Navratri Ghatasthapana Muhurat News | 3 अक्टूबर, गुरुवार से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इस बार English तारीखों और तिथियों के तालमेल में गड़बड़ी के कारण अष्टमी और महानवमी की पूजा 11 तारीख को होगी। 12 अक्टूबर, शनिवार को Dashahara मनाया जाएगा, जिससे देवी पूजा के लिए पूरे नौ दिन मिलेंगे।
नवरात्रि के पहले दिन घट (कलश) स्थापना की जाती है। इसे माता की चौकी बैठाना भी कहा जाता है। इसके लिए दिनभर में सिर्फ दो Muhurat होंगे।
अब समझते हैं नवरात्रि का विज्ञान
देवी भागवत और मार्कंडेय पुराण के अनुसार, नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी पूजा और व्रत करने का विधान है। यदि हम इसे Ayurveda के दृष्टिकोण से देखें, तो इन दिनों में मौसम में बदलाव होता है, जिससे Digestion गड़बड़ हो जाता है। इसे ठीक रखने के लिए व्रत की परंपरा शुरू की गई थी।
सेहत को सुधारने के लिए सबसे अच्छा समय शारदीय नवरात्र से सर्दियों की शुरुआत होती है। इसलिए इस दौरान हल्का Diet लिया जाता है। इस समय के दौरान पाचन प्रक्रिया सामान्य दिनों की तुलना में धीमी हो जाती है, जिससे आलस्य और सुस्ती का अनुभव होता है। इस कारण कहा जाता है कि नवरात्र में उपवास न करने पर भी भोजन हल्का करना चाहिए।
उपवास से हमारा पाचन तंत्र सही हो जाता है। खाना पचाने की क्षमता में सुधार होता है। मौसम परिवर्तन का यह मुख्य समय होता है। इस कारण बीमारी फैलाने वाले Bacteria और जीवाणु अधिक सक्रिय रहते हैं। ऐसे में नवरात्रि के दिनों में उपवास का महत्व बढ़ जाता है।
नवरात्रि: दिन-रात बराबर होते हैं
नवरात्रि के समय नई शुरुआत और पुराना खत्म होने का समय होता है। इस वक्त सूर्य भूमध्यरेखीय तल के सबसे करीब होता है और दिन-रात बराबर होते हैं। विज्ञान की भाषा में इसे Equinox कहते हैं। यह साल में दो बार होता है। पहला मार्च में और उसके बाद 22 सितंबर को, जिसे Autumnal Equinox कहते हैं। इन दिनों में धरती तक सूर्य और चंद्रमा की रोशनी बराबर पहुंचती है। जब यह खगोलीय घटना होती है, तब हम शारदेय नवरात्रि मनाते हैं। शरद की नवरात्रि बर्फ के गिरने का मौसम लाती है।
आश्विन महीने की शारदेय नवरात्रि में न तो ज्यादा ठंड रहती है और न गर्मी। इस वक्त प्रकृति बेहद अनुकूल होती है। प्रकृति और मौसम के बदलने का असर निजी और बाहरी दोनों तरह से दिखता है। निजी रूप से यह साधना और ध्यान का समय है, जबकि बाहरी दुनिया में इस दौरान गर्मी कम होती है। विज्ञान में इसे Principle Of Thermodynamics कहते हैं।
हमारे ऋषियों ने जान लिया था कि Equinox Cycle के बिंदु, यानी ऋतुओं का संधिकाल ब्रह्मांड की शक्ति के विघटन और उसे फिर से बनाने का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह हमारे मन और शरीर की छोटी-सी दुनिया में भी महत्वपूर्ण है।