Burhanpur News | खंडवा-मुंबई रेलवे ट्रैक पर 10 डेटोनेटर रखने के आरोप में गिरफ्तार Railway कर्मचारी साबिर ने ऐसा कदम क्यों उठाया? तीन दिन की रिमांड के दौरान, साबिर ने आरपीएफ को बताया कि उसने Section Engineer को फंसाने के लिए डेटोनेटर चुराए थे। हालांकि, आरपीएफ साबिर की बात पर यकीन नहीं कर रही है, क्योंकि वह खंडवा की गुलमोहर कॉलोनी का निवासी है। यह क्षेत्र प्रतिबंधित संगठन Simi का गढ़ माना जाता है।
अब आरपीएफ उससे नए सिरे से पूछताछ करेगी। साबिर को 25 सितंबर को Court में पेश किया गया, जहां 5 दिन की रिमांड बढ़ाने की मांग की गई, जिसे Court ने मंजूर कर लिया है।
साबिर की गिरफ्तारी की कहानी
दूसरी ओर, साबिर की गिरफ्तारी की कहानी भी दिलचस्प है। वह यकीन कर रहा था कि वह पकड़ा नहीं जाएगा, लेकिन आरपीएफ डॉग ‘जेम्स’ की वजह से पकड़ में आ गया। आखिर ‘जेम्स’ साबिर तक कैसे पहुंचा? तीन दिन की रिमांड के दौरान, साबिर ने पुलिस को क्या बताया? पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
RPF स्निफर डॉग ‘जेम्स’ की मदद से पुलिस ने आरोपी तक पहुंची
19 सितंबर को आरपीएफ ने इस मामले की जांच शुरू की। घटनास्थल से आरपीएफ ने कुछ ऐसे डेटोनेटर भी जब्त किए, जो सुरक्षित थे। जांच के बाद यह पुष्टि हो गई कि ये Railway के ही डेटोनेटर हैं। इनका उपयोग Fog के समय Signal का संकेत देने या किसी आकस्मिक रुकावट का संकेत देने के लिए ट्रैक पर लगाया जाता है। यह लोको पायलट को Alert करने के लिए होता है।
यहां ऐसी कोई परिस्थिति नहीं थी, और इन्हें लगाने का कोई औचित्य भी नहीं था। इसका मतलब था कि यह किसी की साजिश या शरारत थी। मगर ऐसा करने वाला व्यक्ति कौन था, यह पता लगाना मुश्किल था। घटनास्थल पर न तो कोई CCTV लगा था और न ही कोई Eye Witness था।
इसका पता लगाने के लिए आरपीएफ ने भुसावल से विशेष प्रशिक्षित Dog ‘जेम्स’ की मदद ली। वारदात स्थल पर जेम्स को लाकर छोड़ा गया। वह वहां से 12 किमी चलकर डोंगरगांव पहुंचा। हालांकि सागफाटा से डोंगरगांव की सीधी दूरी 8 किमी ही है, लेकिन Dog जेम्स ने वह रास्ता चुना, जिस पर से होकर डेटोनेटर लगाने वाला निकला था।
जेम्स डोंगरगांव में Railway में काम करने वाले मेट साबिर के पास जाकर बैठ गया। हालांकि, साबिर ने टीम को बताया कि वह 18 सितंबर को छुट्टी पर था।
डेटोनेटर चुराने का मामला
आरपीएफ सहित अलग-अलग विभागों की 14 जांच एजेंसियां इस मामले की जांच में जुटी थीं। जब कहीं से कोई अन्य Clue नहीं मिला, तो आरपीएफ ने 22 सितंबर को साबिर को हिरासत में लिया। साबिर को हिरासत में लेने की एक वजह यह भी थी कि वह मेट के पद पर तैनात है। मेट का काम Gangmen के साथ पटरियों पर गश्त करना होता है। रेलवे में मेट को भी एक Box में डेटोनेटर जारी किया जाता है।
एक Box में 10 डेटोनेटर होते हैं। इनका उपयोग करने का कारण बताना होता है, तभी दूसरा Box जारी किया जाता है। ड्यूटी खत्म होने के बाद डेटोनेटर को Railway के Gate Man या Station Master के पास जमा करवाना होता है।
पुलिस ने साबिर से पूछा कि वह यह डेटोनेटर कहां से लाया, तो उसने कबूल किया कि उसने Senior Section Engineer के Cabin से इन्हें चुराया। आरपीएफ साबिर के साथ काम करने वाले सुरेश और विष्णु के साथ खंडवा में Senior Section Engineer (Railway Track) से भी पूछताछ कर रही है।
साबिर पर शक की वजह
साबिर खंडवा की गुलमोहर कॉलोनी का निवासी है। यह इलाका पहले Simi की गतिविधियों का गढ़ रहा है। इस कारण आरपीएफ के अलावा अन्य जांच एजेंसियां हर पहलू को देख रही हैं। आरपीएफ खंडवा प्रभारी के अनुसार, साबिर ने तीन दिन की रिमांड में अब तक यही बताया कि उसे Senior Section Engineer जानबूझकर परेशान करते थे। वह उसकी मुश्किल ड्यूटी लगाते रहते थे।
इसी वजह से उसने Senior Section Engineer की निगरानी में रखे गए डेटोनेटर का एक डिब्बा चुरा लिया था। साबिर ने बताया कि उसका मकसद Senior Section Engineer को फंसाना था, क्योंकि पूछताछ होती, तो वह इंजीनियर से होती। हालांकि, जांच एजेंसियां उसके इस बयान की सत्यता की जांच कर रही हैं।
तीन दिन की रिमांड खत्म होने के बाद साबिर को 25 सितंबर को Court के सामने पेश किया गया। पुलिस ने Court से 5 दिन की रिमांड और मांगी है।
डेटोनेटर का निर्माण और उपयोग
मध्य रेलवे के सीपीआरओ डॉ. स्वप्निल निला के अनुसार, 10 डेटोनेटर का एक Box होता है। ये डेटोनेटर खुद रेलवे द्वारा तैयार किए जाते हैं। इनका उपयोग Train रोकने और Fog में Signal की जानकारी देने के लिए किया जाता है। इनकी उपयोगिता 5 साल के लिए होती है। सात साल बाद इन्हें नष्ट कर दिया जाता है।
सीपीआरओ के अनुसार, डेटोनेटर से केवल तेज आवाज होती है। इससे कोई Train डिरेल नहीं हो सकती है। जांच इस वजह से कराई जा रही है कि जहां ये डेटोनेटर लगाए गए थे, वहां इनकी कोई आवश्यकता नहीं थी।
रेलवे एक्ट में बदलाव की तैयारी
रेलवे ट्रैक पर लगातार रची जा रही साजिशों के बाद गृह मंत्रालय Railway एक्ट 1989 की धारा 151 में बदलाव करने की तैयारी कर रहा है। वर्तमान में इस धारा के तहत Rail हादसे की साजिश सिद्ध होने पर अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार, अब इस एक्ट में उपधारा जोड़कर इसे देशद्रोह की श्रेणी में लाने की तैयारी की जा रही है। इसे लेकर कानूनी सलाह-मशविरा किया जा रहा है।