Narendra Modi US Visit Update News | वही Quad Summit जो इस साल भारत में होनी थी, पर अमेरिका की रिक्वेस्ट पर इसे होस्ट करने का मौका बाइडेन को दे दिया।
QUAD में ऐसा क्या खास है कि बाइडेन ने इसका Venue अपने स्कूल को रखा है, इस Organization ने 2007 से 2017 तक 10 सालों में अमेरिका के लिए भारत की अहमियत कैसे बढ़ाई… QUAD के जरिए भारत-अमेरिका रिश्तों की कहानी…
मैप में QUAD देशों को देखिए
57 फीट ऊंची लहरें, 2 लाख लोगों की मौत और 2007 में बना QUAD। QUAD 2007 में बना था, लेकिन इसके बनने की कहानी 2004 से शुरू होती है। 26 दिसंबर 2004 को आई Tsunami के चलते जापान, इंडोनेशिया और भारत समेत 14 देशों में 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई। क्रिसमस की अगली सुबह मची इस तबाही में इंडो-पैसिफिक में 57 फीट ऊंची समुद्री लहरें उठीं।
विदेश मामलों के Expert हर्ष वी पंत के मुताबिक Tsunami से प्रभावित देशों की मदद के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान ने एक Core Group बनाया। इस Group ने 2005 तक साथ मिलकर काम किया। ये सहयोग कामयाब रहा।
Tsunami से सबसे ज्यादा असर इंडोनेशिया में हुआ था। यहां 1.5 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।
फिर 15 दिसंबर 2006 को जापान के दौरे पर गए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दोनों देशों के साझा बयान में कहा, “हम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समान विचारों वाले देशों के साथ काम करने की इच्छा रखते हैं।” इस बयान के बाद QUAD के गठन की अटकलें शुरू हो गईं।
अगस्त 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत दौरे पर आए। उन्होंने भारतीय संसद को संबोधित करते हुए ‘दो महासागरों के संगम ( हिंद महासागर और प्रशांत महासागर)’ की बात कही। इस भाषण ने QUAD की नींव को और पुख्ता कर दिया।
मई 2007 में फिलीपींस की राजधानी मनीला में ASEAN देशों की एक Summit हो रही थी। इसमें कई दूसरे देशों के नेता और प्रतिनिधि भी शामिल होने पहुंचे थे। इन नेताओं ने ASEAN Summit में हिस्सा तो लिया, लेकिन इसके इतर इनमें से कुछ देशों ने एक अलग Meeting भी बुलाई। अलग Meeting करने वालों में भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के प्रतिनिधि थे।
2007 में हुई इस Meeting को QUAD देशों की प्राइमरी (पहली) बैठक के तौर पर जाना गया। इसी साल QUAD बन तो गया, पर इसके उद्देश्य तय हो पाते, इससे पहले ही अमेरिका ने चीन से दोस्ती बढ़ाने के लिए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।
मार्च 2008 में अमेरिकी दौरे पर राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के साथ तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने पूरे दिन Meeting की। इस दौरान अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के किसी भी अधिकारी ने QUAD का नाम तक नहीं लिया।
जॉर्ज बुश तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री केविन रूड के साथ।
अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया ने चीन के लिए QUAD को साइडलाइन किया, 2009 की बात। भारत और अमेरिका के बीच 1992 में Malabar अभ्यास की शुरुआत हुई थी। 2007 में जब QUAD के लिए पहल चल रही थी, उसी साल अप्रैल में हुए इस अभ्यास में जापान भी शामिल हुआ।
मई में QUAD देशों की बैठक के बाद सितंबर में एक बार फिर Malabar अभ्यास का आयोजन हुआ, इस बार इसमें भारत, अमेरिका, जापान के अलावा सिंगापुर भी शामिल हुआ। चीन ने इस अभ्यास का विरोध किया था।
उधर जापान में आंतरिक राजनीति के चलते जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को 2007 में ही इस्तीफा देना पड़। शिंजो आबे को QUAD का Godfather कहा जाता है।
ऑस्ट्रेलिया में भी सत्ता परिवर्तन हो गया था। 3 दिसंबर 2007 को ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री केविन रुड के नेतृत्व में नई सरकार बनी। फरवरी 2008 में चीन के दौरे पर गए ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री स्टीफन स्मिथ ने ऑस्ट्रेलिया के QUAD से बाहर आने का ऐलान कर दिया।
चीन के विरोध के चलते 2008 के Malabar अभ्यास में भी ऑस्ट्रेलिया शामिल नहीं हुआ। वहीं नई ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने भारत को Uranium बेचने के फैसले को भी पलट दिया।
