Vijay 69 Review: Anupam Kher की फिल्म, 69 साल की उम्र में सीखी Swimming, अंदर तक झकझोर देगी

कहानी का प्रारंभ: विजय की खोई हुई पहचान का पुनर्निर्माण
Mumbai News। विजय मैथ्यू (Anupam Kher) को मिसेज बक्शी (Guddi Maruti) पानी में कूदते हुए देखती हैं, और यह गलतफहमी फैल जाती है कि विजय अब इस दुनिया में नहीं रहा। विजय के 30 साल पुराने दोस्त फली (Chunky Pandey) चर्च में विजय की याद करते हुए बताते हैं कि उसने तीन बार गरबा नाइट्स डांस में ट्रॉफी जीती थी। हालांकि, विजय मरा नहीं होता। वह उस रात अपने किसी दोस्त के घर रुक जाता है, जिससे मिसेज बक्शी को गलतफहमी हो जाती है।

विजय का गुस्सा: अपनी उपलब्धियों को दोबारा जानने की कोशिश
जब विजय फली द्वारा लिखे गए एक पेज को पढ़ता है, जिसमें उसकी उपलब्धियों का जिक्र था, तो उसे गुस्सा आता है। उसे लगता है कि फली ने उसकी नेशनल स्विमिंग चैंपियनशिप में तैराकी में प्राप्त कास्य पदक का उल्लेख क्यों नहीं किया। अब विजय अपनी उपलब्धियों को फिर से खोजने की कोशिश करता है, लेकिन उसे कुछ और खास नहीं मिलता।

नई चुनौती: आदित्य और विजय की ट्रायथलॉन में भागीदारी
विजय के मोहल्ले से आदित्य (Mihir Ahuja) ट्रायथलॉन में भाग लेने वाला है, जो तैराकी, साइकलिंग और दौड़ का सम्मिलित आयोजन है। विजय भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने का निर्णय लेता है, ताकि लोग उसकी इस उपलब्धि को याद रखें।

फिल्म का निर्देशन: चकाचक और प्रभावी
जब अधिकांश कमर्शियल फिल्में बिना एक अच्छी कहानी के भी बड़े बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का दावा करती हैं, वहीं यह फिल्म साबित करती है कि एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए बड़ा बजट नहीं, बल्कि एक मजबूत कहानी और सच्ची नीयत जरूरी है। फिल्म के निर्देशक और पटकथा लेखक Akshay Roy ने ना केवल कहानी में एक दमदार मोड़ दिया, बल्कि निर्देशन में भी कोई कमी नहीं छोड़ी। यह फिल्म बुढ़ापे में चीयरलीडर की भूमिका निभाने वाले साथी की कमी, सच्चे दोस्तों की आवश्यकता और खुद की पहचान पुनः ढूंढने की कहानी को बहुत सुंदर तरीके से पेश करती है।

दिल छूने वाले संवाद: 69 का मतलब क्या?
विजय का ताबूत के भीतर लेटे हुए यह सोचने वाला दृश्य, “क्या 69 साल का हो गया तो क्या सपने देखना बंद कर दूं?” यह संवाद बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है। अक्षय ने फिल्म में विजय के पात्र को किसी सुपरहीरो के रूप में नहीं, बल्कि एक असली इंसान के रूप में दिखाया है, जो उम्र के साथ जूझ रहा है और नए रास्ते की तलाश कर रहा है।

Anupam Kher की तैराकी: एक नया जज्बा
Anupam Kher ने इस फिल्म के लिए तैराकी सीखी थी, और उनकी उम्र भी 69 साल है। फिल्म में उनकी जज्बे को देखकर यह महसूस होता है कि उम्र केवल एक नंबर है। क्लाइमेक्स में जब वह फिनिश लाइन तक पहुंचते हैं, तो उनकी जीत बेहद व्यक्तिगत और प्रेरणादायक लगती है।

साइड किरदारों का प्रदर्शन
Chunky Pandey कभी-कभी पारसी भाषा में बात करना भूल जाते हैं, लेकिन उनकी भूमिका में कमी नजर नहीं आती। Guddi Maruti को देखकर लगता है कि उन्हें और अधिक काम मिलना चाहिए। सुलगना Panigrahi (बेटी) और Mihir Ahuja (प्रतिद्वंदी) का काम भी अच्छा है। Coach के रूप में Vrajesh Hirji का किरदार और अधिक स्क्रीन स्पेस का हकदार था।

समाप्ति: विजय की जीत
विजय की यात्रा सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक भी है। फिल्म यह संदेश देती है कि उम्र केवल एक आंकड़ा है और जीवन में कभी भी नए सपने देखे जा सकते हैं। Anupam Kher की इस फिल्म में वास्तविक जीवन के अनुभवों को खूबसूरती से उतारा गया है।

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