Haryana Election 2024 News | ‘मेरे बेटे ने BCA किया था। उसे Army में जाने का बड़ा जुनून था। 2-3 साल से वह Preparation कर रहा था। Preparation भी अच्छी थी, इसलिए उसे उम्मीद थी कि उसका Selection हो जाएगा। अग्निपथ स्कीम के आने से Permanent भर्ती बंद हो गई। अब चार साल के लिए अग्निवीर बनने का ही रास्ता बचा था। बेटे को बड़ा सदमा लगा और वह चला गया। उसकी मौत का कारण अग्निपथ योजना है।’
सतपाल, सचिन के पिता, अब भी अपने बेटे की याद में रोने लगते हैं, जिनकी मौत को दो साल हो गए हैं। केंद्र सरकार ने 14 जून, 2022 को अग्निपथ योजना शुरू की थी। हरियाणा के लिए यह बड़ी खबर थी, क्योंकि सैनिक देने में यह राज्य देश में छठे नंबर पर है।
नौजवानों ने इस स्कीम के खिलाफ Protest शुरू कर दिए। सबसे बुरी खबर रोहतक से आई, जहां 22 वर्षीय सचिन ने आत्महत्या कर ली।
हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं और रिजल्ट 8 अक्टूबर को आएगा। राज्य में BJP की सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में अग्निपथ योजना के खिलाफ गुस्से को मैनेज करना भी शामिल है।
अग्निपथ योजना के लगातार विरोध के बाद सरकार ने कुछ Amendments किए, लेकिन योजना बरकरार रही। दैनिक भास्कर इस योजना के असर को भांपने के लिए Rewari और महेंद्रगढ़ पहुंचा। सबसे ज्यादा सैनिक इन्हीं जिलों से आते हैं।
जगह: महेंद्रगढ़ जिले का कनीना, छितरौली और उच्चत गांव
कई साल Army में जाने की तैयारी की, अब दूसरा काम खोज रहे
कनीना गांव के अर्जुन कागड़ा कहते हैं, ’15 साल की उम्र से Army की तैयारी कर रहा हूं। सुबह 5 बजे उठकर दौड़ता था, Exercise करता था। अब Preparation छोड़ दी है। College का टाइम होता है, तब उठता हूं। 4 साल बाद बेरोजगार होने से अच्छा है, अभी से कुछ और रोजगार देख लूं।’
अर्जुन गुस्से में कहते हैं, ‘पहले गांव के मैदान Army की तैयारी करने वाले लड़कों से भरे रहते थे। अब देख लो, खाली हैं। लड़के वहां जाते भी हैं, तो नशा करने के लिए।’
छितरौली गांव के नीरज धनखड़ ने भी Preparation छोड़ दी। वे कहते हैं, ‘2 साल से Army की तैयारी कर रहा था। 4 साल की नौकरी से क्या होगा, उसके बाद क्या करूंगा।’
छितरौली के आदेश धनखड़ भी Army में जाने की तैयारी छोड़ चुके हैं। कहते हैं, ‘पहले लड़के Ground में Race लगाते थे। मैं भी 2 साल से तैयारी कर रहा था। अब अग्निवीर में तो नहीं जाऊंगा। 4 साल बाद क्या होगा, कुछ Confirm नहीं है।’
‘मेरे कुछ दोस्त अग्निवीर में Select हुए हैं। वे खुश नहीं हैं। न Salary अच्छी, न Pension। छुट्टियों का भी कोई पता नहीं। एक दोस्त छुट्टी पर घर आया था। हम घूमने Haridwar गए थे।’
अग्निवीर में Selection, लेकिन खुश नहीं; मजबूरी में Join कर रहे
छितरौली गांव के विकास ने अग्निवीर भर्ती की परीक्षा पास कर ली है। वे जल्द Army का हिस्सा होंगे। उनके चेहरे पर खुशी की जगह मायूसी है। विकास कहते हैं, ‘जितनी खुशी होनी चाहिए थी, उतनी नहीं है। मैं तो Permanent Army की तैयारी कर रहा था।’
फिर Join ही क्यों कर रहे हैं?
