Child Commission Said States Should Stop News: बाल आयोग ने Madrasas की फंडिंग बंद करने का किया आग्रह ध्यान केवल Religious Education पर, Basic Education की कमी

Child Commission Said States Should Stop News | राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों को एक Letter लिखकर सुझाव दिया है कि Madrasas को मिलने वाला फंड समाप्त कर दिया जाना चाहिए। आयोग का कहना है कि ये Madrasas Right-To-Education (RTE) नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

रिपोर्ट के आधार पर दिया गया सुझाव

NCPCR ने “आस्था के संरक्षक या अधिकारों के विरोधी: बच्चों के Constitutional Rights बनाम Madrasas” शीर्षक से एक Report तैयार की है, जिसके आधार पर ये सिफारिश की गई है।

बच्चों को जरूरी Education से वंचित

आयोग ने यह बताया कि Madrasas में ध्यान केवल Religious Education पर केंद्रित होता है, जिससे बच्चों को आवश्यक Education प्राप्त नहीं हो पाती और वे सामान्य स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से पीछे रह जाते हैं।

बाल आयोग की तीन महत्वपूर्ण सिफारिशें

  1. Madrasas और Madrasah Boards को मिलने वाले फंड को रोका जाए।
  2. Madrasas से Non-Muslim बच्चों को हटाया जाए। संविधान के Article 28 के अनुसार, माता-पिता की अनुमति के बिना किसी भी बच्चे को Religious Education नहीं दी जा सकती।
  3. धार्मिक और Formal Education एक ही Institution में नहीं दी जानी चाहिए।

बाल आयोग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रियाएँ

“संविधान से बनी हर चीज को उलटने की कोशिश की जा रही है। यह ऐसे लोग हैं जो Hatred पर Politics करना चाहते हैं और Discrimination को बढ़ावा देते हैं।” – अखिलेश यादव, Sapa प्रमुख

UP Madrasah Act का विवाद

उत्तर प्रदेश Madrasah Act पर विवाद जारी रहा है। Supreme Court ने 5 अप्रैल 2024 को इलाहाबाद High Court के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें ‘UP Board of Madrasah Education Act 2004’ को असंवैधानिक करार दिया गया था। Court ने Center और UP सरकार से जवाब मांगा है।

High Court के निर्णय का असर

High Court का कहना था कि इस फैसले से 17 लाख छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। छात्रों को अन्य Schools में स्थानांतरित करने का निर्देश देना उचित नहीं है।

पहला याचिका दाखिल होने का समय

2012 में Darul Uloom Waqf Madrasah के Manager सिराजुल हक ने Madrasah Act के खिलाफ पहली बार याचिका दाखिल की थी। इसके बाद कई अन्य व्यक्तियों ने भी इसी विषय पर याचिकाएं दायर कीं।

सर्वेक्षण की आवश्यकता

Security Agencies और Social Organizations से मिले Input के आधार पर यह पता चला कि अवैध तरीके से Madrasas का संचालन हो रहा है। इस जानकारी के बाद, उत्तर प्रदेश परिषद और Minority Minister ने Survey कराने का निर्णय लिया।

UP Madrasah Board कानून का उद्देश्य

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित UP Madrasah Board Education Act 2004 का उद्देश्य राज्य में Madrasas की Education व्यवस्था को सुधारना था। इस कानून के तहत, Madrasas को न्यूनतम मानक पूरा करने पर मान्यता प्राप्त होती थी।

नौकरी की योग्यताएँ

उत्तर प्रदेश सरकार ने Supreme Court में कहा है कि Madrasas से पढ़े बच्चे केवल 10वीं से 12वीं की योग्यताओं वाली Jobs के लिए ही उपयुक्त होते हैं। यह जानकारी राज्य सरकार ने Madrasah Education व्यवस्था पर चल रही सुनवाई के दौरान प्रस्तुत की थी।

इस संशोधित स्क्रिप्ट में कुछ हिंदी शब्दों को अंग्रेजी में बदला गया है। यदि आपको और कोई बदलाव चाहिए या कोई अन्य जानकारी चाहिए, तो कृपया बताएं!

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