Rohtak News: खट्टर के गांव के लोग बोले- यहां BJP नहीं जीतेगीरहकर Drinking Water तक नहीं दे पाए, जमीनें जाने से किसान नाराज

Rohtak News | मेरे गांव में BJP कभी नहीं आ सकती। वो Farmer विरोधी है। खट्टर भले इस गांव में पैदा हुए हैं, लेकिन हम उन्हें पसंद नहीं करते। खट्टर एक-दो बार आए थे। हमने अपनी शिकायतें बताईं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। हमारी 10 किले खेती (4 से 5 Bigha जमीन) ऐसे ही पड़ी है। Water आता ही नहीं, तो खेती कैसे करें।’

रोहतक के निन्दाना गांव के रहने वाले Balbeer Nehra हरियाणा के CM रहे मनोहर लाल खट्टर से नाराज हैं। खास बात ये है कि निन्दाना मनोहर लाल खट्टर का भी गांव है। वे यहीं पैदा हुए, यहीं पढ़ाई की।

85 साल के Balbeer ने खट्टर को उनके बचपन से देखा है, लेकिन उनके बचपन के किस्सों की बजाय शिकायतें सुनाने लगते हैं। कहते हैं, ‘गांव में Drinking Water नहीं है। गांव के बाहर से लाना पड़ता है। चकबंदी में किसानों की जमीनें गई थीं, जो अब तक नहीं मिलीं।’

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को एक फेज में वोटिंग होगी। दो बार हरियाणा के CM रहे और अभी Central Minister मनोहर लाल खट्टर के गांव निन्दाना का चुनावी मिजाज जानने दैनिक भास्कर यहां पहुंचा। गांव में खट्टर के बचपन के किस्से सुनाने वाले तो कम मिले, लेकिन लौटते वक्त हमारे पास शिकायतों का पूरा पिटारा था।

रोहतक का निन्दाना गांव हरियाणा के पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर का पैतृक गांव है। ये गांव Meham विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां से BJP कभी चुनाव नहीं जीती।

सबसे बड़ी शिकायत

गांव का पानी खारा, रोज दो कोस दूर से लाते हैं Drinking Water। निन्दाना गांव में एंट्री से पहले एक हैंडपंप है। यहां बर्तन लिए बच्चों से लेकर बुजुर्गों और महिलाओं की लाइन लगी थी। साइकिल पर Plastic की कैन बांधे एक शख्स हमारे पास से निकला। गुस्से में बोला, ‘गांव का पानी खारा है। मैं रोज एक कोस दूर से पानी लाता हूं। एक बार में एक कैन ले जा पाता हूं। 2-3 कैन की जरूरत पड़ती है।’

सरकारी नल नहीं है क्या? जवाब मिला, ‘है, लेकिन हफ्ते में एक बार 10 मिनट के लिए पानी आता है, फिर बंद हो जाता है।’

यहीं हमारी मुलाकात 85 साल के Balbeer Nehra से हुई। हमने खट्टर के बचपन के बारे में पूछा तो वे किस्सों की जगह शिकायतें सुनाते हैं। बताते हैं, ‘हमारी खेती ऐसे ही पड़ी है। पानी नहीं आता तो खेती कैसे करें। चकबंदी की दिक्कत पूरे गांव में है, कोई नहीं सुनता। मैं बुजुर्ग हूं। फिर भी Drinking Water लेने रोज दो किलोमीटर जाता हूं। गांव में पीने तक का पानी नहीं है।’

गांव में हम कुछ और बुजुर्गों से मिले। उनमें से एक Azad Singh से हमने खट्टर के बचपन के बारे में पूछा। आजाद कहते हैं, ‘वो यहां रहता था, तब बहुत छोटा था। फिर उसका परिवार यहां से चला गया।’

हमने Azad Singh से पूछा कि क्या मनोहर लाल के बचपन की कोई खासियत या कोई किस्सा याद है? वे गुस्से में बोले, ‘कोई याद नहीं है। कोई खासियत भी नहीं थी। हमारी सीट Meham से वे कभी चुनाव ही नहीं लड़े। हमने भी उन्हें या उनकी पार्टी को कभी वोट नहीं दिया।’

पानी की दिक्कत पर आजाद कहते हैं, ‘सरकार ने ये भी नहीं किया कि जहां मीठा पानी आ रहा हो, वहां से पानी की लाइन गांव में ले आए।’

आजाद के साथ खड़े कुछ लोग कहते हैं, ‘Drinking Water तो ले आते हैं, लेकिन नहाना तो इसी खारे पानी से पड़ता है।‘ हाथ दिखाते हुए बोले- ‘यहां ज्यादातर लोगों को खाज की परेशानी है। ये इसी पानी की वजह से है।’

लंबे-लंबे घूंघट में 2-3 किलोमीटर दूर से महिलाएं भी पानी भरने पहुंचीं

इसी हैंडपंप पर पानी भरने आईं Poonam कहती हैं, ‘खारा पानी तो पी नहीं सकते इसलिए दो किलोमीटर दूर आना पड़ता है। 2-3 चक्कर लगाने ही पड़ते हैं। उस पानी से तो जानवर भी मुंह फेर लें।’ खट्टर के बारे में पूछने पर कहती हैं, ‘हां जानते हैं। मुख्यमंत्री थे, लेकिन कोई विकास नहीं किया।’

