Delhi News : कैसे टॉप नौकरशाही में मिलती है लेटरल एंट्री

Delhi News l देश की Top Bureaucracy में 45 पदों को लेटरल एंट्री के जरिए भरने का Advertisement आया है। इसके बाद से ही Rahul Gandhi, Akhilesh Yadav और Tejashwi Yadav जैसे नेता सक्रिय हैं और सरकार पर Reservation छीनने का आरोप लगा रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि सरकार लेटरल एंट्री से अपने पसंदीदा लोगों को लाएगी और SC, ST और OBC वर्ग का Reservation छीन लिया जाएगा। UPSC की ओर से जारी Advertisement में Director, Joint Secretary और Deputy Secretary जैसे पदों पर भर्ती निकाली गई है, जो 24 Ministries के लिए हैं। UPSC का यह कदम नया नहीं है।

लेटरल एंट्री का इतिहास

देश के पहले Prime Minister Jawaharlal Nehru के दौर से ही ऐसा होता रहा है, लेकिन इस बार Opposition ने इसे Reservation से जोड़ दिया है। इसके चलते नौकरशाही में लेटरल एंट्री को लेकर नए सिरे से Debate शुरू हो गई है। खासतौर पर Lok Sabha Elections में Reservation छीने जाने और Constitution बदलने की बात कहकर UP जैसे राज्य में अच्छे वोट पाने वाले Opposition दल इस पर आक्रामक हैं। वहीं, सरकार लेटरल एंट्री को लेकर पुराना History याद दिला रही है। पूर्व PM Manmohan Singh, Planning Commission के Vice Chairman रहे Montek Singh Ahluwalia और Sam Pitroda जैसे लोग लेटरल एंट्री से ही नौकरशाही का हिस्सा बने थे और लंबे समय तक पदों पर रहे।

लेटरल एंट्री क्या है?

जैसा कि नाम है, लेटरल एंट्री के माध्यम से उन लोगों को Government Service में लिया जाता है, जो Traditional Cadre से नहीं आते। IAS नहीं होते, लेकिन उन्हें अपने Profession का लंबा अनुभव होता है। उस Industry अनुभव का लाभ लेने के लिए ही अकसर सरकार बाहर के लोगों को लेटरल एंट्री देकर Services में लाती रही है। Telecom, Media, Mining जैसे कई ऐसे Sector हैं, जिनमें विशेष Professional अनुभव की जरूरत होती है। Traditional Cadre से आए लोगों की अपेक्षा सरकार ऐसे Departments में कई बार Industry का अनुभव रखने वाले लोगों को उचित समझती है। इसी के लिए लेटरल एंट्री की सुविधा दी गई है। आमतौर पर इसके माध्यम से Mid Level और Senior Level पर Officers को नियुक्ति मिलती है।

UPA के बनाए आयोग ने दिया था लेटरल एंट्री का सुझाव

औपचारिक तौर पर लेटरल एंट्री को PM Narendra Modi के कार्यकाल में 2018 में शुरू किया गया था। लेकिन इसे बिना कोई नाम दिए ही भर्ती की जाती रही थी। लेटरल एंट्री वाले लोगों को आमतौर पर 3 से 5 साल के लिए Hire किया जाता है। इसके बाद यदि संभावना होती है तो उन्हें Service Extension भी मिलता है। इस पर विवाद के बाद Government Sources का कहना है कि लेटरल एंट्री को औपचारिक रूप देने की कोशिश UPA ने ही की थी। UPA Government ने 2005 में Second Administrative Reforms Commission का गठन किया था। इसके Chairman Veerappa Moily थे। इस Commission ने सिफारिश की थी कि कुछ पदों पर Specialization की जरूरत है और वहां नियुक्ति के लिए लेटरल एंट्री कराई जाए।

लेटरल एंट्री में आरक्षण क्यों नहीं मिलता?

Commission का कहना था कि Private Sector, Academic World के लोगों, PSU में काम करने वाले Officers को लेटरल एंट्री के माध्यम से नौकरशाही में जगह मिलनी चाहिए। इस Commission को Indian Administrative Service में सुधार के लिए सुझाव का जिम्मा दिया गया था। अब बात आरक्षण की करते हैं कि आखिर लेटरल एंट्री में यह क्यों नहीं मिलता, जिसे लेकर विवाद है। इस पर Personnel & Training Ministry का कहना है कि आरक्षण 13 Points वाली Roster Policy से मिलता है। यह एक Cadre की भर्ती पर होता है, लेकिन किसी Department में यदि एक ही पद हो तो फिर ऐसा नहीं किया जा सकता। Department के Sources का कहना है कि कुल 45 पद हैं और अलग-अलग Level पर Ministries में रखे जाने हैं। ये सारे पद Single हैं और इनमें Reservation लागू नहीं हो सकता।

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