Guna News: पुलिस पार्टी पर फायर करने के आरोपी बरी कोर्ट ने कहा- जिसकी संपत्ति को अवैध रूप से छीना जाता है, उसे रक्षा का अधिकार

Guna News | कोर्ट ने राघौगढ़ के इलाके में वर्ष 2017 में घटित एक मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। यह मामला तब शुरू हुआ जब पुलिस फोर्स ने कोटक महिंद्रा बैंक के कर्मचारियों के साथ मिलकर एक ट्रैक्टर सीज करने का प्रयास किया। इस दौरान, एक Constable को गोली मारी गई और अन्य पर फर्सा और लोहांगी से हमला किया गया। यह घटना ग्राम पीपल्या में हुई थी, जिसे कोर्ट में साबित नहीं किया जा सका। इस मामले में बचाव पक्ष की पैरवी एडवोकेट दिलीप राजपूत ने की।

मामला वर्ष 2017 का है। 19 नवम्बर 2017 को एसएएफ बटालियन का सशस्त्र गार्ड पुलिस लाइन गुना से प्रधान आरक्षक हरिकिशन, आरक्षक नरेंद्र कुमार, मोहन धाकड़, भूपसिंह और अंजू तोमर के साथ कोटक महिंद्रा बैंक नानाखेड़ी के कर्मचारियों सुजान सिंह यादव, पूजा राजपूत, संतोष रघुवंशी, राजकुमार रघुवंशी, संतोष उर्फ गोलू रघुवंशी के साथ Arms Ammunition लेकर तीन बुलेरो गाड़ियों से कुम्भराज इलाके में रवाना हुए, जहां एक ट्रैक्टर सीज किया गया। इसके बाद वे राघौगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम पीपल्या पहुंचे और बाबूलाल राय का ट्रैक्टर कमांक एमपी 08 एएल 2992 किश्त जमा न करने पर सीज कर दिया।

जैसे ही पुलिस फोर्स जामनेर रोड़ पर ओमकार ओझा के मकान के पास पहुंची, पीछे से पीपल्या गांव के बाबूलाल राय, जीतू राय, बंटी राय, सोनू राय, बनाजी और अन्य 6-7 लोग फर्सी, लुहांगी, बल्लम से लैस होकर तीन-चार मोटरसाइकिल पर आए और ट्रैक्टर को छुड़ाने का प्रयास करने लगे। जब फोर्स ने इन्हें रोका, तो उन लोगों ने प्राणघातक हमला किया। आरक्षक मोहन धाकड़ ने आत्मरक्षा में इंसास रायफल से फायर किया, लेकिन बाबूलाल ने फर्सी मारी जो रायफल में लगी। फिर बाबूलाल ने रायफल को छीनकर फायर किया, जिससे गोली आरक्षक मोहन धाकड़ के बांये पैर में लग गई। जीतू राय ने भी फर्सी मारी, जिससे उसे चोट आई। सभी लोगों ने उन पर और बैंक कर्मचारियों पर प्राण-घातक हमला किया। धर्मेन्द्र यादव को पीठ में चोट आई। आरोपियों ने बुलेरो गाड़ी को तोड़फोड़ किया और ट्रैक्टर को छुड़ाकर भाग गए, वहीं रायफल को फेंक दिया।

इस मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बलवा, शासकीय कार्य में बाधा और डकैती की धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी। विवेचना के दौरान ट्रैक्टर का नंबर भी बदल गया। जांच में पता चला कि आरोपी सोनू राय की दस साल पहले मृत्यु हो चुकी थी। इसी तरह, आरोपी बना जी घटना में शामिल नहीं पाए गए, इसलिए उनके नाम चार्जशीट से हटा दिए गए। अन्य 6-7 आरोपियों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलने के कारण मात्र 3 नामजद आरोपियों बाबूलाल, बंटी उर्फ राहुल और जीतू उर्फ जितेंद्र के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई। विवेचना में एफआईआर में दर्ज ट्रैक्टर का नंबर एमपी 08 एएल 2992 के स्थान पर एमपी 08 एबी 2792 पाया गया। विवेचक ने इस चूक का तर्क दिया कि फरियादी ने घबराहट में गलत नंबर बताया था।

