Delhi News: दिल्ली की एयर क्वालिटी पर SC – हालात इमरजेंसी जैसे केंद्रीय एजेंसी से पूछा – पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं, आपका काम केवल कागज पर

Delhi News l सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दिल्ली के प्रदूषण मामले की सुनवाई हुई। पराली जलाने के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई न करने के कारण कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को फटकार लगाई।

कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण के चलते इमरजेंसी जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। CAQM से पूछा गया कि क्या पराली जलाने की गतिविधियों में कोई कमी आई है? आप पराली जलाने के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? लगातार मीटिंग्स क्यों नहीं हो रही हैं?

कोर्ट ने पूछा कि क्या CAQM अधिनियम की धारा 14 के तहत कोई कार्रवाई की गई है? सब कुछ कागज पर है और आप मूकदर्शक बने हुए हैं।

अगर आप यह संदेश नहीं देते कि कानून का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, तो ये प्रावधान केवल कागज पर ही रह जाएंगे। आप बताइए कि दिल्ली की एयर क्वालिटी में सुधार हुआ है या नहीं।

पिछली सुनवाई के दौरान 27 अगस्त को कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली-NCR के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में कर्मचारियों की कमी के कारण काम ठीक से नहीं हो रहा है।

कोर्ट ने पांच राज्यों को आदेश दिया कि वे खाली पड़ी नौकरियों को 30 अप्रैल 2025 तक भरें, ताकि प्रदूषण पर काबू पाया जा सके।

मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह की बेंच कर रही है।

CAQM का जवाब – 10 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद हुईं

CAQM के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने बताया कि उन्होंने समिति बनाने के बाद 82 कानूनी आदेश और 15 सुझाव जारी किए हैं। उनकी टीम ने 19,000 जगहों का निरीक्षण किया है और 10,000 से ज्यादा फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि CAQM पिछले तीन साल से अस्तित्व में है, लेकिन इसने केवल 82 निर्देश जारी किए हैं। इतनी कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। आयोग को और अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है। आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके निर्देशों से प्रदूषण की समस्या कम हो रही है या नहीं।

दरअसल, केंद्र सरकार ने 2021 में CAQM का गठन किया था। इसे दिल्ली-NCR और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए स्थापित किया गया है।

दिल्ली का प्रदूषण, 3 सरकारों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और पंजाब सरकार से पूछा था कि प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के किसानों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की। कोर्ट ने कहा था कि पराली जलाने वाले किसानों को विलेन बना दिया जाता है। कोई भी उनका पक्ष नहीं सुनता है। किसानों के पास पराली जलाने के लिए कारण जरूर होंगे।

पंजाब सरकार को उन्हें पराली जलाने से रोकने के लिए सहायता राशि प्रदान करनी चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा था कि पिछले छह साल में यह सबसे प्रदूषित नवंबर रहा है। हमें समस्या का पता है और उस समस्या को हल करना आपका कर्तव्य है।

कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश की सरकारों से कहा कि प्रदूषण की समस्या का समाधान खोजना आपका काम है।

कोर्ट बोला – दिल्ली और पंजाब की AAP सरकारें प्रदूषण रोकने के लिए एक्शन लें

जस्टिस एसके कॉल और एस धूलिया की बेंच ने पंजाब और दिल्ली की सरकारों से कहा कि पराली जलाने के खिलाफ सख्त एक्शन लें, जिससे दिल्ली के प्रदूषण में वृद्धि होती है।

यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को उठाया है कि प्रदूषण फैलने के मामले में सभी तरफ से किसानों को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन सुनवाई में उनका पक्ष नहीं रखा जाता। कोर्ट ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार को किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सहायता राशि देनी चाहिए। पंजाब सरकार को हरियाणा सरकार से सीखना चाहिए।

पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया – पराली जलाने वालों पर 2 करोड़ रुपए जुर्माना

सुनवाई के दौरान पंजाब के अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पराली जलाने पर हमने 1,000 FIR दर्ज की हैं और 2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। हम पराली में लगी आग को बुझा रहे हैं, लेकिन लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतर रहे हैं।

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि लोगों का सड़कों पर उतरना एक समस्या है। यह कानून व्यवस्था की स्थिति है। हम आधी रात को भी आग बुझा रहे हैं। अगले सीजन की शुरुआत से ही सख्त कदम उठाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पक्ष सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर तय की है।

अब जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा – हरियाणा से सीखिए

हरियाणा में पराली एक्स-सीटू प्रबंधन पॉलिसी लागू हो चुकी है। इसमें एक्स-सीटू के तहत फसल अवशेष को खेत से बाहर ले जाकर उसका प्रबंधन किया जाता है। हरियाणा में हर साल लगभग 30 लाख टन धान की पराली निकलती है। इस नीति के तहत धान की पराली से बिजली, बायोगैस, बायो सीएनजी, जैव-खाद, जैव-ईंधन और इथेनॉल बनाया जा रहा है। किसानों को धान के भूसे को काटने, इकट्ठा करने, बेलने, भंडारण करने और भूसे-आधारित उद्योगों व प्लांटों तक उसे पहुंचाने वाले कृषि उपकरणों और मशीनरी पर सब्सिडी दी जा रही है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा – हमारा बुलडोजर चलेगा, रुकेगा नहीं। दिल्ली के प्रदूषण पर कहा – सब्र खत्म हो रहा है।

सर्दियों के मौसम में हर साल दिल्ली की एयर क्वालिटी बहुत खराब हो जाती है।

दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट में 7 नवंबर को सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान सरकारों को सख्त आदेश दिया कि पराली जलाना तुरंत बंद किया जाए। प्रदूषण को देखते हुए हमारा सब्र खत्म हो रहा है, अगर हमने एक्शन लिया तो हमारा बुलडोजर रुकेगा नहीं।

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