Himachal Pradesh News: रावण की तपोभूमि से ग्राउंड रिपोर्ट राम का नाम लेने पर लोग हो जाते हैं Angry, घर-घर में होती है रावण की Worship

Himachal Pradesh News | आज Dussehra है। लेकिन, मैं जिस जगह हूं वहां Dussehra नहीं मनाया जाता। यहां लोग आपस में Ram-Ram भी नहीं बोलते और रावण के बारे में कुछ बुरा सुनने पर गुस्से से भर जाते हैं। यहां की Dadi-Nani बच्चों को भगवान राम की नहीं, बल्कि रावण की Story सुनाती हैं।

जी हां, यह सच है। ऐसा होता है हिमाचल प्रदेश के Kangra District के Baijnath में। इस जगह को रावण की Taposthali कहा जाता है।

यहां मान्यता है कि रावण ने इसी जगह पर Shivji को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। जब शिव प्रसन्न नहीं हुए, तो रावण ने हवन कुंड में एक-एक कर नौ सिर चढ़ा दिए। इसके बाद भगवान प्रकट हुए और रावण से वर मांगने के लिए कहा।

मुझे बताया गया कि जिस स्थान पर रावण ने तपस्या की थी, उसी जगह पर एक Temple है।

मंदिर की खासियत और पुरातनता

मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक है। यह Temple हजारों साल पुराना है, जबकि शिलालेख के मुताबिक इसका निर्माण 9वीं से 12वीं सदी के बीच हुआ है।

Baijnath में न तो Dussehra मनाया जाता है और न ही रावण दहन किया जाता है। अगर किसी TV Channel पर रावण से जुड़ी कोई News या तस्वीर आ जाए तो यहां के लोग TV बंद कर देते हैं।

अगर गलती से भी कोई रावण बोल दे तो लोग नाराज़ हो जाते हैं। लोग गुस्से में कहते हैं- रावण नहीं, रावण जी कहिए। यहां कोई सोने (Jewellery) की दुकान भी नहीं खोलता। जिसने भी सोने की दुकान खोली, उसका Gold शिवलिंग के रंग का यानी काला पड़ जाता है।

नंदी की मन्नत

Shiv मंदिर के गर्भगृह के बाहर Nandi विराजमान हैं। लोग इनके कान में कुछ कहते हुए अपनी मन्नतें मांगते हैं।

जिन लोगों के साथ मैं Baijnath आई थी, उनमें से अधिकांश यहां के ही रहने वाले हैं। दूसरे इलाकों में लोग एक-दूसरे से मिलने पर Ram-Ram कहते हैं, लेकिन यहां लोग जय Shankar या जय Mahakal बोलते हैं।

रावण को इज्जत देने का कारण

मैंने एक युवक से पूछा कि यहां लोग रावण को इतना Respect क्यों देते हैं? नाराजगी जताते हुए उसने कहा, ‘रावण जी कहिए। मैं Gurgaon में Job करता हूं, वहां भी Dussehra नहीं मनाता, न रावण दहन देखने जाता हूं, क्योंकि वे हमारे लिए पूज्य हैं।’

बस Driver ने बीच में कहा, “हम अपने बच्चों को भगवान Ram की नहीं, बल्कि रावण जी की वीरता की कहानियां सुनाते हैं। आज तक उनके जैसा विद्वान और शक्तिशाली कोई नहीं हुआ।”

खास पूजा और पर्व

Baijnath में सावन महीने में विशेष पूजा होती है। इसके अलावा Shivratri धूमधाम से मनाई जाती है। इन दो त्योहारों के अलावा यहां कोई और पर्व Celebrate नहीं किया जाता।

मंदिर में रावण जी की नहीं होती मूर्ति या पूजा

मंदिर के Pandit Sanjay Sharma बताते हैं, “इस मंदिर में रावण जी की न तो कोई मूर्ति है और न ही उनकी पूजा होती है। लेकिन उनका दर्जा बहुत बड़ा है। बाकी देश के मुकाबले यहां उनकी अलग छवि है।”

यहां Dussehra क्यों नहीं मनाया जाता?

Pandit Sanjay Sharma बताते हैं, ‘Baijnath में रावण जी ने तप किया था। यहां जब भी किसी ने Dussehra मनाने की कोशिश की, एक महीने बाद उसकी Death हो गई। भगवान Shiv की धरती पर उनके भक्त का दहन कोई नहीं कर सकता। Mahakal नाराज हो जाते हैं। इसलिए यह परंपरा खत्म हो गई।’

सोने की दुकान खोलने पर क्या होता है?

Pandit Sanjay Sharma आगे बताते हैं, ‘जो भी यहां सोने की दुकान खोलता है, उसके तीसरे दिन ही सोना शिवलिंग की तरह काला पड़ने लगता है। फिर उसे Loss होने लगता है और अनहोनी होने लगती है। इसलिए यहां कोई सोने की दुकान नहीं खोलता।’

उन्होंने कहा, ‘भगवान Shiv ने रावण जी को सोने की Lanka दान में दी थी। इसलिए यहां कोई और सोने की दुकान नहीं खोल सकता या ज्यादा Gold भी नहीं रख सकता।’

रावण का मंदिर से संबंध

मंदिर के शिलालेख के मुताबिक बैजनाथ Temple से एक पौराणिक कथा जुड़ी है। त्रेता युग में रावण भगवान Shiv का परम भक्त था। उसने कैलाश पर्वत पर तपस्या की, लेकिन शिव प्रसन्न नहीं हुए। तब रावण ने हवन कुंड में अपना एक-एक सिर चढ़ा दिया।

Shivji ने रावण को आशीर्वाद दिया, लेकिन शर्त रखी कि अगर रावण उन्हें उठाने के बाद कहीं बीच में रखेगा, तो वे वहीं विराजमान हो जाएंगे। रावण ने यह शर्त मान ली, लेकिन रास्ते में Baiju नामक ग्वाले को शिवलिंग थमा कर खुद लघुशंका के लिए चला गया।

जब काफी देर तक रावण नहीं लौटा, तो Baiju ने शिवलिंग को ज़मीन पर रख दिया। रावण लौटकर आया, पर शिवलिंग नहीं हटा पाया। गुस्से में रावण ने शिवलिंग को अपने अंगूठे से दबा दिया, जिससे वह जमीन में धंस गया।

Temple का महत्व

Pandit Sanjay Sharma कहते हैं, ‘भले ही Baijnath Temple को 12 ज्योतिर्लिंगों में जगह नहीं मिली हो, लेकिन यहां के लोगों के लिए यह किसी ज्योतिर्लिंग से कम नहीं है। हजारों साल से यहां लोग भगवान Shiv की पूजा करते आ रहे हैं।

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