Ujjain News l सवारी की शुरुआत से लेकर उसके समाप्त होने तक नियम और परंपराओं का पालन पुजारी की जिम्मेदारी होती है। सबसे पहले, मंदिर के Assembly Hall में Laya-Vilaya पूजन किया जाता है। इस पूजन के दौरान महाकाल से निवेदन किया जाता है कि आप इस मूर्ति में विराजमान हो जाएं। इसके बाद, पुजारी Chandra-mouleshwar भगवान की मूर्ति को Palanquin में स्थापित कर देते हैं। जब सवारी वापस मंदिर लौटती है, तब यही पूजन फिर से किया जाता है। इस प्रक्रिया को Baanling Puja कहा जाता है, जिसमें महाकाल के Life Force चंद्रमौलेश्वर की मूर्ति में डाले जाते हैं और फिर सवारी के बाद महाकाल में वापस किए जाते हैं।
कड़ाबीन: Explosions की ध्वनि से सूचना
सवारी के दौरान, Palanquin के आने की सूचना कड़ाबीन के धमाकों से मिलती है। कड़ाबीन चलाने के लिए प्रत्येक बार 100 ग्राम Barood की आवश्यकता होती है। ये कार्य पांच लोग, जिनमें Ramesh Kahar, Prakash Kahar, Subhash Rizwania, Neelesh Bairagi, और Nandu Malviya शामिल हैं, पालकी के आगे चलते हैं। इन्हीं के कड़ाबीन से निकलने वाली धमाके की आवाज से श्रद्धालुओं को पता चलता है कि बाबा महाकाल की पालकी आ रही है।
रस्सा पार्टी: 100 किलो के Rope से 60 पुलिसकर्मी सुरक्षा
शाही सवारी में महत्वपूर्ण भूमिका रस्सा पार्टी की होती है। इसका काम Palanquin के आसपास सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना होता है। करीब 100 किलो के 100 फीट के Rope को खींचने के लिए 60 पुलिसकर्मी तैनात होते हैं। इस Rope के लिए ताकत और Technique दोनों लगती है।
शाही सवारी में एक टीआई Narendra Singh Parihar करीब 32 साल से सेवा देते आ रहे हैं। वे भले ही प्रदेश में कहीं भी तैनात हों, लेकिन विशेष डिमांड पर उनकी सेवा ली जाती है।
महाकाल थाने के ASI Chandra Bhan Singh भी 21 साल से रस्सा पार्टी और पालकी की सुरक्षा में तैनात हैं। चंद्रभान कहीं भी पोस्टेड हों, सवारी के दौरान उन्हें बुलाया जाता है। चंद्रभान सिंह ने बताया, ‘बाबा की सेवा से बड़ा कुछ नहीं हो सकता। पालकी के आसपास चलने वाले रस्से को तालमेल से गोलाई से चलाया जाता है।’
कहार: 80 से 100 Kahars पीढ़ियों से उठा रहे पालकी
बाबा महाकाल की सवारी के दौरान करीब 80 से 100 Kahars पालकी उठाते हैं। एक बार में 6 से सात Kahars पालकी उठाते हैं। करीब सात किलोमीटर के रूट में सभी बदलते रहते हैं। ये लोग पीढ़ियों से पालकी उठाने की सेवा कर रहे हैं।
प्रशांत Kahar बताते हैं कि सवारी निकलने से पहले सभी Protocol का पालन करते हैं। जैसे, एक राजा के यहां काम करने वाले कर्मचारियों की ड्रेस होती है, वैसे ही हम सब Orange कुर्ता और सफेद धोती पहनते हैं। एक दिन पहले ड्रेस धोकर स्ट्रीक करके रख लेते हैं, जिसमें महाकाल मंदिर की Seal लगाई जाती है। खुद को शुद्ध रखने के लिए सफाई का ध्यान रखते हैं।
बैंड पार्टी: शाही सवारी के लिए एक हफ्ते प्रैक्टिस
शाही सवारी में चार Bands शामिल होंगे। ये Bands परंपरा के अनुसार कई साल से भगवान महाकाल की सेवा कर रहे हैं। एक Band मुस्लिम समाज के शख्स का भी है। सभी लोग एक साथ Bhajan गाते हुए चलते हैं। शाही सवारी में पुलिस Band के साथ Shri Ganesh Band, Bharat Band, Rajkamal Band, और Ramesh Sangeet Band शामिल होंगे। Bharat Band के Firoz Bhai कई साल से महाकाल की सेवा में Band बजाते हैं।
गणेश Band के प्रमुख Vijay Sargara बताते हैं कि शाही सवारी में हर बार नई ड्रेस, गाड़ी, विद्युत सज्जा समेत चार लाख रुपए से अधिक का खर्च होता है। इसका खर्च हम ही उठाते हैं। चार पीढ़ियों से हमारे पूर्वज भी सवारी में शामिल होकर Band बजाते थे। महाकाल मंदिर समिति की ओर से प्रसाद के रूप में 11 हजार रुपए मिलते हैं। शाही सवारी के लिए एक हफ्ते पहले से प्रैक्टिस कर रहे हैं।
इसलिए निकलते हैं राजा महाकालेश्वर
महाकवि कालिदास ने Meghdoot में महाकाल मंदिर का महत्व बताया है। बताया जाता है कि राजा Vikramaditya को महाकालेश्वर ने स्वप्न दिया था। वे महाकाल के बड़े भक्त थे। उन्होंने महाकालेश्वर को ही उज्जैन का सबसे बड़ा राजा माना था।
उन्होंने उज्जैन में प्राकृतिक आपदाओं से बचने और शांति के लिए प्रजा का हाल जानने श्रावण महीने के हर सोमवार नगर भ्रमण पर निकलने का आग्रह किया। इसके बाद से ही उज्जैन नगर में राजा महाकालेश्वर प्रजा का हाल जानने निकलते हैं।