Gwalior News | परिवहन विभाग के जिस पूर्व आरक्षक के पास काली कमाई का खुलासा हुआ है, उसने अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन में अपने बड़े भाई सचिन शर्मा का नाम छिपा लिया था। यह फर्जीवाड़ा पहले ही दिन से किया गया था। अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन में उसने पिता की जगह पर सिर्फ मां और खुद की जानकारी दी थी।
सौरभ शर्मा का अनुकंपा नियुक्ति आवेदन सामने आया है, जिसमें केवल मां उर्मा शर्मा और खुद की जानकारी दी गई है। इस आवेदन पर तत्कालीन सीएमएचओ के हस्ताक्षर और सील हैं, और अंत में सौरभ शर्मा के हस्ताक्षर भी हैं।
क्या है आवेदन में किया गया फर्जीवाड़ा
सौरभ शर्मा ने खुद की पूरी जानकारी आवेदन में लिखी थी, जिसमें पता 47 विनय नगर सेक्टर दो, ग्वालियर लिखा था। इस मामले में लोकायुक्त एसपी से शिकायत भी की गई है।
हाथ से लिखे आवेदन में क्या था
सौरभ शर्मा ने दिसंबर 2015 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए हाथ से आवेदन भरा था। इसमें उसने पिता का पूरा नाम राकेश कुमार शर्मा और उनकी मृत्यु की तिथि नवंबर 2015 दी थी। शैक्षिक अर्हता में बीएससी (बायो) और पीजीडीसीए का विवरण था। परिवार के सदस्य के तौर पर मां और खुद की जानकारी दी थी।
बड़े भाई की जानकारी छिपाना
सौरभ शर्मा ने अपने बड़े भाई सचिन शर्मा की जानकारी छिपाई थी, जो सितंबर 2013 में शासकीय सेवा में आ चुके थे। सचिन शर्मा रायपुर वित्त विभाग के कार्यालय में सहायक संचालक के पद पर कार्यरत हैं। अगर सौरभ ने यह जानकारी दी होती, तो उसकी अनुकंपा नियुक्ति संभव नहीं हो पाती।
झूठी शपथ और सीएमएचओ की भूमिका
अनुकंपा नियुक्ति के लिए भरे गए आवेदन में घोषणा पत्र भी था, जिसमें यह उल्लेख था कि यदि कोई जानकारी असत्य पाई जाती है तो अनुकंपा नियुक्ति रद की जा सकती है। इस मामले में तत्कालीन सीएमएचओ की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सौरभ के करीबी साथियों की जांच
सौरभ के करीबी चार आरक्षकों की भी जांच की जा रही है, जिनके जरिए वह काली कमाई का नेटवर्क चला रहा था। इनमें एक गौरव पाराशर नाम का आरक्षक भी है, जो शिवपुरी का निवासी है। हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने शिवपुरी जिले के पिछोर में जांच की थी, जहां गौरव के पास 25 एकड़ जमीन का पता चला है।
आरक्षक धनंजय चौबे, हेमंत जाटव, नरेंद्र सिंह भदौरिया और गौरव पाराशर का परिवहन विभाग में काफी प्रभाव था, और इनकी मदद से सौरभ का काम चलता था।