Bhopal News : पुलिस द्वारा Nigerian का स्वागत: खर्च उठा रही, अब Government करेगी वतन वापसी

Bhopal News | राजधानी की पॉश Minal Residency में किराए से रहने वाली युवती और उसका भाई गुंडों के डर से अपने घर नहीं जा रहे हैं। वे अपने परिचित के मकान में आसरा लिए हुए हैं। वजह ये है कि जिन आरोपियों ने आधी रात को घुसकर युवती को खींचने की कोशिश की थी, उन्हें 4 घंटे में Bail मिल गई।

दैनिक भास्कर ने पीड़िता से संपर्क किया तो उसने कहा- वो गुंडे खुले घूम रहे हैं तो हम उस मकान में कैसे लौट जाएं? हमारी जान की क्या Guarantee? उसने उल्टा सवाल पूछा कि मेरे साथ Rape हो जाता, तब पुलिस एक्शन लेती क्या? पीड़िता का आरोप है कि पुलिस आरोपियों को बचाने का काम कर रही है। यदि ऐसा नहीं तो फिर क्या वजह है कि उन्हें चंद घंटों में Bail मिल गई?

भास्कर ने पीड़ित लड़की के इस सवाल का जवाब जानने के लिए कानून के जानकारों से बात की। समझा कि क्या वाकई में पुलिस ने इस केस को बेहद कमजोर कर दिया? या पुलिस नए कानून को समझ ही नहीं पाई? आखिर क्या वजह रही कि आरोपियों को इतनी जल्दी Bail मिल गई?

जानकारों का कहना है कि पुलिस ने इस केस को गंभीरता से नहीं लिया।

पुलिस चाहती तो आरोपियों की Bail रोक सकती थी। पढ़िए क्या है पीड़िता के आरोप और क्या कहते हैं जानकार…

पहले जानिए पीड़िता क्यों कह रही मेरे साथ Rape होता क्या तब एक्शन होता?

दरअसल, पीड़िता का कहना है कि Minal Residency के जिस Flat में वह रहती है। वहां आरोपी और उसके दोस्त शराब पीकर हंगामा करते रहे हैं। उनकी यही हरकत Apartment में रहने वाले लोगों को परेशान करती है। पीड़िता के मुताबिक उसकी एक Cousin ने तो महीने भर पहले Flat खाली कर दिया था।

एक और Flat में रहने वाली महिला भी इन लड़कों के बर्ताव को लेकर परेशान थीं, उन्होंने भी मकान छोड़ दिया। पीड़िता ने बताया कि इन लड़कों की हरकत की वजह से मैं रात में दरवाजा खोलकर Dustbin में कचरा डालने से भी डरती थी। लड़के आए दिन Comments करते थे, जिससे हम सभी लोग तंग आ चुके थे।

वो बताती है कि 7 जुलाई को उन्होंने हद कर दी। वे मेरे घर में घुसकर मुझे खींचने लगे। इतना सब होने के बाद जब मैंने और मेरे भाई ने विरोध किया तो उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर मेरे भाई को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। Security Guard और बाकी लोग केवल देखते रहे। Dial 100 को बुलाया तो पुलिस वालों ने हमें Thana जाने की सलाह दी।

7 जुलाई को रात 1 बजे दोनों आरोपी इस तरह से युवती के कमरे में दाखिल हुए थे और उसके साथ छेड़छाड़ की थी।

कोर्ट में लड़के हंसी-ठिठोली करते रहे, मेरा तो पुलिस से भरोसा उठा

पीड़िता ने बताया कि हम रात 1 बजे Thana पहुंचे, तो FIR कराने के बाद अगले दिन सुबह 8 बजे घर पहुंचे। एक घंटे आराम करने के बाद हम फिर Court पहुंचे। वहां शाम तक रहे। मगर क्या हुआ… उन्हें तो चंद घंटों में ही Bail मिल गई।

पीड़िता ने कहा कि Court में वो लड़के बैठकर हंसी-ठिठोली कर रहे थे। वो तो हमें पहले ही धमकी दे चुके थे कि हमसे बचकर तुम कहां जाओगे। पुलिस तो उन लड़कों के साथ जाकर खड़ी हो गई। उनके दो दोस्त जिन्होंने मेरे भाई से मारपीट की थी, वो भी Court में घूम रहे थे। पुलिस ने उन पर भी कोई एक्शन नहीं लिया।

पीड़िता ने कहा कि मैंने पुलिस को दावे के साथ कहा कि उन्होंने शराब पी थी, लेकिन जब हमने FIR देखी तो उसमें शराब पीने वाली बात का जिक्र ही नहीं था। पुलिस ने FIR दर्ज करने में भी बहुत समय बर्बाद किया। अगर पुलिस अपना काम ईमानदारी से करती तो आरोपियों को Bail नहीं मिल पाती।

अब मैं डरी सहमी हूं, लेकिन वे अपराध करके भी खुलेआम घूम रहे हैं। मेरा तो पुलिस से भरोसा उठ गया है। अब उनके डर की वजह से हमें अपने परिचित के घर जाकर रहना पड़ रहा है।

क्या पुलिस ने लापरवाही बरती, क्या बोले एक्सपर्ट?

