Bareli News । आज Karwa Chauth का व्रत सुहागिनें रख रही हैं। विभिन्न समाज की महिलाएं किस तरह व्रत करती हैं, आज इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे।
सिख समाज का करवाचौथ व्रत
रेसीडेंसी गार्डन की निवासी नवनीत कौर ने बताया कि करवाचौथ पारंपरिक त्योहार भले ही न रहा हो, लेकिन पिछले 10-15 वर्षों में इस त्योहार का समाज में महत्व तेजी से बढ़ा है। अब देखा-देखी अधिकांश महिलाएं Karwa Chauth का व्रत रखने लगी हैं, खासकर नई पीढ़ी। सिख समाज में करवाचौथ व्रत की शुरुआत भोर के चार बजे से होती है, जो सास द्वारा बहू को दिए गए सरगी (थाल) से प्रारंभ होती है।
सरगी में फेनी, मिठाई, दही, जलेबी, मीठी-नमकीन मठरी, फल आदि शामिल होते हैं, जिन्हें दम्पती सुबह उठकर एक साथ खाते हैं। करवाचौथ की पूजा से पहले सुहागिनें घर में सामूहिक रूप से कथा का आयोजन करती हैं। समाज में यह माना जाता है कि करवा चौथ के दिन घर में सुई-धागा, चाकू या छुरी का उपयोग नहीं करना चाहिए। रसोई में साबुत सब्जियां या कच्चा भोजन (दाल, चावल, कढ़ी, दही भल्ला) आदि बनते हैं।
सिंधी समाज का करवाचौथ
सिंधी समाज: सिंधु नगर कालोनी की निवासी प्रीति केसवानी ने बताया कि सिंधी समुदाय में करवाचौथ नई परंपराओं में शामिल है। पारंपरिक रूप से, करवा चौथ के दिन महिलाएं गणेश चौथ का व्रत रखती हैं। व्रत की शुरुआत सुबह पूजा-पाठ के बाद होती है। व्रत में चाय, फल, और ड्राई फ्रूट का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन दूध का सेवन नहीं करते। यह परंपरा बूढ़े-बुजुर्गों के दौर से चली आ रही है। व्रत रखने वाली महिलाएं पूजा के दौरान रात में चंद्रमा को दूध और पानी का अर्घ्य देती हैं।