Garments News | 80 के दशक की बात है। ग्वालियर में दादा का Grain का बिजनेस था। आर्मी को जो Logistics पहुंचाई जाती थी, कैंटीन होते थे, उसके कॉन्ट्रैक्ट दादाजी लेते थे। इस सिलसिले में दादा के साथ-साथ पापा भी Travel करते थे।
तकरीबन 2 साल वे पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में थे। इस दौरान वे दिल्ली से Clothes भी खरीदकर, ग्वालियर में सिलाई के बाद आर्मी कैंटीन में सप्लाई करते थे। धीरे-धीरे उन्हें कपड़ों की Quality और सिलाई-बुनाई की समझ होने लगी।
पापा जब अपने दोस्तों के साथ बैठते थे, तो Clothes, Brands और Ready-made Garments की बात करते थे। उस जमाने में यह बड़ी बात थी। जो ऊंचे घराने के लोग थे, वही रेडीमेड कपड़े पहनते थे।
पापा को लगा कि ग्वालियर में भी Ready-made Garments का बिजनेस शुरू किया जा सकता है। पापा ने अपनी Scooter बेचकर Denison कंपनी शुरू की, जिसे मैंने 2014-15 के बाद नए तरीके से Market में लॉन्च किया।
दोपहर के तकरीबन 11 बज रहे हैं। ग्वालियर बेस्ड Ready-made Garments बनाने की कंपनी ‘Denison India’ के Founder अश्विनी सेठ कहानी सुना रहे हैं।
वे कहते हैं, ‘कभी सोचा नहीं था कि खुद की कंपनी होगी। Manufacturing Unit होगी। एक वक्त ऐसा भी आया कि एक-दो बार नहीं, तीन-तीन बार मुझे Job से निकाला गया। खुद को लाचार समझने लगा था।’
Denison India के Founder अश्विनी सेठ हैं। अश्विनी Water-proof कपड़े भी बनाते हैं, जिस पर कोई दाग-धब्बा नहीं लगता है।
कुछ देर रुकने के बाद अश्विनी कपड़ों की Quality दिखाने लगते हैं। कहते हैं, ‘पापा का आज भी Offline बिजनेस है। मैं सिर्फ Online सेल करता हूं। कई बार ठोकर खाने के बाद मेहनत की बदौलत यहां पहुंचा हूं। आज से तकरीबन 8 साल पहले इस इंडस्ट्री में आया। सपना तो Engineering का था, लेकिन वह नहीं हो पाया।
कंपनी की शुरुआत एक Shirt बनाने और बेचने से हुई थी। आज हम 9 Categories में Products बना रहे हैं। Market Trend के हिसाब से अलग-अलग Design में Men’s और Women’s Category में Formal, Informal, Casual Ready-made Dresses बनते हैं। पूरी Manufacturing In-house होती है।
Cotton के अलावा Bamboo, Banana और Hemp Fiber, इन सारी Categories में हमारे कपड़े होते हैं। हमारा Target है कि हर व्यक्ति Stylish दिखे।’
अश्विनी की ये College के दिनों की तस्वीरें हैं। उन्होंने दिल्ली के Hauz Khas Village स्थित एक Fashion Institute से Designing का Course किया है।
आप Engineer बनना चाहते थे?
‘दरअसल उस वक्त हर मां-बाप यही चाहते थे कि उनका बेटा Doctor, Engineer बने। ये 2006-07 की बात है। मैंने Boarding School से पढ़ाई की है। बचपन से बाहर रहा। महीने-दो महीने पर घरवाले मिलने के लिए आते थे।
12वीं के दौरान Engineering की तैयारी के लिए राजस्थान के Kota चला गया। वहां जाने के बाद देखा कि लाखों बच्चों की भीड़ है। एक Class में डेढ़ सौ, दो सौ बच्चे पढ़ रहे हैं। यदि Test में Marks अच्छे नहीं आ रहे, तो दूसरे Section में डाल दिया जा रहा है।
यह सब देखकर मेरा तो डर से कलेजा कांपता था। कुछ महीने की तैयारी के बाद परेशान रहने लगा। Depression में चला गया। सोचने लगा कि यहां तो भेड़-बकरी की तरह बच्चों की भीड़ है। दरअसल मैं Average Student रहा हूं। Class में Passing Marks आ जाएं, यही बड़ी बात। मैं Kota से वापस ग्वालियर आ गया।
घर वापस आने पर फिर वही समस्या कि अब करना क्या है?