‘बस मजबूरी है। क्या करें, बेरोजगारी इतनी है कि कुछ और Option भी नहीं दिख रहा। हालांकि, संतुष्ट नहीं हैं।’
4 साल Army में रहकर बहुत कुछ सीखेंगे। वापस आकर उससे जुड़ी कोई नौकरी कर सकते हैं। विकास गुस्से में जवाब देते हैं, ‘4 साल में क्या ही तो सीखेंगे और क्या काम करेंगे।’
विकास की तरह ही उच्चत गांव के बिपिंदर ने भी अग्निवीर का Paper Clear कर लिया है। वे कहते हैं, ‘कोई खुशी नहीं है। Permanent भर्ती तो है नहीं। 4 साल की नौकरी के नाम पर ब्याह भी न हो रहा बालकन का। 20 हजार Salary और 4 साल बाद 15-20 लाख रुपए मिल भी गए तो क्या करेंगे। Business करेंगे, घर बनाएंगे या शादी करेंगे।’
वे आगे कहते हैं, ‘दूसरे Paper Clear नहीं हुए, अग्निवीर का हो गया। जाना तो पड़ेगा, पर खुश नहीं हूं। और कोई दूसरी नौकरी भी तो नहीं है।’
जगह: रेवाड़ी जिले का कोशली गांव
महेंद्रगढ़ के बाद हम Rewari के कोशली गांव पहुंचे। गांव के हर घर से एक-दो या उससे भी ज्यादा लोग Army में हैं। जगह-जगह शहीदों के नाम, फोटो और Statue हैं। यहां के लोग कहते हैं कि Army गांव में Career से ज्यादा Tradition है। गांव में घुसते ही एक बोर्ड दिखता है। इस पर लिखा है, ‘इस गांव से पहले World War में 247 लोग गए थे। इनमें से 6 शहीद हुए थे।’
यहां मिले कृष्ण कुमार Army की Electrical Mechanical Engineering Branch से Retire हैं। गर्व से बताते हैं, ‘मेरे पिता सोत्तार सिंह Army में थे। मेरा बेटा भी Army से Retire है। दो पोते Army में हैं।’
फिर कृष्ण कुमार धीरे से कहते हैं, एक को अग्निवीर बनना पड़ा।
क्यों? जवाब मिला- ‘मजबूरी में अग्निवीर Join करवाना पड़ा। वो Army की तैयारी कर रहा था। अब तो Permanent नौकरी मिल नहीं रही, तो क्या करते।’
मजबूरी में क्यों भेजा, वो कुछ और भी तो कर सकता था? कृष्ण कुमार कहते हैं, ‘हरियाणा में Army में जाना Tradition है। बच्चा बचपन से ही इसकी तैयारी करता है। बच्चे घरों में कई पीढ़ियों को Army में देखते हैं। इसलिए उनके दिमाग में तो Army ही रहती है। कोई और नौकरी भी तो नहीं है।’
पोता 4 साल बाद लौटेगा तो क्या करवाएंगे? कृष्ण कुमार कहते हैं, ‘आधे बच्चे तो लौटकर गुंडागर्दी करने लगेंगे। सब जवान होंगे। हथियार चलाना भी सीख लेंगे। नौकरी होगी नहीं। बेरोजगार होंगे तो क्या करेंगे, फिर लौटकर लड़ाई-झगड़ा करेंगे।’
कृष्ण कुमार अग्निवीर की कमियां गिनाते हैं, ‘एक साल में सिर्फ 15 दिन की छुट्टी मिलती है। Regular नौकरी में 3 महीने की छुट्टी है। Pension मिलेगी नहीं। Medical की सुविधा है नहीं। अभी पोते को 24 हजार रुपए महीना मिल रहा है, फिर 30 हजार मिलेंगे। 20-22 लाख रुपए लास्ट में मिलेंगे। आप बताओ, क्या इन पैसों पर पूरी जिंदगी कटेगी।’
‘अग्निवीर बहुत खराब योजना है। हरियाणा में Army जुनून है। सरकार ने अग्निवीर लाकर यहां के लोगों के साथ बहुत बुरा किया।’
गांव में शहीद जवान विजय की मूर्ति लगी है। विजय के चाचा नरेंद्र का बेटा देवेंद्र 2 साल पहले अग्निवीर बना है। नरेंद्र कहते हैं, ‘मैं विकलांग हूं, जमीन इतनी है नहीं कि गुजारा हो सके। मजबूरी न होती तो बेटे को नहीं भेजता। Permanent Army की बात दूसरी है, अग्निवीर में तो 4 साल बाद वो फिर बेरोजगार हो जाएगा।’
हालांकि, नरेंद्र कहते हैं कि सरकार 25% अग्निवीरों को Army में Permanent रखेगी। दूसरी नौकरियों में कोटा फिक्स किया है। उम्मीद है कुछ न कुछ तो हो ही जाएगा, नहीं तो बेटा Business करेगा।
कोशली गांव में ही हमें धर्मपाल मिले। उनके छोटे भाई की एक साल पहले मौत हो गई थी। वही घर में कमाने वाले थे। भाई अपने पीछे पत्नी और दो बेटियां छोड़ गए हैं।
धर्मपाल कहते हैं, ‘एक साल पहले मेरा भतीजा अग्निवीर बना। मजबूरी थी, घर उसी को चलाना है। घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि बिना नौकरी गुजारा हो सके।’
धर्मपाल खुद भी Army से Retired हैं। उनके दो भाई भी Army में थे। बेटा Airforce में है। वे भतीजे को Army में भेजना चाहते थे, लेकिन घर की स्थिति को देखते हुए अग्निवीर में जाना पड़ा। धर्मपाल को उम्मीद है कि भतीजा Permanent हो जाएगा। अगर लौटना पड़ा तो सरकार कोई न कोई Job जरूर देगी।
Training Academy सुनसान, Trainer Schools में PT Teacher बन गए
Rewari के बाद महेंद्रगढ़ Army की तैयारी का दूसरा बड़ा Hub है। यहां हम Dhunigar Academy पहुंचे। यह अब बंद हो गई है। Trainer Amit Suhag एक School में PT Teacher बन गए हैं।
अमित हमें अपनी Academy में लेकर गए। यहां बड़ी-बड़ी घास उग आई है। हमने अमित से पूछा Academy बंद क्यों की, लड़के अग्निवीर की तैयारी भी तो करेंगे ही।
अमित कहते हैं, ‘अग्निवीर योजना आने के बाद बच्चों ने तैयारी करना ही छोड़ दिया। 2018 में मैंने Academy खोली थी। मेरे पास 100 से ज्यादा बच्चे थे।