Bhopal News : सरकार ने नगरपालिका के नियम में बदलाव क्यों किया? मंत्री और विधायकों के वर्चस्व की लड़ाई, पार्षदों की बगावत की 7 कहानियों से समझें

Bhopal News | मध्यप्रदेश सरकार ने Urban Local Bodies में अविश्वास प्रस्ताव की अवधि दो साल से बढ़ाकर तीन साल करने का फैसला लिया है। दैनिक भास्कर की जांच से पता चला कि इसका कारण विपक्ष या कांग्रेस के नेता नहीं हैं, बल्कि बीजेपी के अपने नेता हैं, जो अपने पसंदीदा अध्यक्षों को कुर्सी पर बैठाना चाहते हैं। इसके जरिए वे City Government पर नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं।

ये नेता अध्यक्षों के दो साल के कार्यकाल का पूरा होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उन्हें कुर्सी से हटाया जा सके। सरकार को इन Plans की भनक लग गई और Cabinet Meeting में त्वरित निर्णय लेकर इन योजनाओं पर पानी फेर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव के लिए Councillors का समर्थन हासिल करने के लिए खरीद-फरोख्त की भी तैयारी की जा रही थी, जिससे पार्टी में हड़कंप मचने की संभावना थी।

हालांकि, Cabinet Meeting से पहले कई Urban Local Bodies में अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस दिए जा चुके हैं। अब सरकार इन Proposals को संभालने में जुटी है। इस मंडे की स्टोरी में सात कहानियों के जरिए समझें कि बीजेपी के नेता अपने पसंदीदा नेताओं को कुर्सी पर बैठाने के लिए कैसे जुगत भिड़ा रहे थे।

जानिए क्यों सरकार को प्रस्ताव लाना पड़ा: 7 कहानियाँ

1. केवलारी नगर परिषद: ‘अध्यक्ष पति’ अविश्वास की असली वजह

केवलारी नगर परिषद् की अध्यक्ष सुनीता बघेल केवल एक वोट से अध्यक्ष का चुनाव जीती थीं। अब बीजेपी के 9 Councillors ने ही अपने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उनका आरोप है कि अध्यक्ष के पति देवी सिंह बघेल नगर परिषद में विधायक प्रतिनिधि बन गए हैं। यहां अध्यक्ष नहीं, बल्कि उनके पति देवी सिंह सभी फैसले लेते हैं। परिषद के हर काम में उनका दखल रहता है। उनकी अनुमति के बिना Councillors के कोई काम नहीं होते हैं।

Councillors ने जो अविश्वास प्रस्ताव दिया है, उसमें अध्यक्ष के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं। उनका कहना है कि वार्डों में काम नहीं हो रहे हैं, वे मजबूरी में अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं। Collector ने 6 सितंबर को पार्षदों से चर्चा के लिए केवलारी SDM को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।

2. चाचौड़ा नगर परिषद: अध्यक्ष का ठिकाना इंदौर, पति देखते हैं काम

चाचौड़ा नगर परिषद की अध्यक्ष सुनीता नाटानी पर आरोप है कि वे अधिकांश समय इंदौर में रहती हैं। ऐसे में परिषद के काम उनके पति प्रदीप नाटानी देखते हैं। उनसे Development Works की बात की जाती है तो वे बार-बार अपमानित करती हैं।

मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना में 9 करोड़ के घोटाले का भी आरोप है। यही वजह है कि परिषद उपाध्यक्ष रश्मि शर्मा सहित 13 Councillors ने हस्ताक्षर कर अध्यक्ष सुनीता को हटाने की मांग कर दी। बीजेपी के 6, कांग्रेस के 2 और 5 निर्दलीय Councillors ने तीन जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव नगर परिषद CMO और Collector को सौंपा है।

सूत्रों का कहना है कि अध्यक्ष का एक साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद से ही Councillors विरोध में उतर आए थे। कुछ Councillors ने अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए प्रदर्शन भी किया था। सुनीता को क्षेत्रीय विधायक प्रियंका पेंची का करीबी कहा जाता है, इसलिए संगठन स्तर पर भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। पता चला है कि जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सिकरवार ने हाल ही में नाराज Councillors की बैठक लेकर अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने की कोशिश की है।

3. बानमोर नगर परिषद: अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के बीच समन्वय नहीं

NPA अध्यक्ष के चुनाव में गीता जाटव को 9 वोट, जबकि कांग्रेस के कमल सिंह राजे को 6 वोट मिले थे। जाटव भले ही अध्यक्ष बन गईं, लेकिन बीजेपी को डर था कि निर्दलीय Councillors ने पाला बदल लिया तो अध्यक्ष पद चला जाएगा। बीजेपी के New Joining Campaign के दौरान कांग्रेस नेता राकेश मावई के साथ 4 Councillors ने भी बीजेपी की सदस्यता ले ली। ऐसे में बीजेपी ने खतरे को टाल दिया।

सूत्रों का कहना है कि उपाध्यक्ष राजवीर यादव की अध्यक्ष गीता जाटव से पटरी नहीं बैठ रही है। जाटव को पूर्व विधायक रघुराज कंसाना का समर्थक माना जाता है। डेढ़ महीने पहले उपाध्यक्ष यादव का परिषद कार्यालय में अध्यक्ष से विवाद हो गया था। इसे लेकर अध्यक्ष के साथ परिषद की तरफ से थाने में यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।

