Gwalior News l ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल (JAH) के ट्रॉमा सेंटर में Fire (आग) लग गई। इस हादसे में एक मरीज की मौत हो गई। घटना मंगलवार सुबह 7 बजे AC के Compressor Pipe के फटने से घटी। उस समय ICU में 10 मरीज भर्ती थे, जिनमें से सात की हालत गंभीर थी।
आग से मरीजों की शिफ्टिंग और हादसे का विवरण
आग लगने के बाद स्टाफ ने Fire Extinguisher (अग्निशामक यंत्र) का उपयोग कर आग पर काबू पाया। लेकिन तब तक False Ceiling और एक Bed जल चुका था। पूरे ICU में Smoke (धुआं) भर गया, जिससे मरीजों को Shifting (स्थानांतरण) करने में काफी मुश्किलें आईं। हादसे में जान गंवाने वाले शिवपुरी के आजाद खान (55) को तीन दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वे Ventilator (वेंटिलेटर) पर थे। अन्य 9 मरीजों को Neurology के ICU में स्थानांतरित किया गया है।
धुएं और आग की स्थिति
Eyewitness (चश्मदीद) और आजाद खान के बेटे आबिद खान ने बताया कि पहले AC से Smoke निकलने लगा और फिर धमाके के साथ आग लग गई। JAH के Dean (डीन) आरकेएस धाकड़ ने कहा कि आग पर तत्काल नियंत्रण पा लिया गया था, और आजाद खान की हालत बहुत नाजुक थी।
ICU में भर्ती अन्य मरीज
हादसे के समय ICU में ये मरीज भी भर्ती थे:
- Rajkumar Singh, झांसी, उत्तर प्रदेश
- Rahul Kushwaha, कंपू, ग्वालियर
- Preeti Gaud, मालनपुर, भिंड
- Rajni Rathore, अंबाह, मुरैना
- Brijendra Kumar, झांसी
- Shailendra Chauhan, नयागांव, ग्वालियर
- Paramanand, ग्वालियर
- RS Kushwaha, ग्वालियर
- Pradeep, ग्वालियर
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के बयान
घटना के समय अस्पताल में मौजूद शिव बहादुर ने बताया कि False Ceiling का Material जलने से Smoke भर गया था। सभी 10 मरीज Critical Condition (क्रिटिकल कंडीशन) में थे और उनका दम घुटने लगा था। Shifting प्रक्रिया आसान नहीं थी क्योंकि सभी Ventilator पर थे।
ग्वालियर निवासी रामानंद ने बताया कि Smoke इतना था कि कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था। अस्पताल स्टाफ ने मरीजों को Shifting करने की कोशिश की, लेकिन धुएं की वजह से भगदड़ मच गई।
राहुल सिंह के भतीजे रूपसिंह ने कहा कि आग बुझाने के बाद भी Smoke इतना था कि सांस लेना मुश्किल हो रहा था।
फायर सेफ्टी एक्ट में जटिलताएं
मध्यप्रदेश में Fire Safety Act (फायर सेफ्टी एक्ट) लागू नहीं हो सका है, क्योंकि दो विभागों के बीच विवाद चल रहा है कि Fire Services का संचालन कौन करेगा। केंद्र ने 2019 में Model Bill (मॉडल विधेयक) भेजा था, लेकिन इसे अब तक मंजूरी नहीं मिली है।