Employee Service Extend: Retirement की उम्र बढ़ाने से युवाओं को धोखा दे रही है सरकार, Congress का आरोप

Bhopal News | मध्यप्रदेश में अगले साल शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भारी कमी हो सकती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल हजारों शिक्षक रिटायर हो रहे हैं, और करीब 1 लाख सरकारी कर्मचारी भी रिटायरमेंट की कगार पर हैं। सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए नए भर्ती अभियान के बजाय कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने का फैसला ले सकती है।

सरकार ने पहले ही दिए थे संकेत प्रदेश सरकार ने पहले ही इस ओर इशारा कर दिया है। आयुष कालेजों में कार्यरत आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सकों की रिटायरमेंट उम्र को बढ़ा दिया गया है। अब तक इन चिकित्सकों की रिटायरमेंट की उम्र 62 साल थी, जिसे अब बढ़ाकर 65 साल कर दिया गया है। सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार जल्द ही अन्य सरकारी कर्मचारियों की सेवा में वृद्धि कर सकती है।

क्यों बढ़ाई जा रही है रिटायरमेंट की उम्र? सरकार का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से सभी को फायदा होगा। इस कदम से उन अधिकारियों और कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, जो रिटायरमेंट की सीमा पार करने वाले हैं। कई कर्मचारियों की नियुक्ति देर से होती है, ऐसे में उन्हें 62 साल की उम्र में रिटायर होना पड़ता है। इससे उनकी पेंशन पर भी असर पड़ता है, क्योंकि उनकी सेवा की अवधि 33 साल पूरी नहीं हो पाती। इस स्थिति में, उन्हें 50 प्रतिशत पेंशन का लाभ नहीं मिलता। सरकार का कहना है कि इस बदलाव से उसे नई नियुक्तियां करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और खजाने पर अतिरिक्त बोझ नहीं आएगा।

कांग्रेस ने सरकार पर लगाया धोखा देने का आरोप वहीं कांग्रेस ने इस फैसले को युवाओं के साथ धोखा बताया है। उनका कहना है कि रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से जूनियर कर्मचारियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, क्योंकि उन्हें प्रमोशन के लिए लंबे समय तक इंतजार करना होगा। इसके अलावा, यदि 62 साल के बाद भी कोई कर्मचारी काम करता है, तो उसकी कार्यक्षमता में कमी आने की संभावना है। नए कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होने से नए विचार और ताजगी का अभाव हो सकता है। कांग्रेस के प्रवक्ता मुकेश नायक का कहना है कि सरकार युवाओं को नौकरी देने से बच रही है और प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या को नजरअंदाज कर रही है, जबकि राज्य में 20 लाख से अधिक बेरोजगार हैं।

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