जबलपुर हाईकोर्ट का फैसला
Jabalapur News | मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि अगले शिक्षण सत्र से प्रदेश के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए सीटों की संख्या बढ़ाई जाए। हाईकोर्ट ने इस निर्णय को लागू करने के लिए सरकार को एक साल का समय दिया है।
याचिकाकर्ता का मामला
यह मामला जबलपुर के मेडिकल छात्र अथर्व चतुर्वेदी द्वारा दायर की गई याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसने EWS सामान्य वर्ग से NEET की परीक्षा दी थी और 720 में से 530 अंक प्राप्त किए थे। इसके बावजूद, निजी मेडिकल कॉलेजों में उससे कम अंक पाने वाले NRI कोटे और सरकारी स्कूल कोटे के उम्मीदवारों को सीटें आवंटित की गईं, जबकि उसे सीट से वंचित कर दिया गया।
EWS कोटे के लिए आरक्षित सीटों की मांग
याचिका में यह भी कहा गया कि मध्य प्रदेश सरकार ने निजी मेडिकल कॉलेजों में EWS के लिए सीटों का आरक्षण नहीं किया था, जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में यह आरक्षण दिया गया था। इस मुद्दे को भी याचिकाकर्ता ने चुनौती दी।
सरकारी दलीलें और हाईकोर्ट का आदेश
याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यह तर्क दिया कि नीट परीक्षा की प्रक्रिया शुरू होने के बाद याचिकाकर्ता को नियमों की जानकारी थी और प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, इसलिए नियमों में बदलाव संभव नहीं था। इसके अलावा, सरकार का यह भी कहना था कि राष्ट्रीय मेडिकल कमीशन ने निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटों के बढ़ाने का निर्देश नहीं दिया था, इसलिए EWS के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई थी।
राज्य सरकार को निर्देश
दूसरी ओर, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार ने 2019 में इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसे लागू नहीं किया। इसके कारण EWS वर्ग के उम्मीदवार निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें पाने से वंचित रह गए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, हाईकोर्ट की डबल बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि आगामी शैक्षिक सत्र से मध्य प्रदेश के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों में EWS वर्ग के लिए सीटें बढ़ाई जाएं। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सरकार को एक साल का समय दिया गया है।