भास्कर ने इस मामले में कानून के जानकारों से बात की। उनसे पूछा कि पुलिस ने केस में कोई लापरवाही बरती है क्या? Advocate सूर्यकांत बुजादे ने कहा कि अब मामले IPC की जगह Indian Penal Code (BNS) की धाराओं में दर्ज किए जा रहे हैं।

मगर BNS में महिला अपराधों को लेकर कुछ अलग प्रावधान नहीं किए गए हैं। कुछ मामलों में तो धाराएं कम कर दी गई हैं। उदाहरण बताते हुए वे कहते हैं कि अगर कोई किसी महिला का पीछा करता है तो IPC की धारा 354 D में कड़ी कार्रवाई के प्रावधान थे। उसे Categorize भी किया गया था, लेकिन BNS में Category की बजाय सिर्फ 5 साल की सजा का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में आरोपियों ने आधी रात में घर में जबरन घुसकर छेड़छाड़ का प्रयास किया। पीड़िता का ये भी कहना है कि आरोपी उस पर कुछ दिनों से गलत Comments और इशारे कर रहे थे। पुलिस ने जिन धाराओं में केस दर्ज किया उन धाराओं में इस केस को बेहद सामान्य तरीके से Handle किया।

वे कहते हैं कि पुलिस का ये रवैया जानबूझकर या फिर असंवेदनशील हो सकता है। जिसकी वजह से आरोपियों को कुछ घंटे में Bail मिल गई। पुलिस ने बिना Interrogation और पुख्ता सबूत के आरोपियों को गिरफ्तार किया और Court में पेश किया। वहां से उन्हें Bail मिल गई। इससे संदेह तो पैदा होता है।

पुलिस ने आरोपी अभिनव और शुभम को 8 अगस्त को गिरफ्तार किया। तत्काल बाद Court में भी पेश किया और चंद घंटे में वे Bail पर रिहा हो गए।

क्या पुलिस इस केस में आरोपियों की Bail को रोक सकती थी?

इस सवाल का जवाब देते हुए Advocate सूर्यकांत बुजादे कहते हैं कि यदि पुलिस इस केस में गंभीर होती तो सरकारी वकील की मदद से Court में Bail के खिलाफ अपील कर सकती थी। साथ ही पुलिस का कर्तव्य भी बनता था कि वह फरियादी पक्ष को यह सलाह दें कि वे अपराधियों की Bail के खिलाफ Court में कार्रवाई करें।

जब भी Court में किसी की Bail के खिलाफ कोई Objection फाइल किया जाता है तो Court उसे बहुत गंभीरता से लेता है। Court, फरियादी पक्ष से Objection के खिलाफ कोई सबूत नहीं मांगता, बस साधारण से सवाल पूछता है।

बहुत से ऐसे केस होते हैं, जिनमें बहुत आसानी से Bail मिल जाती है, लेकिन पुलिस या फरियादी में से किसी एक की तरफ से Objection उठाने पर Bail तुरंत खारिज हो जाती है। इसके बारे में आम लोगों को ज्यादा नहीं पता होता, इसलिए यह पुलिस का फर्ज है कि वे पीड़िता को इसके बारे में बताएं।

पुलिस को ये सब बातें Training में भी सिखाई जाती हैं। पुलिस ने इस केस में इन सब बातों को Overlook किया।

इसी केस को IPC के आधार पर दर्ज किया जाता तो केस पर क्या प्रभाव पड़ता?

महिला अपराध के मामलों को देखने वाली Advocate भारती ने केस FIR देखी फिर बोलीं- केस में BNS की धारा 74, 333, 296, 115(2) और 3(5) लगी हुई है। ये सारी धाराएं इस पूरे प्रकरण को एकदम साधारण बना देती हैं। पीड़िता के अनुसार घटना के वक्त अपराधियों ने शराब पी रखी थी।

इस बात को FIR में छिपाया गया। बिना महिला की इजाजत के पुलिस भी किसी महिला के घर में शाम 6 बजे बाद नहीं जा सकती, लेकिन इस केस में तो अपराधियों ने शराब पीकर घर में घुसकर छेड़छानी और मारपीट करने की कोशिश की। FIR पढ़ने पर यही समझ आ रहा है कि पुलिस ने कहीं न कहीं असंवेदनशील रवैया अपनाया है।

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