Mandsaur News : गांव का संघर्ष टीचर का ट्रांसफर रोकने के लिए जुटाए 60 हजार रुपए हाईकोर्ट में दी चुनौती

Mandsaur News | मंदसौर जिले के रावटी गांव के Primary School में साल 2001 में केवल 55 बच्चे पढ़ते थे, जिनमें एक-दो ही लड़कियां थीं। इसी वर्ष 15 अक्टूबर को शिक्षा विभाग ने भूर सिंह मुजाल्दा को Teacher के रूप में नियुक्त किया। उन्होंने न सिर्फ स्कूल बल्कि पूरे गांव का कायाकल्प कर दिया।

गांव में सोंदीया राजपूत समाज की बड़ी आबादी है, जिसमें बेटियों को पढ़ाने की Tradition नहीं थी। लेकिन मुजाल्दा ने गांव की चौपालों पर जाकर संवाद किया और इस सोच को बदलने में सफलता प्राप्त की। आज School में 106 विद्यार्थी हैं, जिनमें लगभग पचास फीसदी लड़कियां हैं।

2023 में शिक्षा विभाग ने भूर सिंह मुजाल्दा का Transfer मल्हारगढ़ कर दिया। हालांकि, आदिवासी समाज से आने वाले मुजाल्दा ने सोंदीया राजपूत समाज में Education के प्रति जागरूकता फैलाकर पूरा समाज उनके समर्थन में खड़ा कर दिया।

राजपूत समाज ने पहले शिक्षा विभाग और जिले के आला अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने Indore High Court का दरवाजा खटखटाया। मुकदमा लड़ने के लिए गांवभर में हर घर से Chanda जुटाया और 60 हजार रुपए इकट्ठा किए। अंततः Court ने गांव वालों की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए मुजाल्दा का Transfer रद्द कर दिया। शिक्षक दिवस के अवसर पर हम एक Teacher के लिए गांव वालों के संघर्ष की कहानी साझा कर रहे हैं…

सरकारी आवास और ट्रांसफर का विवाद

शिक्षक भूर सिंह मुजाल्दा अपने Mission में व्यस्त थे। उनकी इस सेवा भावना को देखते हुए उन्हें 26 जनवरी 2020 को तहसील स्तर पर शिक्षा विभाग ने सम्मानित किया। यहां तक सब कुछ ठीक चल रहा था। फिर वह मोड़ आया, जिसने मुजाल्दा और गांव वालों के रिश्ते को नया आयाम दे दिया।

2023 में गरोठ ब्लॉक के शिक्षक भूर सिंह मुजाल्दा को सरकारी आवास का Allocation हुआ। स्थानीय नेता इस आवास को अपने पसंदीदा शिक्षक को दिलाने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान विभाग स्तर पर हुए विवाद के बाद भूर सिंह मुजाल्दा और उनकी पत्नी शिक्षिका जमुना मुजाल्दा का Transfer मल्हारगढ़ ब्लॉक के रतन पिपलिया और चंदनखेड़ा गांव में कर दिया गया। लेकिन गांव वाले ऐसा नहीं चाहते थे। ग्रामीणों ने उनके समर्थन में लड़ने की ठान ली।

गांव वाले नहीं चाहते तो ट्रांसफर क्यों?

जब यह मामला Court में पहुंचा तो Judge ने Transfer पर Stay देते हुए कहा- जब गांव वाले चाहते हैं कि Teacher यहीं रहें तो Transfer क्यों हो रहा है? पति-पत्नी को अलग नहीं किया जा सकता है। High Court ने Teacher मुजाल्दा को Middle School रावटी में ही पदस्थ रखने का फैसला सुनाया।

