Bhopal News | Madhya Pradesh में इस वर्ष मानसून ने भरपूर बारिश की है। सितंबर के दूसरे सप्ताह में ही सामान्य बारिश का Quota पूरा हो चुका है। पिछले तीन दिनों से सक्रिय System की वजह से प्रदेश में अब तक 40.2 इंच बारिश हो चुकी है, जो सामान्य 34.4 इंच से 5.8 इंच अधिक है। मौसम विभाग के अनुसार, 14 सितंबर तक इसी प्रकार बारिश का सिलसिला जारी रहेगा।
मानसून की विदाई में अभी 18 दिन बाकी हैं, लेकिन प्रदेश के तालाब 65 फीसदी और बांध 90 फीसदी तक भर चुके हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, सितंबर के अंत से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक एक और System सक्रिय होने की संभावना है।
अब जानिए इस बारिश का Farming, शहरों में Water की स्थिति, Irrigation और Electricity उत्पादन पर क्या असर पड़ेगा।
बारिश का रुझान: 2022 की तुलना में ज्यादा
पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष बारिश ने 2020, 2021 और 2023 के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है, केवल 2022 को छोड़कर, जब 46 इंच बारिश हुई थी। 2023 में औसत से 0.1 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई थी।
सक्रिय System के कारण अतिरिक्त बारिश
मौसम विभाग के सीनियर Scientist वेद प्रकाश के अनुसार, 21 जून से मानसून के शुरू होने के बाद Low Pressure Area, Cyclonic Circulation System और मानसून ट्रफ की एक्टिविटी देखी गई। इसके चलते जुलाई और अगस्त में सामान्य से अधिक बारिश हुई। सितंबर के पहले सप्ताह में भी यह सक्रियता बनी रही, फिर बारिश का दौर चार से पांच दिन के लिए थम गया। अब Deep Depression, मानसून ट्रफ और Cyclonic Circulation System की गतिविधियाँ फिर से शुरू हो गई हैं, जिससे बारिश के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं।
वेद प्रकाश का कहना है कि 12 सितंबर से System थोड़ी कमजोर होगी लेकिन कई जिलों में बारिश के दो राउंड और होंगे। पहला सितंबर के आखिरी हफ्ते और दूसरा अक्टूबर के पहले सप्ताह तक सक्रिय रहेगा। ऐसा Pacific Ocean और Indian Ocean में बन रहे Systems के कारण होगा।
1. Farming पर असर: 11 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ज्यादा Soybean उत्पादन की उम्मीद
Agriculture Department के सचिव एम सेलवेंद्रन का कहना है कि MP में खरीफ की प्रमुख फसल Soybean है। इस साल 55 से 60 लाख हेक्टेयर में Soybean की बुआई हुई है। बारिश अच्छी है इसलिए Soybean का उत्पादन 11 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अनुमानित है। 60 से 65 लाख क्विंटल Soybean उत्पादित हो सकता है।
भोपाल जिले में बैरसिया के किसान देवेंद्र ने कहा, ‘अब तक हुई बारिश से Soybean की फसल को फायदा हुआ है, मगर ज्यादा बारिश होगी तो इसके खराब होने का भी डर है। Soybean पक चुका है और अब कटाई बाकी है। ज्यादा बारिश में Soybean की फसल अंकुरित हो जाती है।’
Irrigation के लिए पर्याप्त पानी मिलने से Rabi में Wheat का रकबा बढ़ेगा
Agriculture Department के पूर्व डायरेक्टर जीएस कौशल ने बताया, ‘बारिश अच्छी हुई है तो जमीन में नमी है। इससे एक बात तय है कि Rabi की फसल का रकबा बढ़ेगा। कुएं, तालाबों में पानी भरा है तो Irrigation के लिए किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। बारिश कम होती है तो किसान Chana और Lentil जैसी फसल की बुआई करते हैं, इसलिए Wheat का रकबा बढ़ना तय है।’
भोपाल जिले के पालड़ी गांव के किसान लोकेंद्र सिंह सोलंकी कहते हैं कि पिछले साल Wheat की फसल में पानी की बहुत दिक्कत हुई थी। पूरे सीजन में केवल दो बार ही पानी दे सके थे। उत्पादन घट गया था। इस बार बारिश अच्छी हुई है तो लग रहा है कि Wheat की फसल को फायदा होगा।
साल 2022 में 46 इंच बारिश हुई थी तो Wheat की उत्पादकता 3653 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई थी। 2023 में सामान्य के लगभग यानी 37.02 इंच बारिश हुई थी तो इसका असर उत्पादकता पर पड़ा था। 2023 में उत्पादकता 3576 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रह गई थी।
