IPS पर दर्ज दुष्कर्म का मामला खारिज, हाईकोर्ट का अहम निर्णय- आपसी सहमति से 4 साल तक चले प्रेम संबंध के बाद दुष्कर्म का केस दर्ज करना अनुचित

Jabalpur News । मध्यप्रदेश High Court के जस्टिस विशाल धगट की Single Bench ने दुष्कर्म के आरोप में फंसे UPSC उत्तीर्ण अधिकारी को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज दुष्कर्म केस को खारिज कर दिया। जस्टिस विशाल धगट ने अपने फैसले में कहा कि आपसी सहमति से 4 साल तक चले Relationship के बाद दुष्कर्म का मामला दर्ज करना न्यायसंगत नहीं है।

IPS पर दुष्कर्म का केस खारिज
यह मामला Narsinghpur निवासी वीर सिंह राजपूत से जुड़ा है, जिन्होंने UPSC की परीक्षा उत्तीर्ण की है और उनका Selection IPS में हो चुका है। उनके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज होने से उनका Career खतरे में था, इसलिए उन्होंने Narsinghpur Police द्वारा दर्ज किए गए दुष्कर्म केस को High Court में चुनौती दी। याचिकाकर्ता ने FIR रद्द करने की मांग की थी।

प्रेम संबंध में 4 साल तक रहे, फिर दुष्कर्म का केस अनुचित
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि अनावेदिका और उनके बीच 4 साल से प्रेम संबंध (Physical Relationship During Love Affair) थे और इस दौरान कई बार आपसी सहमति से यौन संबंध बने। जब याचिकाकर्ता का विवाह दूसरी युवती से तय हो गया, तो अनावेदिका ने शादी का झांसा देकर बलात्कार का केस दर्ज करा दिया।

कोर्ट में अनावेदिका ने आरोप लगाया कि शादी का झांसा देकर न केवल लंबे समय तक संबंध बनाए, बल्कि Blackmail करके लाखों रुपए भी ठगे गए। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि अनावेदिका एक 31 वर्षीय Educated महिला हैं और आर्थिक रूप से सक्षम हैं। इस आधार पर चार साल के प्रेम संबंध के बाद दुष्कर्म का आरोप अनुचित है। अदालत ने FIR खारिज करने का आदेश जारी किया।

याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दस्तावेज पेश किए, जिसमें बताया गया कि उन्होंने 2019 में Civil Services परीक्षा उत्तीर्ण (Jabalpur HC big decision in rape case) की थी और वर्तमान में उनकी Provisional नियुक्ति हो चुकी है। उनका जम्मू-कश्मीर से मध्यप्रदेश तबादला हुआ है और IPS में नियुक्ति हुई है। मामले के कारण उनका Future खतरे में था। दूसरी ओर, अनावेदिका ने उनके दस्तावेजों को फर्जी बताया, लेकिन शासकीय अधिवक्ता द्वारा जांच रिपोर्ट पेश करने के बाद अदालत ने इन दस्तावेजों को वैध माना।

High Court ने सरकार को आदेश दिया था कि 15 दिनों में दस्तावेजों की जांच करके Report प्रस्तुत की जाए। केंद्र सरकार के अवर सचिव की Report के अनुसार दस्तावेज कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं, जिसमें Medical और Physical Test की जानकारी थी। इसके आधार पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई को अनुचित ठहराया।

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