Sagar News | सागर के भाग्योदय तीर्थ में चल रहे श्रावक संस्कार Camp का समापन बुधवार को हुआ। इस Camp में निर्यापक मुनि सुधा सागर जी महाराज के सानिध्य में देश-विदेश से 4 हजार से अधिक श्रावक शामिल हुए। इनमें से 40 श्रावक ने निर्जला उपवास रखा और 10 दिन तक न कुछ खाया और न ही पानी पीया।
निर्जला उपवास की कठिनाइयाँ और उपाय
निर्जला उपवास के दौरान श्रावक पानी से कुल्ला तक नहीं करते। नहाते समय पानी मुंह में न जाए, इसके लिए वे होंठ चिपकाए रखते हैं। 10 दिन के उपवास के कारण उनकी Intestines सिकुड़ जाती हैं। उपवास तोड़ने के बाद, गर्म पानी, ओकाली (काढ़ा), और मुनक्का जैसी गर्म चीजें खाकर इनकी सिकुड़ी आंतों को खोला जाता है।
तपस्या का अनुभव और लाभ
श्रावकों का कहना है कि 10 दिन का उपवास एक साल की Energy प्रदान करता है। इस दौरान न तो शरीर में कोई तकलीफ होती है और न ही परिवार की याद आती है। वे बाहरी दुनिया से दूर रहकर तपस्वी जीवन जीते हैं।
शिविर की दिनचर्या और ब्रह्मचर्य
Camp में परिवार, Mobile और पैसे से 10 दिन तक दूर रहकर Brahmacharya का पालन कराया गया। यह मोह त्यागकर Detachment की दिशा में पहला कदम है। Yoga, तप, चटाई पर सोना, सफेद धोती पहनना, हाथ में Jain Literature से भरा Bag, एक समय मौन, और Ahimsa का पाठ, यही श्रावकों की दिनचर्या का हिस्सा है।
तपस्या का अद्भुत अनुभव
गुना के मावा बाटी परिवार के प्रमोद ने बताया, “1990 में जब सुधा सागर जी महाराज गुना आए थे, तब वहां पानी की समस्या थी। महाराज जी ने कुएं में मंत्र दिया, जिसके कारण अब तक Ground Level पर पानी है। यह साधारण बात नहीं है।”
शिविर का प्रभाव और उपवास की महत्वता
महाराष्ट्र के सांगली निवासी जय कुमार जैन ने कहा, “मैं Farming करता हूं। सुधा सागर जी महाराज के दर्शन के लिए सागर आया और Camp में बैठकर उपवास रखने का निर्णय लिया। 10 दिन का तप और कठिन साधना करने के बाद, कोई समस्या नहीं हुई।”
अमेरिका से आए नमन जैन की तपस्या
अमेरिका में Pharma Company में HR Officer नमन जैन ने कहा, “मैं 2023 में आगरा में सुधा सागर जी महाराज से जुड़ा। अब मैं विदेश से सागर आया हूँ और 4 साल से निर्जला उपवास कर रहा हूं। नहाते समय होंठ चिपकाए रखता हूं ताकि पानी मुंह में न जाए। उपवास के दौरान आंतें सिकुड़ जाती हैं, जिन्हें खोलने के लिए गर्म पानी का उपयोग करता हूँ।”
40 साल से उपवास करने वाले हरिश्चंद्र जैन
सागर के जैतपुर डोमा के रहने वाले हरिश्चंद्र जैन ने बताया, “मैं 40 साल से लगातार आत्म कल्याण के लिए उपवास कर रहा हूं। कभी भी किसी प्रकार की तकलीफ नहीं हुई। उपवास के दौरान 24 घंटे में सिर्फ एक बार जल लेते हैं और परिवार से दूर साधना करते हैं।”
अमूल्य 10 दिन का अनुभव
जबलपुर से आए व्यापारी हितेंद्र जैन ने कहा, “मैं 12 साल से Camp में आ रहा हूं। ये 10 दिन अमूल्य होते हैं। Guru के सानिध्य में आने के बाद ही सब संभव होता है। सुबह 3.30 बजे उठकर ठंडे पानी से नहाते हैं, लेकिन कोई तकलीफ नहीं होती। सिर्फ दो गिलास पानी लेकर व्रत पूरे किए हैं।”
साधना की भावना और आत्मा
राजस्थान से आए दिव्यांश जैन ने कहा, “यहां की साधना देखकर उपवास करने की भावना जागी। सुबह 3.30 बजे उठते हैं और रात 10 बजे तक Class चलती है। यह आत्मा को परमात्मा से मिलाने का साधन है। परिवार और Mobile की दुनिया से दूर रहकर साधना करते हैं। सफेद धोती पहनते हैं और इन दस दिनों में कभी भी घर की याद नहीं आई।”
आचार्य विद्यासागर का अंतिम प्रवचन
आचार्य विद्यासागर जी महाराज 17 फरवरी को रात 2:35 बजे Maha Samadhi में लीन हो गए। उनके अंतिम प्रवचन का Video सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कि प्रभु अंतिम समय में हम किसी भी प्रार्थना की अपेक्षा नहीं करते हैं। अंतिम समय में प्रभु का नाम निकलता रहे, इसके अलावा और कोई इच्छा नहीं है। यह प्रवचन श्री आचार्य ने 17 फरवरी को ही रात 8 बजे दिया था।