इस मामले में कोर्ट ने 72 पेज का फैसला सुनाया। चार दिन पहले जारी आदेश में कोर्ट ने पाया कि कोटक महिंद्रा बैंक के कर्मचारी और सीजर सुजान सिंह यादव, पूजा राजपूत, राजकुमार रघुवंशी, संतोष उर्फ गोलू रघुवंशी आदि अभियोजन की ओर से कोर्ट में पेश हुए, लेकिन बचाव पक्ष के वकील द्वारा रखे गए तर्कों के सामने टिक नहीं पाए। उन्होंने घटना के होने से इनकार कर दिया।

एक गवाह संतोष रघुवंशी ने खुद को एल एंड टी कंपनी का सीजर बताया, लेकिन उसने घटना स्थल पर ट्रैक्टर सीज करने जाने से इंकार कर दिया। इसी तरह, एल एंड टी कंपनी के कलेक्शन मैनेजर गगन पालीवाल ने ट्रैक्टर सीजिंग के लिए कोई Authority Letter जारी करने से इनकार किया।

पुलिस के बयान भी कोर्ट में साबित नहीं हो सके। प्रधान आरक्षक हरिकिशन से इंसास राइफल जप्त की गई थी, लेकिन वह यह साबित नहीं कर सका कि चोटें घटना के दौरान आई थीं। पुलिस के आरक्षक नरेंद्र कुमार ने घटना स्थल पर आरोपियों की मौजूदगी से इंकार कर दिया। महिला आरक्षक अंजू तोमर ने कहा कि वह घटना के वक्त दूर चली गई थी और उसने किसी आरोपी का नाम नहीं बताया।

अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस आरक्षक मोहन धाकड़ को पैर में गोली लगी, उसने भी बाबूलाल द्वारा फायर करने की बात कोर्ट में नहीं कही। उसका कहना था कि खींचातानी के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा रायफल का ट्रिगर दब गया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट में गवाही देने आए एसएएफ कंपनी प्रभारी दिनेश चैतीवार और पुलिस लाइन में पदस्थ प्रधान आरक्षक रामकुमार दुबे ने कोटक महिंद्रा बैंक के कर्मचारियों के साथ जाने हेतु पुलिस फोर्स को ड्यूटी प्रमाण जारी करने की बात कही।

अभियोजन यह भी साबित नहीं कर सका कि कोटक महिंद्रा बैंक के कर्मचारी किस अधिकार से सशस्त्र पुलिस फोर्स के साथ बाबूलाल के घर पहुंचे थे। साथ ही ट्रैक्टर जब्त करने की प्रक्रिया के दौरान ट्रैक्टर का पंचनामा बनाकर रसीद क्यों नहीं बनाई गई। पुलिस द्वारा जिन गवाहों रज्जाक और गुड्डा के समक्ष आरोपियों से धारदार हथियार जब्त करना दर्शाए थे, उनमें से गुड्डा कोर्ट में पेश नहीं हुआ और रज्जाक मुकर गया। उसने कहा कि उसने दस्तावेजों पर पुलिस के कहने से हस्ताक्षर किए थे।

आरोपियों की ओर से एडवोकेट दिलीप राजपूत ने पैरवी करते हुए सरफेसी एक्ट के उल्लंघन का हवाला दिया और आवश्यक कार्यवाही न करने के तर्क कोर्ट में रखे।

कोर्ट ने पाया कि बाबूलाल का ट्रैक्टर कोटक महिंद्रा बैंक से फाइनेंस नहीं हुआ, बल्कि यह एल एंड टी कंपनी से फाइनेंस था। इसलिए, घटना के दिन कोटक महिन्द्रा बैंक के कर्मचारियों के साथ पुलिस बल का ग्राम पीपल्या में बाबूलाल के घर पहुंचना न्यायोचित नहीं था। कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि फरियादी पक्ष को आरोपी के ट्रैक्टर को सीज करने का कोई अधिकार नहीं था। इस तरह की परिस्थितियों में हर व्यक्ति को जिसकी संपत्ति को अवैध रूप से छीना जाता है, उसे अपनी संपत्ति की और अपनी व्यक्तिगत रक्षा का पूर्ण अधिकार रहता है।

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