Haryana News | BJP सांसद और एक्ट्रेस कंगना रनोट ने कृषि कानूनों पर अपने दिए बयान पर बुधवार को माफी मांगी। उन्होंने कहा, “यदि मेरे शब्दों से किसी को निराशा हुई है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।” एक्ट्रेस का यह बयान भाजपा के किनारा कर लेने के बाद आया।
सुबह BJP प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक वीडियो जारी कर कहा कि कंगना को तीन कृषि कानूनों पर बोलने का अधिकार नहीं है। कंगना ने 23 सितंबर को हिमाचल में एक इवेंट के दौरान कहा था, “किसानों के जो Laws हैं, जो रोक दिए गए, उन्हें वापस लाना चाहिए। किसानों को खुद इसकी Demand करनी चाहिए।”
राहुल बोले- सरकार की नीति कौन तय कर रहा
राहुल गांधी ने 25 सितंबर को सोशल मीडिया पर लिखा, “सरकार की नीति कौन तय कर रहा है? एक बीजेपी सांसद या प्रधानमंत्री मोदी? 700 से ज्यादा किसानों, खासकर हरियाणा और पंजाब के किसानों की शहादत ले कर भी बीजेपी वालों का मन नहीं भरा। INDIA हमारे अन्नदाताओं के विरुद्ध बीजेपी का कोई भी षडयंत्र सफल नहीं होने देगा। अगर किसानों को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई कदम उठाया गया, तो मोदी जी को फिर से माफी मांगनी पड़ेगी।”
कंगना बोलीं- मेरी इस बात से बहुत लोग निराश हैं, मुझे दुख है
कंगना ने X पर एक वीडियो जारी कर कहा, “बीते कुछ दिनों में मीडिया ने मुझसे Farmers Laws (कृषि कानून) पर सवाल किए। मैंने सुझाव दिया कि किसानों को Farmers Laws लाने का प्रधानमंत्री जी से निवेदन करना चाहिए। मेरी इस बात से बहुत सारे लोग निराश और Disappointed हैं।
जब Farmers Laws प्रपोज (प्रस्तावित) हुए थे, तो कई लोगों ने इनका समर्थन किया था। लेकिन, बड़ी ही Sensitivity से और सहानुभूति के साथ हमारे प्रधानमंत्री जी ने वे Laws वापस ले लिए थे। हमारे कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है कि हम उनके शब्दों की गरिमा रखें।”
जानिए पूरा मामला…
23 सितंबर: कंगना रनोट ने कहा- किसानों के हितकारी कानून वापस आने चाहिए
दो दिन पहले ही हिमाचल में एक इवेंट के दौरान मीडिया से बात करते हुए कंगना ने तीन कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने की मांग की थी। कंगना ने कहा कि किसानों के जो Laws हैं, जो रोक दिए गए, उन्हें वापस लाना चाहिए। हमारे किसानों की Prosperity में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।
“हमारे किसान Pillar Of Strength (मजबूती के स्तंभ) हैं। उन्हें खुद अपील करनी चाहिए कि हमारे तीनों कानूनों को लागू किया जाए। हमारे कुछ राज्यों ने इन कानूनों पर आपत्ति जताई थी, उनसे हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि इन्हें वापस लाएं।” बता दें कि नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने 14 महीने के किसान आंदोलन के बाद ये कानून वापस लिए थे।
कंगना के बयान पर 4 रिएक्शन…
- भाजपा का बयान से किनारा: भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, “सोशल मीडिया पर BJP सांसद कंगना रनोट का तीन कृषि कानूनों को लेकर दिया बयान चल रहा है। ये कानून पहले ही वापस लिए जा चुके हैं। मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि यह बयान कंगना रनोट का व्यक्तिगत है। BJP की ओर से ऐसा कोई बयान देने के लिए उन्हें अधिकृत नहीं किया गया है।”
- जेडीयू का बयान: जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता केसी त्यागी ने कहा, “कंगना आखिर किसकी मदद कर रही हैं? आज हरियाणा में कई जगहों पर उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। वह हमेशा लाइमलाइट में रहने के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे बयानों से BJP और NDA की छवि खराब होती है।”
- कांग्रेस की चुनौती: हरियाणा कांग्रेस ने कहा कि भाजपा फिर से तीन कृषि कानून वापस लाने का प्लान बना रही है। कांग्रेस किसानों के साथ है। “भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितना भी जोर लगा लें, ये कानून लागू नहीं होने दिए जाएंगे।”
- अकाली दल का बयान: पंजाब के अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर ने भाजपा से कंगना को पार्टी से निकालने और उन पर National Security Act (NSA) लगाने की मांग की। वहीं, पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि भाजपा अपने किसान विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कंगना का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने सरकार से तत्काल स्पष्टीकरण देने की मांग की थी।
किसानों को लेकर कंगना के पूर्व में दिए गए बयानों की चर्चा
दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कंगना ने कहा था कि किसान आंदोलन में रेप-मर्डर हुए थे।
पहला बयान: महिला किसान पर टिप्पणी
किसान आंदोलन के दौरान कंगना ने 27 नवंबर 2020 को रात 10 बजे एक फोटो पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था कि किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई महिला वही मशहूर बिलकिस दादी है, जो शाहीन बाग के प्रदर्शन में थी। यह पोस्ट बाद में डिलीट कर दी गई थी, लेकिन कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे शेयर किया था।
दूसरा बयान: किसान आंदोलन में रेप-मर्डर हुए
अगस्त में भास्कर को दिए इंटरव्यू में कंगना ने कहा था कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता, तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। किसान बिल को वापस ले लिया गया, वरना इन उपद्रवियों की बहुत लंबी प्लानिंग थी।
2020 में लाए गए थे 3 कृषि कानून
5 जून 2020 को केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए तीन कृषि बिल लेकर आई। सितंबर 2020 को केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में Farm Bill 2020 लेकर आई। दोनों सदनों से यह बिल पास हुए, लेकिन किसानों को यह बिल मंजूर नहीं थे।
किसानों को आशंका थी कि नए बिल से मंडियां खत्म हो जाएंगी और MSP System खत्म हो जाएगा। बड़ी कंपनियां फसलों की कीमतें तय करने लगेंगी। वे इसके विरोध में उतर आए। पंजाब के किसान रेल की पटरियों पर बैठ गए, लेकिन सरकार ने उन्हें वहां से हटा दिया।
19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “हम कुछ किसानों को समझाने में विफल रहे।”
आखिरकार 14 महीने की तकरार के बाद 29 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों से बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से कृषि कानून वापस ले लिए गए। 11 दिसंबर को किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया और दिल्ली बॉर्डर पर विजय दिवस मनाया।