बचपन से घर में Clothes, बिजनेस… इन्हीं सब चीजों को सुनते हुए बड़ा हुआ। कपड़ों के Bolts की सुगंध नाक में घुली रहती थी। मुझे याद है- पापा जब बिजनेस को लेकर Travel करते रहते थे, तो मैं Shop पर चला जाता था। Clothes के Boxes तैयार करता था। कपड़ों के Bolts के ऊपर ही सो जाता था। बिजनेस बैकग्राउंड को देखते हुए मैंने BBA में Admission ले लिया।’
अश्विनी ने 2014 में MBA कम्प्लीट करने के बाद Garments Industry में काम करना शुरू किया था। कंपनी की शुरुआत 2018-19 में की।
अश्विनी मुझे अपनी Factory दिखा रहे हैं। सामने दर्जनों Machines लगी हुई हैं। कपड़ों की सिलाई हो रही है। अश्विनी कहते हैं, ‘मैंने एक साल का दिल्ली से Fashion Designing का भी Course किया है। मेरा भले ही फैमिली बैकग्राउंड कपड़ों का था, लेकिन मैं खुद की बदौलत नया बिजनेस नहीं खड़ा कर सकता था।
अब मुझे तो इतना भी पता नहीं था कि Product को बेचना कैसे हैं। Production कैसे होगा। मैंने एक Designer के पास Job कर ली। एक किस्सा बताता हूं- एक Lehenga था, जो बेहद महंगा था। मैंने उसे Auto में ही गलती से छोड़ दिया। इस घटना के बाद उस Designer ने मुझे टॉर्चर करना शुरू कर दिया।
आखिर में परेशान होकर मुझे Job छोड़नी पड़ी। उसके बाद दिल्ली के Chandni Chowk इलाके की एक साड़ी की दुकान पर Job की। मैं नहीं चाहता था कि घरवालों से पैसे मांगू। मुझे किसी तरह काम सीखना था और अपने पैरों पर खड़ा होना था, लेकिन तीन-चार महीने बाद मुझे यहां से भी हटा दिया गया।
अब दो बार Job से निकाला जा चुका था। मैं वापस ग्वालियर आ गया। कुछ महीने बाद बहुत सोचने, समझने के बाद MBA में Admission ले लिया।’
अश्विनी अपने पिता के साथ हैं। उनके पिता ने Scooter बेचकर Ready-made Garments की कंपनी शुरू की थी। कुछ महीने बाद फिर से उन्होंने उसी Scooter को खरीद लिया था।
…. फिर पापा के बिजनेस को जॉइन कर लिया? मैं अश्विनी से पूछता हूं।
वह कहते हैं, ‘मैंने अपने पापा को देखा था कि उन्होंने शून्य से बिजनेस को खड़ा किया था। अब मुझे इस Legacy को आगे बढ़ाने के बजाय अपना कुछ अलग और बड़ा करना था।
पापा की कंपनी जॉइन करने के बजाय मैंने MBA के बाद Job करने की फिर से ठानी। एक कंपनी में Placement हो गया। दिल्ली पहुंचने के बाद एक Room भी रेंट पर ले लिया, लेकिन धीरे-धीरे चीजें खराब होने लगीं। महज 24 दिन बाद ही मुझे कंपनी से जाने के लिए कह दिया गया। Job से Fire कर दिया। अब मुझे भी लगने लगा था कि मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा हूं। खुद को लाचार महसूस करने लगा।’
अश्विनी कहते हैं, ‘फिर भी मैंने हार नहीं मानी। कुछ और कंपनी के साथ काम किया। 2014-15 की बात है। इंडिया में E-commerce का चलन बढ़ रहा था। पापा की फैक्ट्री के स्टॉक में कुछ माल पड़ा हुआ था। मेरे एक दोस्त ने अपने प्लेटफॉर्म से इसे बेचने की बात कही।
मैंने उसे पूरा स्टॉक दे दिया, लेकिन कुछ महीने बाद उसने महज 10-15 हजार रुपए ही दिए। इसके लिए भी कई बार जाना पड़ रहा था। ऐसा लगने लगा था कि मुझसे अच्छी जिंदगी, तो एक भिखारी की है। बाद में मैंने बचा हुआ माल वापस ले लिया। यहां से मुझे लगा कि क्यों न अपना बिजनेस ही शुरू करूं। मैंने खुद से E-commerce प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट बेचना शुरू किया।’
अश्विनी ने जब कंपनी की शुरुआत की, तो एक वक्त ऐसा भी आया जब उनकी कंपनी बंद होने की नौबत आ गई।
मुझे याद है- करीब डेढ़ लाख रुपए के Investment से मैंने इस बिजनेस को शुरू कर दिया। उस वक्त आसपास के Local Market में भी जाकर Product बेचता था। लोग अलग नजरिए से देखते थे। उन्हें लगता था कि वे राजा हैं और मैं अपना Product बेचने जा रहा हूं, तो गिरा हुआ हूं। काफी मशक्कत करनी पड़ती थी।
कई बार ऐसा भी हुआ कि Market में Product देने के बाद भी पैसे नहीं मिले। तब मैंने Online ही Market पर फोकस करना शुरू किया। कुछ Designers के साथ मिलकर अलग-अलग Trend के हिसाब से Garments बनाकर Sell करना शुरू किया।
शुरुआत में तो बमुश्किल दो-चार, दस Orders ही आते थे। आज की तारीख में हर रोज करीब एक हजार Orders हम Deliver कर रहे हैं। कंपनी का सालाना Turnover 10 करोड़ है। कंपनी की Valuation 20 करोड़ की है। एक वक्त ऐसा भी आया, जब हम दिवालिया होने की कगार पर आ गए।’
अश्विनी की ये Team फोटो है। अभी उनकी कंपनी में तकरीबन 100 लोग काम कर रहे हैं।
अश्विनी वो किस्सा बताते हैं। कहते हैं, ‘उस Online में Fake Orders भी बहुत आते थे। इसमें बहुत नुकसान हो गया। इतने पैसे भी नहीं थे कि हम अपने Vendor को वापस दे पाएं। हमने आसपास के वैसे Artisans को Onboard किया, जिनके पास Machines तो थीं, लेकिन काम नहीं था।
जो भी स्टॉक में Product थे, उसे Discount Rate पर बेचना पड़ा। फिर हमने उसी प्लेटफॉर्म पर फोकस किया, जहां से Orders आ रहे थे। नहीं तो, पहले तो एक-दो Orders के लिए भी दिनभर इंतजार करना