्द ही हम कुछ और नए प्रोडक्ट मार्केट में Launch करेंगे।’