अमेरिका भी चीन को नाराज नहीं करना चाहता था। 2005 में अमेरिकी उप विदेश मंत्री रॉबर्ट जोलिन चीन के दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने चीन से अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उत्तर कोरिया, ईरान और सूडान को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में लाने के लिए कहा था।
इससे इतर 2007 में अमेरिका सबसे ज्यादा आयात चीन से करने लगा था। सस्ता Labor मिलने के कारण अमेरिकी कंपनियों ने खुद को चीन में स्थापित कर लिया था। इससे उन्हें काफी मुनाफा मिल रहा था। 2008 में चीन, अमेरिका से सबसे ज्यादा कर्ज (600 Billion Dollar) लेने वाला देश बन गया था। उसने जापान को भी पीछे छोड़ दिया था।
इसी दौरान 2009 में अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हुआ। ओबामा राष्ट्रपति बने। उन्होंने ईरान और नॉर्थ कोरिया को साधने के लिए चीन को मनाए रखना जरूरी समझा।
इसके लिए G2 यानी ग्रुप ऑफ 2 बनाने की बात चली। ओबामा और तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को G2 के आइडिया ने काफी प्रभावित किया। हालांकि ये कभी अमल में नहीं आया। इसके बावजूद ओबामा प्रशासन ने चीन से रिश्ते सुधारने पर जोर दिया और QUAD को साइडलाइन कर दिया।
2013 में जिनपिंग की सत्ता से अमेरिका में घबराहट। 2007 में बंद हुआ QUAD का सफर कई सालों तक थमा रहा। QUAD के पहले फेज में कुछ पुख्ता नहीं हो पाने की बड़ी वजह था चीन, जिसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या भारत कोई भी नाराज नहीं करना चाहता था। वहीं इसके दोबारा बनने की वजह भी चीन ही बना, लेकिन इस बार कहानी पहले से अलग थी।
मार्च 2013 में शी जिनपिंग चीन के राष्ट्रपति बने। शी जिनपिंग ने 7 सितंबर 2013 को Belt And Road Initiative (BRI) प्रोजेक्ट की घोषणा की। चीन अपने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के जरिए पुराने Silk Trade Route की तर्ज पर यूरोप, दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व तक अपनी कनेक्टिविटी को बढ़ाना चाहता था।
ये चीन की उस आक्रामक राष्ट्रवादी नीति का हिस्सा था, जो उसने 2008 के आर्थिक संकट के बाद अपनाई थी। दूसरी तरफ चीन ने South China Sea में अपने दावों को मजबूत करने के लिए आर्टिफिशियल द्वीप बनाने शुरू कर दिए थे।
चीन की इन विस्तारवादी हरकतों ने पूरे हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक के देशों के लिए चुनौती पैदा कर दी। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक चीन ने 2015 में सेना को नए सिरे से तैयार करना शुरू कर दिया। इसके तहत चीन ने नौसेना की क्षमताओं को भी बढ़ाया।
चीन के BRI से भारत की भी चिंताएं बढ़ गईं। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए और BRI के बावजूद चीन से रिश्ते सुधारने की कोशिश की। वे अपने पहले कार्यकाल में 5 बार चीन गए।
2017 आया, अमेरिका ने 10 साल बाद QUAD जिंदा किया, भारत की अहमियत पहचानी। मोदी के चीन से रिश्ते सुधारने की कोशिशों के बावजूद 2017 में चीन ने डोकलाम में घुसपैठ की कोशिश की। इसके अलावा Nuclear Supplier Group (NSG) में भारत की सदस्यता को लेकर भी चीन ने 2018 में वीटो कर दिया। भारत इस ग्रुप की सदस्यता के लिए चीन का समर्थन चाह रहा था, जिसके लिए 2016 में अप्लाई किया था।
उधर ऑस्ट्रेलिया के संबंध भी चीन के साथ खराब हो रहे थे। दोनों देशों के बीच नवंबर 2014 में Free Trade Agreement पर साइन हुए थे। 2015 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अपने डार्विन बंदरगाह को 99 साल के लिए एक चीनी कंपनी को लीज पर दे दिया।
इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री से कहा था, “अगली बार आप कुछ ऐसा करें तो, पहले हमें बताएं।” दरअसल, अमेरिका डार्विन बंदरगाह का हर साल अपने सैन्य अभियानों के लिए इस्तेमाल करता था।
2017 में ऑस्ट्रेलिया ने देश की राजनीति में बढ़ते चीनी प्रभाव को कम करने के लिए बाहरी देशों से मिलने वाले चंदे पर रोक लगा दी। अगस्त 2018 में ऑस्ट्रेलिया ने 5G ब्रॉडबैंड नेटवर्क के लिए तकनीकी उपकरणों की खरीद से सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए चीनी कंपनी हुआवे को बैन कर दिया।