इसके बाद यादव ने बीजेपी के 9, कांग्रेस के एक Councillor को अपने पाले में लाकर 10 Councillors के समर्थन होने का पत्र Collector को सौंप दिया। बताया जाता है कि बीजेपी के जिस गुट ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है, वे राकेश मावई के समर्थक हैं। 8 अगस्त को ही अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है।

4. देवरी नगर पालिका: मंत्री-विधायक की नाक का सवाल बना अध्यक्ष पद

देवरी नगर पालिका के 12 Councillors ने अध्यक्ष नेहा जैन के खिलाफ 16 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव Collector को सौंपा है। यहां 15 Councillors में से 13 बीजेपी और 2 कांग्रेस के Councillors हैं। अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए उन्हें 7 Councillors का समर्थन चाहिए।

चुनाव के बाद से ही Councillors दो धड़े में बंट गए थे। अध्यक्ष पद के लिए नेहा के खिलाफ बीजेपी की ही आरती जैन मैदान में उतर गई थीं। उन्हें 7 Councillors का समर्थन मिल गया था, लेकिन कांग्रेस Councillor नईम खान ने नेहा जैन को समर्थन देकर बाजी पलट दी। उस समय आरोप लगा कि नेहा जैन ने खरीद-फरोख्त के जरिए अध्यक्ष पद हासिल किया।

नेहा जैन के पति अलकेश को पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल का करीबी माना जाता है। वहीं, आरती जैन के पति बबलू को देवरी विधायक ब्रज बिहारी पटेरिया का समर्थन हासिल है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बबलू के समर्थक 6 Councillors ने NPA अध्यक्ष के खिलाफ धरना दिया था।

उन्होंने अध्यक्ष पर वार्डों में विकास कार्य न करवाने के आरोप लगाए थे। एक हफ्ते तक चले धरने को कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए ब्रज बिहारी पटेरिया ने खत्म करवाया था।

विधायक ने अपने समर्थक को बनाया विधायक प्रतिनिधि

ब्रज बिहारी देवरी सीट से विधानसभा चुनाव जीते तो नगर पालिका का सियासी समीकरण भी बदल गया। विधायक बनने के बाद पटेरिया ने आरती के पति बबलू जैन को नगर पालिका में विधायक प्रतिनिधि बना दिया। इससे नगर पालिका में पटेरिया का दखल बढ़ गया।

इस दौरान नेहा जैन को अध्यक्ष पद से हटाने की मांग तेज हो गई। दो साल का कार्यकाल पूरा होते ही 16 अगस्त को 12 Councillors ने Collector को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पत्र सौंप दिया। दो दिन पहले स्थानीय नेताओं के साथ Councillors ने मुख्यमंत्री से भोपाल में मुलाकात भी की थी।

Councillors ने 20 अगस्त को Collector से मुलाकात कर जल्द से जल्द परिषद की बैठक बुलाने की मांग की है लेकिन अब यह मामला लंबित है।

5. नर्मदापुरम: एक तरफ मंत्री, दूसरी तरफ दो विधायकों के समर्थक

नर्मदापुरम नगर पालिका अध्यक्ष का पद OBC महिला के लिए रिजर्व है। बीजेपी की नीतू यादव 29 वोट लेकर अध्यक्ष बनी थीं, लेकिन 2 साल का कार्यकाल (11 अगस्त 2024) पूरा होने से पहले ही उन्हें हटाने की मुहिम शुरू हो गई।

नीतू के पति महेंद्र यादव को मंत्री राव उदय प्रताप सिंह का करीबी माना जाता है। अध्यक्ष को राज्यसभा सांसद माया नरोलिया का भी समर्थन है। बावजूद इसके उन्हें पद से हटाने के लिए 21 Councillors ने न सिर्फ मोर्चा खोला, बल्कि अविश्वास प्रस्ताव पर दस्तखत भी किए। नगर पालिका का विशेष सम्मेलन बुलाने के लिए 8 अगस्त को Collector सोनिया मीणा को पत्र भी सौंपा है।

एक स्थानीय बीजेपी नेता के मुताबिक, नगर परिषद में मंत्री उदय प्रताप सिंह के अलावा सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह और होशंगाबाद के पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा के समर्थक Councillors भी हैं। अब सिंह और शर्मा के समर्थक Councillors नीतू यादव के खिलाफ लामबंद हुए हैं।

इन Councillors की 17 अगस्त को तवा डेम रिसॉर्ट में एक बैठक भी हुई थी। Councillors का आरोप है कि उनकी अनदेखी हो रही है और अध्यक्ष विकास कार्यों में रुकावट बन रही है। इन Councillors ने 21 अगस्त को Collector से मुलाकात कर नगर पालिका का विशेष सम्मेलन बुलाने का दोबारा अनुरोध किया है।

बताया जा रहा है कि संगठन स्तर पर Councillors को मनाने की जिम्मेदारी अब प्रभारी मंत्री राकेश सिंह को सौंपी गई है।

Leave a Reply