Uttar Pradesh | जिला- बहराइच, तारीख- 17 जुलाई। हरदी इलाके में सिकंदरपुर गांव के मजरे मक्का पुरवा में एक साल का अख्तर घर में लेटा था जब उसे भेड़िया उठा ले गया। शव गांव से कुछ दूरी पर मिला और कई हिस्से गायब थे।
अख्तर अकेला बच्चा नहीं है जिसकी जान गई है। मार्च से लेकर अब तक 8 बच्चों को भेड़ियों ने रात में उठा लिया। शवों के कुछ हिस्से ही मिले हैं। एक बुजुर्ग महिला की भी जान चली गई।
जिला- लखीमपुर खीरी, तारीख- 28 अगस्त। इमलियां गांव में एक बाघ ने किसान पर हमला कर उसे मार डाला। बाघ ने शव को 200 मीटर तक खींचा और सिर को धड़ से अलग कर दिया। किसान खेत में काम कर रहा था जब बाघ ने हमला किया। अब तक बाघ के हमले में 4 लोगों की मौत हो चुकी है और बाघ आदमखोर बन चुका है।
इन दिनों यूपी के तीन जिलों- बहराइच, सीतापुर, और लखीमपुर खीरी में भेड़ियों और बाघ के हमलों से दहशत फैल गई है। बहराइच में 50 गांवों के लोग पिछले 48 दिनों से भेड़ियों के आतंक में जी रहे हैं। महसी तहसील सबसे ज्यादा प्रभावित है। वन विभाग की 25 Teams भेड़ियों को पकड़ने में लगी हैं और अब तक 4 भेड़ियों को पकड़ा जा चुका है।
गांव वालों में दहशत का यह आलम है कि लोग रातभर जागकर घरों के बाहर Security दे रहे हैं। यहां तक कि स्थानीय भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह भी Rifle लेकर सड़कों पर घूम रहे हैं। बहराइच के बाद अब भेड़ियों का आतंक सीतापुर तक पहुंच गया है। इसी तरह पिछले 28 दिनों से लखीमपुर खीरी में लोग बाघ के हमलों के खौफ में जी रहे हैं और खेतों में जाना बंद कर दिया है।
बहराइच में भेड़ियों की सर्चिंग
बहराइच में Pits और Tranquilizer के साथ वन विभाग की Team भेड़ियों की सर्चिंग कर रही है। अचानक बहराइच-सीतापुर में आदमखोर भेड़ियों और लखीमपुर खीरी में बाघ का आतंक कैसे बढ़ गया, यह जानने की कोशिश की जा रही है। क्या ये क्षेत्र पहले भी खतरनाक जानवरों से प्रभावित रहे हैं? उत्तर प्रदेश में आदमखोर जानवरों का आतंक पहले कब-कब रहा है? इन सभी सवालों के जवाब संडे बिग स्टोरी में जानिए।
भेड़ियों के हमलों की कहानी
बहराइच के महसी तहसील के हरदी इलाके के 50 गांवों की 80 हजार से ज्यादा की आबादी भेड़ियों के आतंक में जी रही है। इन गांवों में भेड़ियों के आतंक का आलम यह है कि वन विभाग के साथ ही गांव वालों ने भी अपनी सुरक्षा का जिम्मा ले लिया है। वे रातभर जागकर गांव की रक्षा कर रहे हैं।
50 गांवों में एक-एक Team बना दी गई है। Team के सदस्यों की Shift Wise Duty लगाई जा रही है। ये लोग Lathis और Guns लेकर दिन-रात पूरे गांव का चक्कर लगा रहे हैं। इन गांवों से भेड़ियों ने 8 बच्चों समेत 9 लोगों को अपना शिकार बनाया है। 35 से ज्यादा लोग हमलों से घायल हैं। भेड़ियों का मुख्य Target बच्चे हैं। विभाग ने इन गांवों में Cameras लगाए हैं और ड्रोन से Monitoring की जा रही है।
लखीमपुर खीरी में बाघ का आतंक
27 अगस्त को इमलियां गांव के किसान अमरीश कुमार की बाघ के हमले में मौत हो गई। इस घटना के बाद से लोगों में दहशत है। वन विभाग को भी इस बारे में सूचना दी गई। उनकी Teams लखीमपुर खीरी में Active हो गई हैं। इस क्षेत्र में पिछले 28 दिनों से आदमखोर बाघ का कहर जारी है। वह अब तक 4 लोगों को मार चुका है। पास में स्थित Dudhwa Tiger Reserve के कारण जिले के करीब 50 गांव में बाघ और तेंदुए का डर हमेशा बना रहता है। वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए यहां भी तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। वन विभाग के अधिकारी बाघ को Cage में कैद करने की कोशिश में हैं।
अब पढ़िए 5 आदमखोर बाघ-बाघिन, जिनका खौफ रहा