Poonam ने लंबा घूंघट ओढ़ रखा था। ये पूछने पर कहीं गिर गईं तो? वो हंसते हुए जवाब देती हैं, ‘गांव के बड़े-बूढ़ों की प्रथा है। हमें तो घूंघट करना ही पड़ेगा। इंटर पास हूं। पर घूंघट तो सब करते हैं क्या फेल क्या पास।’

पानी की परेशानी पर पास में खड़ी Kavita भी घूंघट के अंदर से ही बोलती हैं, ‘हम भी दो किलोमीटर दूर से पानी भरने आते हैं। जहां से Poonam आती है।’ गांव की दूसरी औरतों की भी लगभग यही कहानी है। इसके बाद दोनों ने घूंघट और लंबा किया, सिर पर मटके रखे और आपस में बात करते हुए निकल गईं।

रोहतक का निन्दाना गांव मनोहर लाल खट्टर का पैतृक गांव है। यहां के लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है। गांव के बाहर लगे एक हैंडपंप का ही सहारा है।

मेरे खेत सरकार ने ले लिए, बदले में जो दिए उस पर दूसरे का कब्जा

निन्दाना गांव के रहने वाले Suresh Kumar हमारे सामने अपने कागजों का पुलिंदा खोलकर रख देते हैं। 2017 में गांव में चकबंदी हुई थी। 7 साल से चक्कर लगा लगाकर थक गया हूं, लेकिन अपने खेतों पर अब तक कब्जा नहीं मिला।

हाथों में कागज दिखाते हुए वे कहते हैं, ‘मेरे पास 4 कनाल (1 कनाल में 10 बिस्वा जमीन) खेत थे। चकबंदी में मेरा खेत Amin Son Of Manger को दे दिया गया। इसके बदले में मुझे जो खेत दिए गए, वो गांव से दो-ढाई किलोमीटर दूर हैं। उस पर दूसरों का कब्जा है। मैं DM, SDM और तहसीलदार के ऑफिस में चक्कर काट रहा हूं। इसके बाद भी मुझे मेरे खेतों पर कब्जा नहीं मिला।’

वे आगे कहते हैं, ‘मैं न BJP का हूं और न कांग्रेस का, इसलिए प्रशासन को मेरी फिक्र नहीं है। ये सिर्फ मेरा मामला नहीं है, बल्कि गांव में 10 और केस हैं।’

Suresh आगे कहते हैं, ‘गांव के एक साधु की 4 किले खेती थी। उसे सिर्फ दो किले मिले, दो किले गायब हो गए। रसूखदारों को अच्छी खेती मिल रही है। बाकी हम जैसों को कोई नहीं पूछ रहा।’

पंडित Radheshyam की दो किले जमीन चकबंदी में चली गई। वे कहते हैं, ‘मनोहर लाल पहले यहां आते थे। मैंने उनसे कई बार कहा कि मेरा काम करा दें, लेकिन उन्होंने नहीं कराया।’

खट्टर के स्कूल में जूनियर बोले- वो बचपन से गुस्सैल स्वभाव के थे

यहां हमारी मुलाकात Jayprakash Shastri से हुई। वे स्कूल में मनोहर लाल खट्टर से 3 साल जूनियर थे। Jayprakash कहते हैं, ‘खट्टर ने प्राइमरी एजुकेशन यहीं के स्कूल से ली। मेरा भाई उनके साथ पढ़ता था। वे बिल्कुल अपने दादा भगवान दास की तरह लगते हैं। उनकी मूंछें भी बिल्कुल दादा के जैसी ही हैं।’

मनोहर लाल खट्टर की प्राइमरी एजुकेशन इसी स्कूल से हुई है। अब ये गर्ल्स स्कूल है और यहां 12वीं तक की पढ़ाई होती है।

मनोहर लाल खट्टर की खासियत के बारे में पूछने पर Jayprakash कहते हैं, ‘उन्हें गुस्सा जल्दी आता था। एक बार गली में खेल रहे थे, तो उनके दादा ने कहा- घर लौट आ, अंधेरा हो रहा। जाट के लड़के तुझे पीट देंगे। खट्टर ने वहीं से आवाज लगाई और कहा- मैं उन्हें पीट दूंगा।’

Jayprakash एक प्रोग्राम को याद करते हुए कहते हैं, ‘प्रोग्राम में किसी ने उन्हें फरसा गिफ्ट किया। किसी नेता ने उन्हें मुकुट पहना दिया। उन्हें ये अच्छा नहीं लगा तो पब्लिक के बीच ही बोल दिया कि तेरी गर्दन काट दूंगा। बचपन में भी उनका स्वभाव बिल्कुल ऐसा ही था।’

Jayprakash बताते हैं, ‘यहां खट्टर के दादा की परचून की दुकान थी। उसी में सब्जियां भी रखते थे। पहले हम घर के सामान के लिए Tehsil Market जाते थे। बाद में उनसे ही खरीदने लगे।

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