Indian Army Nazir Ahmad Wani News l 25 नवंबर 2018, दक्षिण कश्मीर में आतंकियों का गढ़ माने जाने वाला Shopian। रात का वक्त। हाड़ कंपाने वाली सर्दी और Snowfall। कस्बे के बाहरी इलाके में 34 राष्ट्रीय राइफल्स के जवान Camp Fire में दिनभर की थकान मिटा रहे हैं। जवानों के साथ बड़े Officers भी मौजूद हैं।
तभी, Wireless पर एक सीक्रेट Message आता है। ड्यूटी पर तैनात Havildar उसे Commandant के पास लेकर जाते हैं। Message पढ़ते ही Commandant तेज कदमों से सीक्रेट Meeting के लिए Scale Model के पास पहुंचते हैं। कुछ ही देर में यूनिट के बाकी Officers भी आ जाते हैं। Special Operation Group के Commandos को बुलाया जाता है।
Commandant Scale Model के एक गांव पर अपना Rule रखते हुए कहते हैं, ये Heerapur है। हमें पक्का Input मिला है कि इस घर में Hizbul Mujahideen और Lashkar-e-Taiba के छह आतंकी मौजूद हैं। इनमें से एक आतंकी ने Lieutenant Umar Fayaz को मारा है। तुरंत Search Operation के साथ Action लेना है।
फौरन Commandos Heerapur के लिए रवाना हो जाते हैं। टीम में शामिल Lance Naik Nazir Ahmad Wani बीच रास्ते से पत्नी Mahjabeen को फोन करते हैं। कहते हैं, ‘Sherni’ दुआ करना।
रात करीब 10 बजे Commandos Heerapur पहुंचे। उन्होंने उस घर को घेर लिया जिसमें आतंकी छिपे थे। आहट होते ही आतंकी फायरिंग करते हुए Grenade फेंकने लगे।
Lance Naik Nazir और उनके साथी Commandos जमीन पर लेट Position लेते हैं।
मुठभेड़ में पांच आतंकी मारे गए, लेकिन, Input छह का था। उसकी तलाश में Nazir Wani उस घर में घुसे, जहां आतंकी थे। उन्होंने अपने सीनियर को Cover दिया। इतने में घर में छिपे आतंकी ने Nazir पर गोलियां बरसा दीं।
जख्मी होने के बाद भी Nazir फायरिंग जारी रखी और उस आतंकी को मार गिराया। ये आतंकी Lieutenant Fayaz के अपहरण और हत्या में शामिल था। Nazir को Hospital ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बची। वे शहीद हो गए।
Lance Naik Nazir Ahmad Wani। 2004 से पहले आतंकवादी हुआ करते थे। बाद में वे Army में भर्ती हो गए।
कुलगाम के Cheki Ashmuji गांव में रहने वाले Nazir Ahmad Wani कभी आतंकियों के साथ थे, लेकिन उन्होंने राह बदली और 2004 में Territorial Army की 162वीं Battalion में शामिल हो गए। शहादत के वक्त वे 34 राष्ट्रीय राइफल्स में थे।
162 Territorial Army में बड़े पैमाने पर ‘Ikhwani’ शामिल हैं। Ikhwani उन्हें कहा जाता है, पहले आतंकी थे। इस टुकड़ी के लोग Army में तो नहीं होते, लेकिन वह Army के Operation और Encounter में उनकी मदद करते हैं।
Nazir Ahmad Wani की पत्नी Mahjabeen से कश्मीर के कुलगाम में उनके घर में बात करती भास्कर रिपोर्टर Manisha Bhalla।
दैनिक भास्कर की सीरीज ‘कश्मीर के लोग’ के सिलसिले में कश्मीर के पहले Ashok Chakra विजेता और आतंकवादी से फौजी बने Lance Naik शहीद Nazir Ahmad Wani के परिवार से मिलने साउथ कश्मीर के कुलगाम पहुंची हूं।
श्रीनगर से यहां के लिए जब निकली, तो दोपहर के दो बज रहे थे। रास्ते में तेज Rain शुरू हो गई। करीब 100 किलोमीटर का सफर तय करने में तीन घंटे से ज्यादा लग गए।
शाम हो चुकी है, हल्की सर्दी का एहसास भी हो रहा है। रास्ते में दो-तीन बार शहीद Nazir Wani की पत्नी से बातचीत हुई थी। वे यहां के सरकारी School में Teacher हैं।
कुलगाम के DC Office के पास ही उनका घर है। तीन दिन पहले भी मैं DC Office आई थी, इसलिए उनके घर तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं हुई। दो-चार गलियां पार करते ही Nazir Wani के घर के सामने पहुंच गई।
घर पर ताला लगा हुआ था। मैंने Nazir Wani की पत्नी Mahjabeen Akhtar को फोन लगाया। उन्होंने कुछ ही देर में पहुंचने की बात कही। मैं इंतजार करने लगी। तभी मेरी नजर घर के बाहर लगी Nameplate पर पड़ी। Nameplate पर लिखा था- वीर नारी Mahjabeen Akhtar वाइफ ऑफ लेट Lance Naik Nazir Ahmad Wani। मेरी निगाहें वीर नारी पर टिक गईं।
