Gwalior: भगवान Shiva का प्रिय महीना Sawan शुरू हो गया है। देश के विभिन्न राज्यों में भगवान Shiva के प्रसिद्ध मंदिर हैं। मध्य प्रदेश के Gwalior में भगवान Shiva का एक ऐसा मंदिर है, जिसको हटाने के लिए बड़े से बड़े राजा महाराजा लगे रहे, लेकिन Shivling को हिला भी नहीं सके। Shivling को खिंचवाने के लिए उन्होंने कई हाथियों की भी मदद ली, लेकिन हाथियों का बल भी बेकार हो गया। Shivling को खोदकर निकालने की भी कोशिश की गई, लेकिन खोदते-खोदते पानी निकल आया मगर Shivling का कोई छोर नहीं मिला।
भक्तों की हर कामना पूर्ण करते हैं Baba Achalnath!
मान्यता है कि Gwalior में बीच चौराहे पर आज विराजमान भगवान Bholenath का यह चमत्कारी Shivling करीब 750 वर्ष पहले का है। यह मंदिर Baba Achalnath के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान Achalnath के दरबार में देशभर से श्रद्धालु मत्था टेकने आते हैं। मान्यता है कि भगवान Achalnath दरबार में आए हर श्रद्धालु की इच्छा पूर्ण करते हैं। कहते हैं Baba Achalnath का वरदान भी उनकी प्रतिमा की तरह अचल रहता है। मंदिर में आने वाले हर भक्त की मुराद Baba पूरी करते हैं। यही वजह है कि यह मंदिर पिछले 700 सालों से सड़क के बीचों बीच स्थापित है।
Sawan में Achalnath के दरबार में श्रद्धालुओं का तांता
Sawan के महीने में Baba Achalnath के दरबार (Baba Achalnath Temple Gwalior) में न केवल उत्तरी मध्य प्रदेश बल्कि Rajasthan, Uttar Pradesh, Gujarat और Delhi समेत देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। Sawan में श्रद्धालु भगवान Shiva को मनाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वह पूरी हो जाती है। यही वजह है कि मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मन्नत पूरी होने के बाद भक्त यहां गुप्त दान भी करते हैं।
मंदिर को लेकर क्या है मान्यता?
इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक कथा भी प्रचलित है। प्रचलित कथा के अनुसार इस मंदिर को सिंधिया शासकों ने बनवाया था। जहां भगवान Achalnath का मंदिर है, वहां लगभग 700 साल पहले एक पीपल का पेड़ हुआ करता था। सड़क के बीचों बीच पेड़ होने से लोगों को आने जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। उस समय सबसे अधिक सिंधिया परिवार को परेशानी से दो-चार होना पड़ता था। जब भी विजय दशमी के शुभ अवसर पर सिंधिया परिवार की शाही सवारी निकलती थी तो इस स्थान पर आकर शाही सवारी को परेशानी होती थी।
चमत्कारी है भगवान Achalnath का मंदिर
ऐसे में इस पेड़ को हटाने के लिए सिंधिया शासकों ने इस पेड़ को हटाने का आदेश दिया। जब पेड़ हटाने के लिए मजदूरों ने कार्य शुरू किया तो वहां पर एक Pindi (Achaleshwar Mahadev Temple) उभर कर आ गई। इस Pindi को हटाने के लिए मजदूरों ने काफी मेहनत की लेकिन Pindi नहीं हटी। Pindi हटाने के लिए Pindi के अगल-बगल गहरी खुदाई की गई, लेकिन कोई भी इस Pindi को नहीं हिला सका।
जमीन से Pindi निकालने में हाथियों की ताकत हो गई फेल
प्रचलित कथा के मुताबिक, जब Pindi नहीं हटा पाने की जानकारी सिंधिया परिवार को लगी तो उन्होंने Pindi को हटाने के लिए हाथी भी भेजे। हाथी में जंजीर बांध कर जब Pindi खींची गई तो जंजीर टूट गई। बाद में भगवान ने तत्कालीन राजा को सपना दिया कि यदि मूर्ति खंडित हो गई तो सर्वनाश हो जाएगा। इसके बाद राजा ने पूजा-अर्चना करवाकर इस Pindi की विशेष पूजा-पाठ और प्राण प्रतिष्ठा कराई। तब से लेकर आज तक मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। श्रद्धालुओं के अनुसार, Gwalior स्थित भगवान Achalnath के दरबार में Sawan के समय विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।