मंदसौर में गधों को थाली में सजाकर क्यों खिला रहे हैं गुलाब जामुन? VIDEO हुआ वायरल

Mandsaur News | मंदसौर में गधों को थाली में सजाकर Gulab Jamun खिलाया गया। जब इसकी तस्वीरें और Video सामने आईं, तो लोग देखकर हैरान रह गए। दरअसल, मंदसौर में बारिश नहीं हो रही थी, लोग गर्मी से बेहाल और परेशान थे। ऐसे में लोगों ने एक टोटका करने का निर्णय लिया कि अगर बारिश हुई तो गधों को Gulab Jamun खिलाएंगे। इसके लिए गधों को हल में जोतकर खेतों में जुताई भी की गई, जिससे भगवान को खुश किया जा सके और बारिश हो।

गधों को जुतवाने से जब लोग खुश हुए और मनौती पूरी हो गई और मंदसौर में बारिश हुई, तो फिर आज यानी शुक्रवार को शहर के चौक पर गधों को लाया गया और उन्हें बकायदा थाली में सजाकर Gulab Jamun खिलाया गया। बता दें कि मंदसौर में आखिरकार लंबे इंतजार के बाद पानी गिरा। हालांकि बारिश ज्यादा देर नहीं हुई, लेकिन फिर भी ठीक ठाक हो गई।

बता दें कि इन्हीं गधों से कुछ दिन पहले टोटका कराया गया था, तब मंदसौर के श्मशान में इन गधों को जोतकर हल चलाया गया था। उन्हीं दोनों गधों को बारिश होने के बाद ढेर सारे Gulab Jamun खिलाए गए। बारिश से लोगों को क्या फायदा मिलता है यह तो बाद की बात है, लेकिन हां गधों ने Gulab Jamun जरूर खाए और अब Gulab Jamun खाने के Video और Photo वायरल हो रहे हैं।

श्मशान जाकर किया था टोटका!

मंदसौर में लंबे समय से अच्छी बारिश नहीं हुई है, इसी समस्या के समाधान के लिए आज लोगों ने Shmashan घाट जाकर एक टोटका किया। टोटके में गधों को हल से जोतकर Urad के बीज और Salt श्मशान की जमीन पर फैलाए गए तथा बाद में गधे की सवारी भी की गई। इस परंपरा में गधों से निवाई यानी खेत में बीज बोने की प्रक्रिया भी की जाती है।

सूरज ढलने के बाद लोग यहां गधों को लाते हैं, उनसे श्मशान में निवाई भी कराई जाती है। लोगों का कहना है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं। अच्छी बारिश होती है।

बारिश के लिए ऐसे टोटके कराना पड़ते हैं: आयोजन के कर्ताधर्ता

इस आयोजन के कर्ताधर्ता Shailendra Giri Goswami ने कहा- जब भी बारिश नहीं होती है तो यह टोटका किया जाता है, जिसमें गधों से हल जोतकर बोवनी की जाती है। Urad की दाल और Salt की बोवनी श्मशान में की जाती है, साथ ही लोग अर्ध नग्न होकर भी घूमते हैं। हम लोग चांद पर पहुंच गए, विज्ञान कहां से कहां पहुंच गया, Google पर सर्च से पता चल जाता है कि फसल कैसी होगी। लेकिन कहीं ना कहीं हमारे पूर्वजों ने जो हमें बता रखा है, उस पर पिछले 50 वर्षों से हम चल रहे हैं। जब भी मंदसौर में बारिश नहीं हुई, तो हमने यह टोटका किया और बारिश हुई है।

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