इतने में वह आ ही गईं। मुझसे गर्मजोशी से मिलीं। इतनी बेखौफ, बुलंद हौसले और मौत को चुनौती देने वाली महिला से पहली बार मिल रही थी। उनके चेहरे पर चमक, आंखों में पति की याद के आंसू, माथे पर पति की शहादत का फख्र।
घर का दरवाजा खुलते ही सामने लकड़ी की सीढ़ियां हैं, जिन्हें चढ़कर उनके साथ ऊपर आई। उन्होंने मेरे बिना कुछ कहे पहले अलमारी खोली और कहा, ‘इसमें Nazir के सभी Certificates, Medals और Awards हैं। प्रधानमंत्री Modi ने भी एक तोहफा मेरे लिए भेजा है।’
Mahjabeen काफी जल्दी में हैं, क्योंकि उनके सगे भांजे यानी पति Nazir की बहन के बेटे की शादी है। पूरा परिवार वहीं है। बीच शादी छोड़कर वो मुझसे मिलने आई हैं।
वे कहती हैं, ‘आप बहुत दूर से सिर्फ मुझसे मिलने यहां आई हैं। मैं नहीं चाहती कि जिससे मैं सबसे ज्यादा मोहब्बत करती हूं, उसके बारे में आप बिना कुछ जाने वापस चली जाएं। आपको Nazir के बारे में एक बार में तो सब कुछ नहीं बता सकती, उनकी तो करोड़ों यादें मेरे सीने में दफन सी हैं।’
मैं इत्मीनान से उनसे बात करना चाहती थी। ऐसा मेरे साथ पहली बार हो रहा था, जिससे मैं सवाल करने वाली थी, वो खुद ही सब कुछ बताना चाहता है।
Mahjabeen बताती हैं, ‘मैं 2003 से सरकारी Teacher हूं। वो मुझसे हमेशा Sherni कहते थे। उन्हें बहुत मोहब्बत थी मुझसे, बतौर पति Nazir दुनिया के सबसे बेहतरीन इंसान थे। दुनिया में उन जैसा कोई दूसरा पति नहीं होगा।’
हम लोग Ashmuji गांव के रहने वाले हैं। मेरे ससुर Farmer थे। 1998 में 17 साल की थी, तब मेरा Nazir से निकाह हुआ। उन्होंने मुझे संभाला, मुझे खाना बनाने के साथ घर के सारे काम सिखाए।
उन्होंने मुझे जितना प्यार दिया, उतना तो मेरे Abbu-Ammi ने भी नहीं दिया। बोलते थे, ‘मैं तुम्हारा मां-बाप भी हूं, भाई-बहन भी हूं और पति भी हूं।’
कश्मीर के हालात के चलते उस दौर में वे आतंकवादी बन गए। तब उन्होंने क्या किया क्या नहीं इस बारे में कभी कुछ बताया ही नहीं। बस कभी-कभार मिलने आ जाते थे।
ये तस्वीर 2004 की है। Nazir आतंकवाद का रास्ता छोड़कर Territorial Army में शामिल हुए थे। जब वे अपने पिता से मिले तो दोनों की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े थे।
महजबीन कहती हैं, ‘2004 में Nazir ने आतंक का रास्ता छोड़ Ikhwan में भर्ती हो सेना की मदद करने का फैसला लिया था। ये उनकी जिंदगी का एक बहुत बड़ा फैसला था।’
एक दफा Ikhwan के ही दौर में बागान में एक Operation चल रहा था। अचानक से वहां Grenade फेंके गए और बारूद फट गया। किसी तरह से Nazir समेत Army के लोग अपनी जान बचा पाए। इस तरह के हादसे रोज की बात थी।
Uniform पहनने के बाद Nazir ने कितने Encounter किए, उसकी कोई गिनती नहीं है। Army के Officers उनसे बहुत खुश थे। इलाके में उनका नाम और आतंकियों में खौफ था। इसी वजह से वे आतंकियों के निशाने पर आ चुके थे। Army के Officers ऐसे निडर Soldier को खोना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्हें Battalion में भर्ती कर लिया।
मैं हैरान थी कि वह कैसे निडर होकर कह रही हैं कि उनके पति ‘Ikhwan’ में थे। कश्मीर में ऐसा बोलने की हिम्मत कोई नहीं करता।
महजबीन कहती हैं, ‘Nazir जब तक Ikhwan में रहे पूरी शिद्दत और ईमानदारी से अपना काम करते रहे। नई Battalion में शामिल होने के बाद उनका व्यवहार थोड़ा बदल सा गया। वो मुझे हर बात बताने लगे।’
मैं हमेशा डरती रहती, समझ चुकी थी कि जिस रास्ते पर Nazir चल रहे हैं, उसकी मंजिल क्या है।
वे मुझे बताते थे कि आज यहां हूं, Mission पर जा रहा हूं, कल क्या हुआ और किससे बात हुई।
किसी भी Mission पर जाने से पहले फोन करते और कहते डरना मत। उनकी ये बात सुन मैं कहती, आप जानते हैं मुझे डर नहीं लगता। आप अपना ख्याल रखें।
ये बात सुन Nazir कहते, मुझे पता है मुझे मेरा ख्याल कैसे रखना है, बस तुम अपना ख्याल रखो।
उधर, वे अपने देश के लिए जा रहे होते। इधर, मैं उनके लिए दुआ करती।
महजबीन Akhtar को बहुत याद आता है, जब Nazir उन्हें Sherni कहते थे।