Delhi News | विशेषज्ञों का कहना है कि Lateral Entry सिस्टम काम कर सकता है, यदि इसे ठीक से लागू किया जाए। ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में 40-50% तक Lateral Entry होती है। अमेरिका में हर सरकार के साथ सीनियर Administration बदल जाता है, जो एक अलग Model है। पूरी दुनिया में यह प्रथा अपनाई जा रही है, जबकि भारत में आजादी के बाद से पुरानी प्रैक्टिस जारी है। इसे बदलने की आवश्यकता है।
लेटरल एंट्री पर पूर्व IAS अधिकारियों की राय
पूर्व IAS अधिकारी जयप्रकाश, जो Joint Secretary जैसे महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर Lateral Entry के पक्षधर हैं, ने दैनिक भास्कर को बताया कि Lateral Entry एक कारगर तरीका हो सकता है। उनका कहना है, “सरकार को देश के सबसे अच्छे लोगों को शामिल करना चाहिए। यह तय नहीं किया जा सकता कि कौन सबसे अच्छा है, केवल इसलिए कि किसी ने 23 साल की उम्र में एक परीक्षा पास की और सरकारी सेवा में आ गया।”
केंद्र सरकार का निर्णय
केंद्र सरकार के निर्देश पर UPSC ने 24 मंत्रालयों में Joint Secretary, Director और Deputy Secretary के 45 पदों पर Lateral Entry के विज्ञापन को वापस ले लिया। Reservation के विवाद के कारण यह प्रक्रिया विवादित हो गई और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए।
प्रमुख सवाल और उनके जवाब
इस विवाद के बीच 5 महत्वपूर्ण सवाल हैं जिनके जवाब जानना जरूरी है:
- इन 45 पदों पर भर्ती अब होगी या नहीं?
- अगर भर्ती होगी तो उसमें Reservation कैसे लागू किया जाएगा?
- Lateral Bhartiyon की कमी होने पर क्या विकल्प होगा?
- Lateral Entry का उद्देश्य क्या था और इससे सरकार को कितना लाभ हुआ?
- Lateral Entry का निर्णय वापस लेने से क्या परिवर्तन होंगे?
लेटरल एंट्री का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
Lateral Entry कोई नया Concept नहीं है। जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते इस तरह की नियुक्तियां हुई हैं। शुरुआत 1948-49 से हुई। अफसरों की कमी दूर करने के लिए खुली भर्तियां शुरू की गईं। पहले बैच में Emergency Recruitment Board की सिफारिश पर 82 अफसर नियुक्त किए गए।
इसके बाद, मनमोहन सिंह की सरकार तक कई नाम हैं जिन्हें उनकी Expertise की वजह से सरकारी पदों पर नियुक्त किया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, छठे Central Pay Commission की सिफारिश पर मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए जनवरी, 2011 में PMO ने Joint Secretary Level के 10% पदों पर Lateral Entry करने का प्रस्ताव रखा था।
पूर्व IAS अधिकारी की राय
UPA-2 के दौरान भी Lateral Entry सिस्टम से भर्ती की कोशिश की गई थी। इस पर हमने उस वक्त UPSC में Member रहे अधिकारी से बात की। पहचान उजागर न करने की गुजारिश के साथ वे बताते हैं, “पहले प्रावधान था कि Appointment के लिए Test और Interview होगा। अभी की सरकार यह कर रही है कि हम अपनी मर्जी से 50 लोगों को अपॉइंट कर देंगे। दोनों में बहुत अंतर है।”
“UPA की सरकार में UPSC ने Lateral Entry की Recommendation की थी, लेकिन सरकार ने Action नहीं लिया था। शायद कुछ विवाद या Confusion रहे होंगे।”
पिछली सरकारों में लेटरल एंट्री के उदाहरण
क्या पिछली सरकारों में ऐसे उदाहरण हैं, जब Lateral Entry से Appointment हुआ हो? अधिकारी बताते हैं, “Individual Lateral Entry तो हमेशा होती रही है। इंदिरा गांधी ने Pupul Jayakar को Cultural Advisor बनाया था। कई उदाहरण हैं, जब Special Position देकर, OSD या Special Advisor कहकर जिम्मेदारी दी गई है।”
“Prime Minister Office में हमेशा Press Advisor रहे हैं। उन्हें खूब Power दी जाती रही है। Montek Singh Ahluwalia और Manmohan Singh को उनकी Expertise की वजह से लिया गया था। इस तरह की Lateral Entry तो 1947 से मिल जाएगी। Sudhindra Kulkarni Atal Ji के लिए Speech लिखा करते थे, वे Officer On Special Duty थे।”