2. शहरों पर असर: बड़े शहरों में Water की कमी नहीं
भोपाल में 48 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 27% ज्यादा है। इस वजह से भोपाल की Life Line बड़ा तालाब समेत कोलार डैम फुल हो चुके हैं। राजधानी में 30 फीसदी Water Supply बड़ा तालाब से की जाती है। वहीं, कोलार और नर्मदा से 70 फीसदी आपूर्ति होती है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि इसकी वजह से अगले साल मानसून तक पीने के Water की समस्या नहीं होगी।
इंदौर में अभी औसत में 5 इंच बारिश कम हुई है। शहर में Water Supply Narmada River, Yashwant Sagar Dam और Bilawali तालाब से होती है। Narmada से 450 MLD पानी सप्लाई होता है तो Yashwant Sagar और Bilawali Dam से 30 MLD पानी की आपूर्ति होती है। Yashwant Sagar अपनी क्षमता से 19 फीट तक भर चुका है, जिससे दो लाख की आबादी को पानी मिल सकेगा।
उज्जैन में गंभीर डेम से Water Supply होता है। इस मानसून में गंभीर डैम पूरा भर चुका है।
मानसून से पहले ग्वालियर के तिघरा डैम में पानी की कमी थी। दो दिन में एक बार पानी सप्लाई हो रहा था। ऐसी स्थिति में पेहसारी डैम से पानी तिघरा में छोड़ा जा रहा था। अब बारिश की वजह से तिघरा डैम 91 प्रतिशत और पेहसारी डैम 89 फीसदी भर गया है। तिघरा डैम से हर दिन 7.87 MFT पानी की सप्लाई होती है।
भूजल स्तर: Ground Water Level बढ़ेगा, 30% आबादी इसी पर निर्भर
Madhya Pradesh का 76 प्रतिशत Ground Water Level बारिश से बढ़ता है। इसके अलावा Canal, Water Conservation Units और अन्य Water Sources भी Ground Water Level बढ़ाते हैं। Ground Water रिपोर्ट के अनुसार, Madhya Pradesh में साल 2023 में 35.47 Billion Cubic Meter (BCM) Ground Water Level बढ़ा था।
Water Resources Department के Data Analyst डॉ. बृजेंद्र बघेल कहते हैं कि इस साल औसत से ज्यादा बारिश हुई है तो Ground Water Level का बढ़ना तय है। हालांकि, यह कितना बढ़ेगा ये Assessment Report आने के बाद पता चलेगा। प्रदेश में हर साल 58.75 फीसदी Ground Water का इस्तेमाल होता है। भविष्य के लिए सिर्फ 14.45 Hectare Meter (HaM) Water ही शेष रहता है।
इस लिहाज से अच्छी बारिश होना बेहद जरूरी है। Ground Water Level पर प्रदेश की 30 फीसदी आबादी निर्भर है। बघेल के मुताबिक, अगले साल मानसून कमजोर रहा तो भी स्थिति काबू में होगी क्योंकि डैम 90 फीसदी से ज्यादा भर चुके हैं। Irrigation और Water Supply के लिए कमी नहीं रहेगी।
3. बिजली पर असर: 14 Hydro Power Plants से 3 हजार Megawatt बिजली बनेगी
Madhya Pradesh के कुल बिजली उत्पादन का 13 फीसदी Hydro Power Plants से मिलता है। Hydro Power का Renewable Energy में हिस्सा 36 प्रतिशत के करीब है। Madhya Pradesh में कुल 14 Hydro Power Plants हैं, जिनसे कुल 3653.08 Megawatt बिजली उत्पादित हो रही है।
2021 में Vindhya क्षेत्र में औसत से कम बारिश हुई थी। इस कारण वहां मौजूद Bansagar Dam 70 फीसदी तक खाली हो गया था। इस वजह से Irrigation और Electricity उत्पादन पर असर पड़ा था। Power Plant की बिजली उत्पादन क्षमता 50 फीसदी तक कम हो गई थी। Experts के मुताबिक, इस साल ऐसी स्थिति नहीं होगी और लगभग हर Plant अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करेगा।
MP के 15 बड़े डैमों में से 14 फुल: भोपाल की 25 लाख आबादी को एक साल तक Water Supply का Quota पूरा
इस साल मानसून ने Madhya Pradesh में Water Supply, Irrigation और Electricity उत्पादन को लेकर सारी चिंताएं खत्म कर दी हैं। डैम इतने भर चुके हैं कि गर्मी के सीजन में Water Supply को लेकर गंभीर हालात नहीं होंगे यानी गर्मी तक Water Supply का इंतजाम हो गया है। Rabi Season में Wheat-Chana के लिए भरपूर पानी मिलेगा। इस बार गिरे पानी से लाखों हेक्टेयर में फसलें भी लहलहाएंगी।