Datia News | दतिया में Rajgarh Fort की सुरक्षा के लिए बनी 400 साल पुरानी Wall का एक हिस्सा मंगलवार सुबह करीब साढ़े 3 बजे ढह गया। इसमें 9 लोग Debris में दब गए। Rescue Operation के सात घंटे बाद, 7 Bodies को मलबे से निकाला गया। मृतकों में एक ही परिवार के 5 सदस्य शामिल हैं, जबकि बाकी दो व्यक्ति परिवार के मुखिया के Sister और Brother-in-Law हैं।
दीवार का खोखला होना और दुर्घटना का कारण
दीवार के चारों ओर Encroachment कर उसे खोखला कर दिया गया था। करीब 11 किमी लंबी Wall में 400 से ज्यादा कच्चे-पक्के मकान बनाए गए हैं। यही इसके ढहने का मुख्य कारण रहा।
मुन्ना का अनुभव और राहत की कोशिशें
मुन्ना, जो अपने बेटे के साथ अस्पताल में भर्ती हैं, बताते हैं कि हादसे के समय उनका हाथ बाहर था। लोगों ने मलबे से उनका हाथ देखकर उन्हें बाहर निकाला। वे कहते हैं कि अगर हाथ बाहर नहीं होता, तो शायद वे भी जिंदा नहीं रहते।
रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियाँ
Poclain और JCB मशीनों का रास्ता संकरा होने के कारण रेस्क्यू टीम ने गैंती-फावड़ा और हाथ से मलबा हटाया। निरंजन का घर, जो अभी बन रहा था, उसकी वजह से वे मलबे में दब गए। निरंजन और उनके परिवार को आवास मिला था, लेकिन इस हादसे के कारण उन्हें अपने घर में नहीं जाने का मौका मिला।
दीवार का इतिहास और निर्माण
साहित्यकार Ravi Thakur के अनुसार, दतिया के चारों ओर चार बड़ी पहाड़ियां हैं। चारों पहाड़ियों पर महल बनाए गए थे। दीवार का निर्माण वीरसिंह देव पैलेस और राजगढ़ पैलेस की सुरक्षा के लिए किया गया था।
मराठाओं के हमलों से बचाव के लिए दीवार
Ravi Thakur ने बताया कि दीवार का निर्माण महाराजा इंद्रजीत ने 1729 में किया था। इसे मराठाओं के हमलों से बचाव के लिए बनाया गया था। यह दीवार सैंडस्टोन, चूना, गुड़, शक्कर और जौ के आटे से बनी थी।
रेस्क्यू टीम की सफलता और सरकार की प्रतिक्रिया
कलेक्टर Sandeep Makin के अनुसार, सुबह करीब 4 बजे किले की सुरक्षा के लिए बनी दीवार 36 घंटे से हो रही बारिश के कारण ढह गई। वंशकार परिवार के 9 सदस्य मलबे में दब गए थे। रेस्क्यू टीम ने सुबह 4 बजे दीवार तोड़कर Poclain मशीन का उपयोग किया और सातों शवों को बाहर निकाला। सभी मृतकों के परिवार को 4-4 लाख रुपए की Financial Assistance दी जा रही है।