- चंपावत: आदमखोर बाघिन की कहानी यूपी से लगे पड़ोसी देश नेपाल से इस बाघिन की कहानी शुरू होती है। इस बाघिन का आतंक सबसे पहले उत्तराखंड (पहले यूपी का हिस्सा) में नेपाल के हिस्से में शुरू हुआ। जब यह लोगों को मारने लगी तो भारत की तरफ खदेड़ दिया गया। यहां चंपावत जिले में उसने डेरा डाल लिया। नेपाल के बाद भारत में इस बाघिन का इतना खौफ हो गया था कि लोग गांव छोड़कर चले गए थे।खतरनाक बाघिन ने भारत और नेपाल में 436 इंसानों का शिकार किया। आदमखोर बाघिन की दहशत इतनी थी कि रात तो क्या, दिन में भी लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे। घर से छोटे बच्चों के बाहर निकलने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। घरों के बाहर आग जलाई जाती थी, बच्चों की सुरक्षा के लिए रात-रात भर लोग पहरा देते थे। बेखौफ बाघिन ने रात से ज्यादा दिन में इंसानों का शिकार किया और यही कारण है कि आज भी आदमखोर बाघ-बाघिन में इसका नाम पहले आता है।दो देशों में इंसानों का शिकार करने वाली इस बाघिन की मौत की कहानी भी इतिहास बन गई। इस आदमखोर बाघिन को 1907 में विश्वविख्यात शिकारियों जिम कॉर्बेट ने कई प्रयास के बाद पहाड़ पर मार गिराया था। कहा जाता है कि जिम कॉर्बेट के हाथों उस समय दुनिया की सबसे खतरनाक बाघिन का शिकार हुआ था।
- बिजनौर: बाघिन लेडी किलर, 15 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतारा बिजनौर में 20वीं सदी में एक बाघिन का आतंक बढ़ा जिसने शिकार के कारण लेडी किलर के नाम से मशहूर हो गई। इंसानों को अपना सॉफ्ट टारगेट बनाने वाली इस बाघिन ने 15 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया। जो इसके हमलों में बच गए, वे भी चलने-फिरने लायक नहीं रह गए।2014 में इस आदमखोर बाघिन का लोगों में खौफ इतना था कि रात में ही नहीं, दिन में भी लोग घर के बाहर नहीं जाते थे। इस आदमखोर की आदत थी कि यह शिकार के बाद इंसान की लाश को दूर ले जाती थी। वन विभाग की Team ने काफी घेराबंदी की, लेकिन इसकी झलक तक नहीं मिली। आदमखोर बाघिन को मारने के लिए पूरा प्लान तैयार किया गया। इसका आतंक खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक लोगों में इसका खौफ रहा।
- दुधवा टाइगर रिजर्व की कुख्यात तारा
- लखीमपुर खीरी का बाघ छेदी सिंह
- लखीमपुर खीरी से पकड़ा गया बाघ मुस्तफा
अब सवाल उठता है कि कोई जानवर आदमखोर कैसे बन जाता है?
आदमखोर का मतलब होता है- जो आदमी को खाता हो। आसान भाषा में यह शब्द उन जानवरों के लिए इस्तेमाल होता है जो इंसान को अपना भोजन बना लेते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कोई जानवर क्यों आदमखोर बन जाता है? इसका जवाब मिलता है वाइल्डलाइफ एक्ट 1972 के सेक्शन 11 में। इस एक्ट के मुताबिक, जो जानवर ‘डेंजरस टू ह्यूमन लाइफ’ यानी इंसानों के लिए खतरनाक होता है, उसके शिकार की अनुमति दी जाती है।
इसके लिए एक प्रक्रिया अपनाई जाती है। जैसे Tiger, Leopard, Elephant आदि जानवर जब इंसानी जिंदगी के लिए खतरा हो जाते हैं, तो इन्हें मारने की अनुमति दी जाती है। अगर कोई जानवर लगातार इंसानी इलाकों में आता है और इंसानों की जान लेता है, तो उसे आदमखोर कहा जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, कई बार जानवर किसी खास चोट या बीमारी के कारण भी इंसानों पर हमला करने लगते हैं। उनके लिए सामान्य शिकार जैसे Deer या अन्य जानवरों का पीछा करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इंसानों का शिकार भेड़ियों के लिए आसान हो जाता है। हालांकि, इस केस में भेड़िए झुंड में हैं। ऐसे में उनके बीमार होने की संभावना कम ही लगती है।