UPSC पर सरकार का दबाव
क्या Lateral Entry या दूसरी भर्तियों के लिए UPSC पर सरकार का दबाव होता है? अधिकारी बताते हैं, “UPA की सरकार में कोई दबाव नहीं था। मौजूदा सरकार जिस तरह से काम करती है, जाहिर तौर पर अब दबाव रहता होगा।”
अधिकारी और मोनॉपली
Lateral Entry से भर्तियों की सिफारिश 2005 में कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बने दूसरे Administrative Reform Commission ने की थी। आयोग ने 2007 में तब के प्रधानमंत्री Manmohan Singh को रिपोर्ट सौंपी थी। हमने इस आयोग के Member रहे जय प्रकाश नारायण से बात की।
पूर्व IAS अधिकारी जय प्रकाश नारायण कहते हैं, “आयोग की दलील थी कि एक तय Level के बाद, मेरा मानना है कि Joint Secretary के बाद बहुत Expertise और Experience चाहिए। इसलिए इन पदों को Open कर दीजिए। देश के सभी Civil Services, Academic Institutes, Non-Profit Organizations या Companies में Competition होने दीजिए।”
“लोग Civil Service में 23-24 साल की उम्र में Select होते हैं। लगभग 13-14 लाख Candidates Form भरते हैं। 6-7 लाख Candidates परीक्षा देते हैं। 1 हजार IAS-IPS और दूसरी Central Services में Select होते हैं। यही लोग 60 साल की उम्र तक अधिकारी होते हैं।”
लेटरल एंट्री का महत्व
जय प्रकाश नारायण कहते हैं, “हो सकता है कि आपको 23-24 साल की उम्र में वो काम करने की इच्छा ना हो, लेकिन कई साल अलग-अलग क्षेत्रों में Expertise हासिल करने के बाद आप देश के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हों।”
“अगर सरकार ये कहेगी कि 23-24 साल की उम्र में एक Exam के जरिए Recruit हुआ व्यक्ति ही सिर्फ बेस्ट है और दूसरा कोई नहीं, तो यह भी एक तरह का Caste System है। यह गलत है, हम सभी इसे खारिज करते हैं।”
आरक्षण और लेटरल एंट्री
लोकसभा के पूर्व Secretary General PDT Acharya बताते हैं, “अब तक जो Lateral Entry हुई हैं, उनमें Reservation का कोई प्रावधान नहीं है। संवैधानिक तौर पर सरकारी पदों पर होने वाली नियुक्ति में Reservation जरूरी है।”
“कभी किसी एक व्यक्ति को उसकी Expertise के आधार पर नियुक्त करना अलग बात है, लेकिन यहां UPSC के जरिए 45 पदों पर भर्ती हो रही थी। इन्होंने हर विभाग में एक-एक व्यक्ति की नियुक्ति निकाली थी। एक व्यक्ति की नियुक्ति में Reservation हो नहीं पाता। ऐसे में Political Pressure की वजह से सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा।”
आगे का रास्ता
लेटरल एंट्री को लेकर अब आगे क्या होगा, इस पर जयप्रकाश कहते हैं, “मंत्री ने UPSC को लेकर जो Letter लिखा है, उसमें वो Lateral Recruitment से पीछे नहीं हटे हैं। उन्होंने कहा है कि वो Social Justice और Diversity को लेकर प्रतिबद्ध हैं और इस विज्ञापन को वापस ले रहे हैं।”
“सरकार देख रही होगी कि इसे करने का बेस्ट और Acceptable तरीका क्या है। अगर वो Central Civil Services Authority बनाते हैं, तो यह संभव है। सरकार को आगे बढ़ना चाहिए, हमें सरकार में Talent चाहिए।”
प्रशासनिक ढांचा और शॉर्टकट्स
Lateral Entry के कानूनी और संवैधानिक पक्षों को समझने के लिए हमने Supreme Court के वकील Virag Gupta से बात की। उन्होंने Lateral Entry को नौकरशाही की Quality और Merit को बढ़ाने के लिए अच्छा कदम बताया।
वे बताते हैं, “सबसे पहले यह देखने की जरूरत है कि नौकरशाही में Civil Services से जो बेस्ट Talent जाता है, उसे अपनी Merit का Exposure क्यों नहीं मिलता। हमारी नौकरशाही में दिक्कत क्या है, उसे ठीक किए बगैर बाहर से Contract Basis पर Lateral Entry का जो सिस्टम है, उसकी वजह से समस्याएं आ रही हैं।”
“Lateral Entry प्रशासन में Transparency, नया Talent और Quality बढ़ाने के लिए अच्छा Concept है। इसे दूसरी तरह से देखें तो नियमित भर्तियां नहीं हो रही हैं और जिम्मेदारी पूरी करने के लिए Outsourcing की जा रही है।”