Bhopal News | मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति की Painting को पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी, लेकिन अब इसे एक नई पहचान मिली है। गोंड चित्रकला को बौध्दिक संपदा के संरक्षण के अनुरूप सफल पाया गया, और इसे GI Tag से नवाजा गया है। यह Tag गोंड चित्रकारों को Global Level पर मान्यता का प्रमाण प्रदान करेगा। वन्या ने गोंड चित्रकारी और कला सौंदर्य को मान्यता दिलाने के उद्देश्य से यह Proposal प्रस्तुत किया था। गोंड चित्रकारी को प्राचीन कला संपदा मानते हुए सभी मानदंडों पर खरा उतरने के बाद GI Tag मिला है।
राज्य की धरोहर के रूप में पेटेंट
GI Tag मिलने से अब गोंड चित्रकारी को राज्य की धरोहर के रूप में Patent किया गया है। इसके बाद अब गोंड चित्रकला और इसके प्रकाशन सामग्री का बिना अनुमति उपयोग नहीं किया जा सकेगा। GI Tag मिलने के बाद वन्या गोंड चित्रकारों के लिए एक Website बनाएगी, जिसमें वे अपनी चित्रकला को बेच सकेंगे।
पोर्टल के जरिए ही कलाकार की सामग्री बेची जाएगी
विभाग इस Website में वन्या के प्राधिकृत पत्रधारी गोंड कलाकार अपनी चित्रकला को Upload करेंगे। Buyers अपनी पसंद चुनकर Order करेंगे। यह Order वन्या तक पहुंचेगा और वन्या संबंधित गोंड कलाकार को Painting उपलब्ध कराने की सूचना Courier Service के जरिए देगी। सूचना मिलने पर गोंड कलाकार उसी Courier Service से Buyer को Painting की आपूर्ति करेगा। खरीदार Payment वन्या को करेगा और वन्या संबंधित गोंड कलाकार के Account में राशि Transfer करेगी।
गुरुकुल खोला जाएगा
इसे हासिल करने के लिए सरकार ने विशेष कदम उठाए हैं। गोंड चित्रकला के अग्रणी साधक स्व. जनगण सिंह श्याम की पुण्य-स्मृति में डिंडौरी जिले के पाटनगढ़ में एक ‘Art Centre’ स्थापित किया जा रहा है। साथ ही प्रदेश की सभी ‘Traditional Arts के Gurukul’ की स्थापना छतरपुर जिले के खजुराहो में की जाएगी। यह पारंपरिक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में देश का पहला Gurukul होगा।