Indore News: पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय को बल्ला कांड में बरी किया गया फरियादी ने कहा- फोन पर बात कर रहा था, नहीं पता किसने मारा

Indore News | इंदौर नगर निगम के अफसर को बल्ला मारने के आरोप में पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय समेत सभी 10 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। यह मामला देशभर में चर्चित रहा, लेकिन कोर्ट में ऐसा क्या हुआ कि पूरी कहानी पलट गई। Eye-Witnesses और पुलिस अधिकारियों ने अपने बयान बदल दिए, और जो Video था, उसकी सच्चाई भी अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर पाया।

दैनिक भास्कर ने इस Court Order को देखा और पाया कि न तो गवाह अपने पुराने बयानों पर टिके रह सके, न ही अभियोजन पलटते गवाहों को ठीक से Cross-Examine कर पाया। Government Lawyer को अपने ही गवाहों से सवाल पूछना पड़ा, जिनका बयान मामले की शुरुआत में कुछ और था और अब कुछ और हो गया। इन गवाहों में शिकायतकर्ता, नगर निगम के चार अधिकारी, और दो पुलिसकर्मी शामिल हैं।

गवाहों के बदलते बयान: पूर्व विधायक के खिलाफ कैसे पलटे बयान

  1. धीरेंद्र बायस (शिकायतकर्ता, जिन्होंने केस दर्ज कराया)
    • पुलिस से: आकाश विजयवर्गीय ने समर्थकों के साथ बल्ले से पिटाई की और धमकी दी।
    • कोर्ट में: मैं Phone पर बात कर रहा था। मुझे नहीं पता कि बल्ला किसने मारा।
  2. सुनील तायड़े (नगर निगम के बेलदार और घटना के चश्मदीद)
    • पुलिस से: मैंने टीम के साथ मौके पर जाकर देखा। तायड़े को सबसे महत्वपूर्ण मानते हुए अदालत में पहले चश्मदीद गवाह के रूप में पेश किया गया।
    • कोर्ट में: घटना स्थल पर मैं मौजूद नहीं था। Viral Video देखकर घटना का पता चला। मैं केवल अनुश्रुत गवाह था।
  3. राज ठाकुर (प्रभारी उप यंत्री और वीडियो देने वाले)
    • पुलिस से: विजयवर्गीय ने नगर निगम अधिकारी के साथ मारपीट की। दो Pen Drives भी उपलब्ध कराए।
    • कोर्ट में: मौके पर अचानक भीड़ आने पर मैं एक परिचित की दुकान पर चला गया। मैंने Social Media पर बायस को चोटिल देखा। Pen Drive किसने उपलब्ध कराई, मुझे नहीं पता।
  4. वीरेंद्र कुमार उपाध्याय (सहायक रिमूवल अधिकारी और बल्ला जब्त करने वाले)
    • पुलिस से: रात को 10 बजे एमजी रोड थाने से Phone आया। पुलिस ने मुझे घटना स्थल पर ले जाकर टूटा हुआ बल्ला जब्त किया।
    • कोर्ट में: बल्ला किसी भी Cricket खिलाड़ी के पास हो सकता है। जब्ती से पहले बल्ला मैंने नहीं देखा। यह नहीं कह सकता कि पुलिस ने बल्ला सुनसान गली में रखा था या नहीं।
  5. असित खरे (भवन अधिकारी, घटनास्थल पर मौजूद)
    • पुलिस से: रिपोर्ट करने वाले अधिकारी का समर्थन करता हूं।
    • कोर्ट में: मैं भीड़ देखकर मौके से चला गया। मैंने थाने की ओर जाने के बाद पता चला कि मारपीट हुई थी। मैं आरोपियों को पहचान नहीं सकता।
  6. लालसिंह जामोद (पहले मौके पर पहुंचे पुलिस ASI)
    • पुलिस से: सूचना पर मौके पर पहुंचा और भीड़ को तितर-बितर किया। आकाश विजयवर्गीय और उनके समर्थक मौजूद थे।
    • कोर्ट में: मेरे मौके पर पहुंचने से पहले घटना हो चुकी थी, इसलिए मुझे जानकारी नहीं।
  7. अश्विन कल्याणे (प्रभारी सहायक रिमूवल अधिकारी और प्रत्यक्षदर्शी)
    • पुलिस से: भीड़ देखकर Bathroom चला गया था। भगदड़ मचने पर वहां से निकल गया।
    • कोर्ट में: मुझे नहीं पता कि आकाश विजयवर्गीय समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे और बल्ले से मारपीट की।
  8. प्रहलाद सिंह खंडाते (उपनिरीक्षक एमजी रोड थाना और जांच अधिकारी)
    • पुलिस से: मैंने शिकायतकर्ता की पहचान पर पंचनामा बनाया। दो Pen Drives जब्त की गई और पूरे मामले की जांच की।
    • कोर्ट में: घटना के दो घंटे बाद मौके पर पहुंचा था। बल्ला किससे जब्त किया गया, Video किसने बनाया, या Pen Drive किसने तैयार की, यह प्रमाणित नहीं कर सकता।

निष्कर्ष

पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय और उनके समर्थियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। पांच साल पहले विधायक रहते हुए आकाश विजयवर्गीय पर नगर निगम के अधिकारियों को Cricket के बल्ले से पीटने का आरोप लगाया गया था। आकाश के साथ आरोपी बनाए गए दस अन्य लोगों को भी कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है।

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