लड़कियों को पढ़ाने के लिए मान गए ग्रामीण

शिक्षक भूर सिंह मुजाल्दा ने कहा- मेरी Posting 15 अक्टूबर 2001 को इस स्कूल में हुई थी। यहां आने के बाद मैं लोगों से लगातार मिलता रहा। सोंदीया राजपूत समाज में लड़कियों को पढ़ाने की पुरानी प्रथा को तोड़ने के लिए आग्रह करता रहा। उन्होंने भी मेरी बात समझी।

मेरा Transfer मल्हारगढ़ तहसील में हुआ तो ग्रामीणों ने इसे रोकने के लिए आंदोलन किया। बात नहीं बनी तो High Court से Stay लाए। मैं आज भी यहां पर पदस्थ हूं।

बेटियों को शिक्षित करने पर रहा फोकस

सोंदीया राजपूत बहुल गांव रावटी में बेटियों की शिक्षा को लेकर जागरूकता नहीं थी। भूर सिंह मुजाल्दा ने बेटियों को स्कूल तक लाने के लिए घर-घर जाकर लोगों को समझाया। इसका नतीजा यह है कि आज इस गांव की हर बेटी यानी 100 फीसदी छात्राएं स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।

मुजाल्दा के पढ़ाए बच्चे आज Medical, IIT के साथ ही Delhi University में भी हैं। मुजाल्दा के पढ़ाई कुशल सिंह तंवर तो पिछले पांच साल से रावटी के स्कूल में ही Teacher है।

शिक्षक भूर सिंह मुजाल्दा के प्रयासों से ही आज गांव के 106 बच्चे School आ रहे हैं। पहले 25% बच्चे School आते थे, अब शत प्रतिशत आ रहे हैं।

रावटी के पूर्व सरपंच गुमान सिंह परिहार ने बताया कि गांव में पहले 25% बच्चे ही स्कूल आते थे। आज 100% बच्चे पढ़ रहे हैं। 25 लड़कियों के साथ कई लड़के गरोठ के Model School में पढ़ाई कर रहे हैं। कई बच्चियां College में पढ़ रही हैं। उन्हें देखकर खुशी होती है। यह सब Teacher भूर सिंह मुजाल्दा और उनकी पत्नी जमुना मुजाल्दा की मेहनत का परिणाम है।

उनकी बदौलत ही हम आत्मनिर्भर बने

छात्र से Teacher बने कुशाल सिंह तंवर ने कहा, ‘मुजाल्दा दंपती का Teaching में कोई तोड़ नहीं है। मैं आज Teacher हूं, तो उन्हीं की बदौलत हूं। मैं 5 साल से रावटी Middle School में Guest Teacher के रूप में बच्चों को गणित पढ़ा रहा हूं।’

गांव की Anganwadi सहायिका कैलाश बाई ने बताया, ‘मेरी शादी होने के बाद ससुराल में पति से नहीं बनी, तो मैं अलग रहने लगी। इस दौरान मुजाल्दा सर ने मुझे पढ़ना-लिखना सिखाया। इनकी वजह से ही मैं आज आत्मनिर्भर हूं। Anganwadi में नौकरी कर रही हूं।’

शिक्षक भूर सिंह मुजाल्दा की पत्नी जमुना मुजाल्दा भी Teacher हैं। वे बच्चों को Sports Activities के माध्यम से पढ़ाई कराती हैं।

बेटियों को पढ़ाने के लिए पति-पत्नी ने संभाली कमान

रावटी के स्कूल में शिक्षिका के रूप में पदस्थ जमुना मुजाल्दा ने कहा, ‘मेरे पति 24 वर्ष से इसी स्कूल में हैं। मैं यहां 2006 से पदस्थ हूं। शादी को 18 वर्ष हो गए हैं। हम गांव की बेटियों की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते थे। उन्हें पढ़ाने के लिए पुरुषों से मेरे पति भूर सिंह मुजाल्दा और महिलाओं से मैं लगातार बातचीत करती थी।

पहले की अपेक्षा अब रावटी में काफी बदलाव आया है। आज गांव की 100 फीसदी लड़कियां स्कूल आ रही हैं।

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